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आलीराजपुर एएसआई सुसाइड मिस्ट्री: मां बोली-बेटे को न तनाव था न किसी से दुश्मनी, बस शराब की लत थी; कमांडेंट ने कहा-रोज की तरह सामान्य थे – Madhya Pradesh News

आलीराजपुर में एएसआई रवींद्र परमार की आत्महत्या मिस्ट्री बन गई है। आमतौर पर सुसाइड केस में ऐसा कदम उठाने के पीछे कोई न कोई कारण जरूर होता है, लेकिन इस केस में अब तक ऐसा कुछ सामने नहीं आया है।

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मां का कहना है कि रवींद्र की किसी से कोई दुश्मनी नहीं थी, उसे किसी तरह का तनाव भी नहीं था। दूसरी ओर वे इंदौर की जिस बटालियन में पदस्थ थे, उसके कमांडेंट का कहना है कि सुसाइड वाले दिन भी वो रोज की तरह एकदम सामान्य व्यवहार कर रहे थे।

रवींद्र के सुसाइड से सब हैरान हैं। परिवार और परिजन ने क्या-क्या कहा और अब तक जांच की दिशा क्या है? पढ़िए इस ग्राउंड रिपोर्ट में…

रवींद्र परमार की खुदकुशी पुलिस के लिए मिस्ट्री बन गई है। अब तक कोई कारण नहीं मिला।

इंदौर के मरीमाता क्षेत्र में रामबाग कॉलोनी है। इसी कॉलोनी में 58 वर्षीय रवींद्र परमार रहते थे। वे विशेष सशस्त्र बल (एसएएफ) में पदस्थ थे। जुलाई में उनकी तैनाती धार जिले के 34वीं वाहिनी कैंप में हुई थी। दो साल बाद ही रिटायर होने वाले थे।

रामबाग कॉलोनी में शुक्रवार को अजीब सी खामोशी है। जिस गली में रवींद्र का परिवार रहता है, वहां हर चेहरा रुआंसा नजर आता है। यहां रवींद्र के घर पहुंचकर सबसे पहले हम उनकी मां पार्वती परमार से मिले। रवींद्र ने गुरुवार शाम को सुसाइड किया था। शुक्रवार दोपहर जब हम मां से मिले तब तक रो-रोकर उनके आंसू सूख चुके थे।

मां बोली- अच्छी सैलरी मिलती थी, भरा-पूरा परिवार था रविंद्र की मां पार्वती परमार ने कहा कि घर में सब कुछ अच्छा था। रवींद्र को अच्छी सैलरी मिलती थी। उसके तीन बेटे हैं। वे तीनों भी अच्छा कमाते हैं। हमें कोई तकलीफ नहीं थी। रविंद्र को भी कोई तकलीफ नहीं थी। बहुत शांत था मेरा बेटा। उसका किसी से कोई लड़ाई-झगड़ा भी नहीं था।

मुंहबोली बहन बोली- मैं कहती थी, छुट्‌टी लो और घर आ जाओ पड़ोस में रहने वाली रवींद्र की मुंहबोली बहन निशा तिवारी ने कहा भैया बहुत अच्छा था। वह जब भी आता था मिलकर जाता था। हंसमुख था। मैंने उनसे कहा था कि आप बहुत दिन बाहर रह लिए, अब बस छुट्टी ले लो और घर आ जाओ।

उन्हें जब भी छुट्टी मिलती वह बाइक से ही घर आ जाते थे। घर-परिवार के लोगों और मोहल्ले वालाें से बड़ा लगाव था उनका। अभी परसों ही आए थे। इंदौर में किसी काम से डाक लेकर आए थे, तो घर आ गए थे( जाते हुए मुझे सड़क पर मिल गए थे, कहा- ड्यूटी पर जा रहा हूं। मुझे पता होता कि ऐसा होगा तो उन्हें कभी नहीं जाने देती।

बस एक ही बुराई थी- शराब नहीं छोड़ पाए, बहुत पीते थे मां पार्वती ने कहा कि बेटे की बस एक आदत खराब थी। वह शराब पीता था। बहुत पीता था। कभी-कभी तो दिन में भी पी लेता था। 18 साल की उम्र से ही उसने पीना शुरू कर दिया था। हालांकि शराब पीकर उसका कभी किसी के साथ कोई झगड़ा-फसाद नहीं हुआ। मुंहबोली बहन निशा ने भी रवींद्र के शराब पीने वाली आदत की तस्दीक की।

बेटा बोला- पापा ने कहा था शाम को कॉल करूंगा रवींद्र के बड़े बेटे महेंद्र परमार ने बताया कि दोपहर में मां के फोन पर पापा का वीडियो कॉल आया था। मां मेरे बेटे को लेकर कुछ खरीदने मार्केट गई थी। फोन घर पर ही था। मैंने कॉल उठाया तो उन्होंने हाल चाल पूछा। फिर पूछा कि मम्मी कहां है? उन्होंने मेरे बेटे बाबू से बात करने के लिए कॉल किया था। फोन रखते हुए उन्होंने कहा कि मैं शाम को कॉल करूंगा, लेकिन फिर उनका कोई कॉल नहीं आया। हमें खबर मिली कि उन्होंने खुद को गोली मार ली है।

पापा ने कभी भी किसी भी टेंशन या परेशानी के बारे में हमसे कोई बात नहीं की। हमें कुछ समझ नहीं आ रहा कि पापा ने ऐसा क्यों किया। ना ही पैसे की कोई परेशानी है, ना परिवार में अन्य कोई परेशानी है।

कमांडेंट ने कहा- देखा तो जमीन पर पड़े थे रवींद्र 34वीं बटालियन के कमांडेंट इंदर सिंह चौहान ने बताया कि रवींद्र गुरुवार को सुबह करीब पांच बजे तैयार होकर आए थे। उन्होंने सुबह मेरे साथ ही बैठ कर चाय पी। वे सामान्य दिनों की तरह ही लग रहे थे। व्यवहार में ऐसी कोई बात खटकने वाली नहीं थी, जिससे लगता कि वो कोई बड़ा कदम उठा लें।

चाय खत्म कर सुबह करीब साढ़े 5 बजे वे अपनी ड्यूटी के लिए चले गए। दोपहर साढ़े तीन बजे मैं अपनी ड्यूटी खत्म कर अपने कमरे में आराम कर रहा था। तभी मुझे गोली चलने की आवाज सुनाई दी। बाहर निकल कर देखा तो वो जमीन पर पड़े थे। पास खड़े लोगों ने बताया कि उन्होंने खुद को गोली मार ली है।

रवींद्र के घर मोहल्ले की महिलाएं उनकी मां को सांत्वना देने पहुंची।

रवींद्र के घर मोहल्ले की महिलाएं उनकी मां को सांत्वना देने पहुंची।

रिटायर होने वाले थे, हमउम्र लोगों के साथ उठते-बैठते थे 34वीं बटालियन के कंपनी कमांडर दिनेश बघेल से जब हमने पूछा कि कामकाज के दौरान और साथियों के साथ रवींद्र का व्यवहार कैसा था, तो उन्होंने बताया कि कुछ ही सालों में वो रिटायर होने वाले थे। मिलनसार स्वभाव था।

ज्यादातर अपनी ही उम्र वाले लोगों के साथ बैठते थे। कभी कोई ऐसी वजह सामने नहीं आई, जिससे यह समझ में आए कि वो कोई परेशानी में हैं। कभी उनकी कोई शिकायत भी नहीं है। उनके शराब पीने के बारे में मुझे जानकारी नहीं है, ना ही इस संबंध में कभी कोई शिकायत आई।

फिलहाल कोई सुराग नहीं मिला, फोन जब्त किया है आलीराजपुर कोतवाली थाना प्रभारी शिवराम तरोले ने बताया गुरुवार को शाम करीब चार बजे रवींद्र परमार के सुसाइड की सूचना मिली। एसएएफ कैंप में रवींद्र ने अपनी सर्विस रिवॉल्वर से खुद को गोली मार ली थी। शुक्रवार को पोस्टमॉर्टम के बाद अंतिम संस्कार के लिए परिवार उनका पार्थिव शरीर इंदौर ले गया। सुसाइड के कारण कि अब तक जानकारी नहीं मिली है। हम जांच कर रहे हैं। परिवार से बातचीत में अब तक कोई सुराग नहीं मिला है।

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