डंकी रूट पर रात के अंधेरे में जाते और छोटी नांव में सवार होकर अमेरिका की तरफ जाते पंजाबी युवक।
भारत से अमेरिका जाने के डंकी रूट के नए वीडियो सामने आए हैं। अमेरिका से डिपोर्ट हुए गुरदासपुर के युवक गुरविंदर ने यह 2 वीडियो जारी किए हैं। गुरविंदर 112 भारतीयों वाले तीसरे बैच में डिपोर्ट होकर लौटा है। उसने बताया कि किस तरह सांप-मगरमच्छों से बचते हुए
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युवक ने जो वीडियो जारी किए, उनमें दिख रहा है कि रात के अंधेरे में वह कीचड़ के ऊपर से गुजर रहा है। लाइट के लिए उनके पास टॉर्च है। दूसरे वीडियो में वह एक छोटी सी नांव पर सवार हैं। जिसमें बैठकर वह नदी पार कर रहे हैं।
बता दें कि अमेरिका से अब तक 3 बैच में 332 लोग डिपोर्ट किए जा चुके हैं। जिनमें 128 पंजाब के रहने वाले हैं।
पंजाबी युवक के जारी किए डंकी रूट के PHOTOS…
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डंकी रूट पर रात के अंधेरे में कीचड़ में चलते हुआ पंजाबी युवक।
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रात को डंकी रूट पर जाते हुए विक्ट्री चिन्ह बनाता हुआ पंजाबी युवक।
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युवक जब साथियों के साथ नांव पर जा रहा था तो उसने यह वीडियो बनाकर परिवार को भेजी थी।
डंकी रूट से अमेरिका पहुंचे युवक गुरविंदर की कहानी…
1. एजेंट ने डायरेक्ट फ्लाइट से भेजने की बात की गुरविंदर सिह ने बताया कि उन्होंने एक एजेंट से अमेरिका जाने की बात की। एजेंट ने कहा कि उसे वैलिड तरीके से डायरेक्ट फ्लाइट के जरिए भेज देगा। इसके लिए 50 लाख रुपए मांगे। इसके लिए अपनी डेढ़ एकड़ जमीन बेच दी। पैसे कम पड़े तो 10 लाख का कर्ज भी ले लिया।
2. पनामा के जंगल में ले गए तो डंकी रूट का पता चला 22 सितंबर 2024 को वह यहां से दिल्ली और फिर मुंबई पहुंचा। वहां से उसे फ्लाइट में आगे ले गए। फिर गुयाना, ब्राजील और कोलंबिया से होते हुए उन्हें पनामा के जंगलों तक पहुंचा दिया गया। तब जाकर उन्हें पता चला कि सीधी फ्लाइट के बजाय उन्हें डंकी रूट से भेजा जा रहा है। जब उसके पिता हरभजन सिंह ने एजेंट से बात की तो उसने कहा कि 20 दिन में वह अमेरिका पहुंच जाएगा।
3. 2 दिन में जंगल पार किया, पीने को सिर्फ गंदा पानी था डंकी रूट पर 23 लोगों का ग्रुप भेजा गया। जब वे डंकी रूट पर अमेरिका की तरफ बढ़े तो रास्ते में डोंकर उनसे दुर्व्यवहार करते थे। उनका मोबाइल छीन लेते। उन्हें परिवार से बात नहीं करने देते। 2 दिन तक वह जंगल से गुजरते रहे। इस दौरान छोटी नांव से नदियां पार करनी पड़ी। इस दौरान वे कीचड़ में चले। वहां उन्हें सांप-मगरमच्छों से भी बचना पड़ा। इस दौरान खाने के लिए सिर्फ चिप्स और पीने के लिए गंदा पानी मिलता था।
4. मैक्सिको बॉर्डर पार करते ही अमेरिकी सेना ने पकड़ा 1 फरवरी को उन्हें मैक्सिको बॉर्डर पर पहुंचा दिया गया। वहां से वह दीवार फांदकर अमेरिकी सीमा में दाखिल हो गया। जहां अमेरिकी सेना की बॉर्डर पेट्रोल टीम ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद 14 दिन उसे आर्मी कैंप में रखा गया। वहां उनके साथ बुरा बर्ताव किया गया। उन्हें रात में नहाने के लिए उठा दिया जाता था। बिना कपड़ों के AC रूम में रखा जाता था।
5. एयरपोर्ट पर विमान उतरने से पहले हथकड़ी-बेड़ियां खोलीं 15 फरवरी को पता चला कि उन्हें जबरन भारत लौटाया जा रहा है। उन्हें कैंप से निकाला गया। फिर हथकड़ियां और पैरों में बेड़ियां डालकर जकड़ दिया गया। इसके बाद सेना के विमान में बैठा दिया गया। विमान के अमृतसर एयरपोर्ट पर उतरने से पहले उनकी हथकड़ी-बेड़ियां खोली गईं। उन्हें पगड़ी भी नहीं पहनने दी गई। अमृतसर एयरपोर्ट पर शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) ने सिर ढकने के लिए कपड़ा दिया।
हरियाणा का युवक भी शेयर कर चुका डंकी रूट का वीडियो…
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डंकी रूट से जा रहा व्यक्ति कीचड़ से सना हुआ है, वह रास्ते में पेड़ के पास कीचड़ के ऊपर बैठा हुआ है।
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बारिश से बचने के लिए रेन कोट में दिख रहे युवक, ये रात्रि विश्राम के लिए टैंट लगा रहे हैं।
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आकाश ने अपने व साथियों का हाल बताते हुए यह वीडियो अपने घरवालों को भेजा था।
7 महीने में दिल्ली से अमेरिका पहुंचा था आकाश आकाश ने बताया कि वह 20 जून 2024 को दिल्ली पहुंचा। एक महीने यहीं रोका गया। फिर मुंबई भेजा गया, वहां 2 महीने रखा गया। मुंबई से वह फ्लाइट के जरिए ब्राजील गया, जहां उसे एक महीना रहना पड़ा। इसके बाद वह बोलीविया पहुंचा। यह बहुत महंगा देश था, इसलिए यहां उसे सिर्फ 5-6 दिन ही रखा गया।
फिर वह ग्वाटेमाला गया, जहां उसे एक महीना लगा। उसके बाद पनामा के जंगलों से गुजरना पड़ा, जिसमें 7 दिन लगे। पनामा के बाद वह होंडुरस पहुंचा, जहां 15 दिन रुका। फिर साउथ अमेरिका में 10 दिन रहना पड़ा। अंत में वह मेक्सिको पहुंचा, जहां उसे करीब 35 दिन तक रोका गया। आखिरकार 25 जनवरी 2025 की रात को 12 बजे वह अमेरिका की सीमा पार कर गया।
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अमेरिका जाने के लिए डंकी के 3 पड़ाव…
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आखिर इतनी मुसीबतें सहकर अमेरिका क्यों जाते हैं भारतीय?
भारतीय लोग बेहतर अवसर के लिए भारत से बाहर जाने का इरादा करते हैं, लेकिन कई लोग एजुकेशन की कमी या किसी अन्य वजह से लीगल तरीके से नहीं जा पाते। विदेश मामलों के जानकार और JNU के प्रोफेसर राजन कुमार बताते हैं कि भारतीय लोगों को अमीर बनने का झूठा सपना दिखाया जाता है कि अमेरिका जाकर वह कामयाब हो जाएंगे…
- पंजाब, हरियाणा और दिल्ली में काम करने वाली संस्था स्टडी अब्रॉड कंसल्टेंट एसोसिएशन के चेयरमैन सुकांत त्रिवेदी कहते हैं, ‘अमेरिका में घुसने के बाद डंकी जानबूझकर अपने आप को वहां की पुलिस के हवाले कर देता है। इसके बाद उसे जेल में डाला जाता है, जिसे ‘इमिग्रेशन कैम्प’ कहा जाता है।
- डंकी को जेल से छुड़ाने के लिए वकील हायर किया जाता है। इसका खर्च एजेंट या डंकी का कोई रिश्तेदार उठाता है। वकील अपनी दलीलों से कोर्ट को भरोसा दिलाता है कि डंकी को अमेरिका में रहने दिया जाए। इसके बाद डंकी को जेल से रिहा किया जाता है।
- डंकी अमेरिका पर बोझ न बने, इसलिए उसे कमाने और खाने की अनुमति दी जाती है। ये अनुमति बढ़ती रहती है। 8-10 साल में ग्रीन कार्ड मिल जाता है यानी डंकी अब यूएस में परमानेंट रह सकता है और उसे काम करने का अधिकार है। इसके 10-15 साल बाद उसे अमेरिका की नागरिकता भी मिल जाती है।
- जिस तरह से भारत में अवैध कॉलोनियों को वैध करने के लिए हर 5 से 7 साल के बीच स्कीम निकाली जाती है। ठीक वैसे ही अमेरिका में अवैध लोगों को नागरिकता देने के लिए स्कीम निकाली जाती है। इसमें कुछ फीस भरने के बाद डंकी अमेरिका का नागरिक बन जाता है।
प्रो. राजन कुमार के मुताबिक,
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भारतीय लोग डंकी रूट से जान जोखिम में डालकर अमेरिका पहुंच तो जाते हैं, लेकिन सालों तक डिटेंशन सेंटर में इंतजार के बाद कोर्ट में सुनवाई होती है। केस जीत भी गए तो 105 दिनों के लिए बर्तन धोने और झाड़ू लगाने जैसे काम करने होते हैं, ताकि वह गुजारा कर सकें। अमेरिका जाकर अमीर हो जाना इतना आसान नहीं है। 8-10 साल बाद भी ग्रीन कार्ड मिलने के चांस ज्यादा नहीं होते। ऐसे में डंकियों को वापस भारत भेज दिया जाता है या फिर सारी जिंदगी जेल में गुजारनी पड़ती है।
फॉरेन एक्सपर्ट ए.के. पाशा के मुताबिक, कई लोग भारत में नौकरी नहीं मिलने की वजह से अमेरिका जाते हैं। कुछ मामलों में डंकियों को जॉब मिलती है, लेकिन यह आंकड़े बहुत कम हैं। भारत से अमेरिका जाने वाले ज्यादातर डंकी गुजरात और पंजाब से होते थे। अब हरियाणा भी इस लिस्ट में शामिल हो गया है।
सामाजिक बहिष्कार से बचने की कोशिश अमेरिकी बॉर्डर पर पकड़े जाने के दौरान सबसे ज्यादा लोग यह वजह बताते हैं। इनमें 4 तरह की सामाजिक प्रताड़ना शामिल है…
- किसी विशेष धर्म का होने की वजह से समाज में रहने नहीं दिया जाता।
- किसी राजनीतिक पार्टी (ज्यादातर विपक्षी पार्टी) का समर्थन करने पर प्रताड़ित किया जाता है।
- पिछड़ी जाति से आने की वजह से हिंसा का सामना करना पड़ता है।
- गे, लेस्बियन या LGBTQ जैसे लोग, जिन्हें समाज अपनाने से इनकार कर देता है।
10 अक्टूबर 2022 की BBC की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जालंधर के जसप्रीत सिंह को गे होने की वजह से घर से निकाल दिया गया। उन पर कई बार जानलेवा हमले हुए। इससे तंग आकर वे डंकी रूट के जरिए अमेरिका चले गए। यहां उन्हें रहने की अनुमति मिल गई।
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अमेरिकन ड्रीम पूरा करने के लिए डंकी रूट से जाने के चक्कर में हरियाणा के कैथल के रहने वाले एक युवक ने जान गंवा दी थी। जब वह अमेरिकी बॉर्डर के करीब ग्वाटेमाला तक पहुंच गया तो डोंकरों ने उसे गोली मार दी। डोंकर उससे और रुपयों की डिमांड कर रहे थे। पढ़ें पूरी खबर
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