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अब कैंसर की बेहद सस्ते में हो सकेगी पहचान, IIT इंदौर ने स्वदेशी तकनीक से स्क्रीनिंग डिवाइस किया तैयार

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Indore IIT: इसका उद्देश्य भारत में विशेषकर स्तन कैंसर का शीघ्र पता लगाना है। संस्थान के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर श्रीवत्सन वासुदेवन ने इस डिवाइस को विकसित किया है।

By Kushagra Valuskar

Publish Date: Wed, 09 Oct 2024 09:16:59 PM (IST)

Updated Date: Wed, 09 Oct 2024 09:19:52 PM (IST)

अकास्टिक तकनीक के माध्यम से बीमारी का अंदाजा लगाना आसान होगा।

नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। Indore IIT: शुरुआती अवस्था में ही कैंसर का पता लगाने के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) इंदौर ने एक उपकरण तैयार किया है। इसमें फोटो अकास्टिक तकनीक (प्रकाश और ध्वनि संबंधी) का उपयोग करके बीमारी की गंभीरता का पता लग सकेगा। यह कैंसर स्क्रीनिंग डिवाइस उन सुदूर क्षेत्रों के मरीजों के लिए काफी फायदेमंद होगी, जहां कैंसर की रिपोर्ट आने में पांच-सात दिन का समय लग जाता है। यह मशीन खासकर स्तन कैंसर का शीघ्र पता लगा सकेगी।

संस्थान इस उपकरण का क्लिनिकल टेस्ट करने की प्रक्रिया जल्द शुरू करेगा। IIT इंदौर के शोधकर्ताओं ने फोटो अकास्टिक तकनीक का उपयोग करके एक काम्पैक्ट और किफायती कैंसर स्क्रीनिंग डिवाइस बनाई है। यह डिवाइस फोटो अकास्टिक स्पेक्ट्रल रिस्पांस (पीएएसआर) के सिद्धांत पर आधारित है, जो असामान्य ऊतक परिवर्तनों का पता लगाने के लिए आप्टिकल और अकास्टिक संकेतों का उपयोग करता है।

इसका उद्देश्य भारत में विशेषकर स्तन कैंसर का शीघ्र पता लगाना है। संस्थान के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर श्रीवत्सन वासुदेवन ने इस डिवाइस को विकसित किया है। इस अत्याधुनिक तकनीक को एम्स भोपाल के पैथालाजी और लैब मेडिसिन विभाग के प्रमुख अन्वेषक डा. श्रमण मुखोपाध्याय और रेडिएशन आन्कोलाजी विभाग के संकाय सदस्य डा. सेकत दास द्वारा संयुक्त रूप से अस्पताल में परीक्षण के लिए सेटअप किया जा सकता है।

रोगियों का जल्दी शुरू कर सकते हैं इलाज

प्रो. वासुदेवन ने कहा कि इस उपकरण की खासियत कैंसर और गैर-कैंसर वाले ऊतकों के बीच अंतर करना है। तकनीक में एक काम्पैक्ट पल्स्ड लेजर डायोड (पीएलडी) का उपयोग किया जाता है, जो स्तन कैंसर की जांच के लिए विशेष रूप से उपयोगी है, क्योंकि यह घातक ट्यूमर फाइब्रोसिस्टिक परिवर्तन और सामान्य ऊतक के बीच अंतर कर सकता है। यह इतना छोटा है कि इसे कहीं भी लगाया जा सकता है।

ग्रामीण क्षेत्रों के लिए यह उपकरण काफी महत्वपूर्ण है। जिन रोगियों का परीक्षण पॉजिटिव आता है, उन्हें आगे की जांच के लिए भेजा जा सकता है। इससे मरीजों का इलाज जल्द शुरू करने में मदद मिलती है।

कैंसर का पता लगाने में काफी मदद मिलेगी

स्वास्थ्य सेवा के लिए बेहद उपयोगी निदेशक प्रोफेसर सुहास जोशी ने कहा कि देश में इस्तेमाल किए जाने वाले ज्यादातर डायग्नोस्टिक उपकरण (एमआरआइ और सीटी स्कैनर) आयात किए जाते हैं, जिनकी कीमत अधिक रहती है। स्वदेशी कैंसर स्क्रीनिंग डिवाइस स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कदम है। इसमें ग्रामीण और वंचित क्षेत्रों में कैंसर का पता लगाने में काफी मदद मिलेगी। क्लिनिकल टेस्ट होने के बाद बड़े पैमाने पर डिवाइस बनाई जाएगी।

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