इस बीच में एक नया पेंच सामने आ गया है। एमपीसीए 20 एकड़ जमीन के एवज में 70 करोड़ रुपए देना चाहता है, जिस पर आइडीए राजी नहीं है। आइडीए की निगाह में जमीन की कीमत 200 करोड़ रुपए से अधिक की है। इसको लेकर पूर्व में टेंडर जारी किया गया था, जिसमें बिल्डर पिंटू छाबड़ा व राजेश मेहता की कंपनी का सिंगल टेंडर आया था। इस वजह से उसे खारिज कर दिया गया।
निजी जमीन की तलाश
एमपीसीए ने विकल्प पर भी विचार शुरू कर दिया है। निजी जमीन देख रहा है, जो कि शहर से 15 किमी में ही हो और मुय मार्ग से जुड़ी रहे ताकि लोगों का आने-जाने में दिक्कत ना रहे। स्टेडियम के बनाए जाने और उपयोग को लेकर भी विवाद की स्थिति नहीं रहेगी। तर्क यह भी है कि आइडीए से जमीन 30 साल की लीज पर मिलेगी और खरीदने पर स्थाई मालिकाना हक हो जाएगा।
आइडीए और एमपीसीए के बीच में कीमत को लेकर स्टेडियम(International Cricket Stadium) का ‘मैच’ फंस गया है। इसका निराकरण थर्ड अंपायर यानी सरकार ही कर सकती है। जैसे टीसीएस और इंफोसिस के प्रकरण में किया था। सुपर कॉरिडोर की जमीन लेकर आइटी विभाग के माध्यम से दोनों कंपनियों को 25-25 लाख रुपए प्रति एकड़ की कीमत से दी गई थी। ऐसे ही फॉर्मूले पर सरकार जमीन लेकर एमपीसीए को शर्तों पर दे। आइडीए को बदले में दूसरी जमीन दे दे।
कम कीमत पर जमीन दी तो खड़े होंगे सवाल
आइडीए ने खेल गतिविधियों के लिए जमीन देने का टेंडर जारी किया, जिसमें 200 करोड़ रुपए की कीमत लगाई गई। अब आइडीए के सामने संकट खड़ा हो गया कि 130 करोड़ रुपए कम कीमत पर जमीन(International Cricket Stadium) एमपीसीए को कैसे दे दें। इस वजह से आइडीए के आला अफसर कोई रिस्क लेने को तैयार नहीं हैं। उन्हें मालूम है कि ऐसा किया तो लोकायुक्त व आर्थिक अपराध जैसे मामले में उलझ सकते हैं।
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