India Objection On Nepal Currency: हाल ही में नेपाल ने अपने 100 रुपये के नोट को फिर से डिजाइन करने का फैसला किया है. हालांकि, इस फैसले से नेपाल और भारत के बीच तनाव पैदा हो गया है. ऐसा इसलिए क्योंकि नेपाली मुद्रा नोट पर छपे देश के नक्शे में पड़ोसी देशों के बीच सीमा के विवादित क्षेत्र शामिल हैं.
नेपाल और भारत के बीच राजनीतिक और रणनीतिक मतभेदों को बढ़ाने में चीन का अप्रत्यक्ष रूप से हाथ है. नेपाल ने इन नए करेंसी नोटों को छापने के लिए एक चीनी प्रिंटिंग कंपनी के साथ अनुबंध किया है. नेपाल के केंद्रीय बैंक, नेपाल राष्ट्र बैंक (एनआरबी) ने चीन बैंकनोट प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कॉरपोरेशन को नए सिरे से डिजाइन किए गए 100 रुपये के बैंक नोट की 300 मिलियन प्रतियां डिजाइन करने, छापने और वितरित करने का अनुबंध दिया है.
भारत ने क्यों जताई आपत्ति?
इसकी छपाई की लागत करीब 8.99 मिलियन अमेरिकी डॉलर आंकी गई है. इस हिसाब से प्रति नोट औसतन 4.04 रुपये खर्च होंगे. इस करेंसी नोट पर नेपाल का संशोधित राजनीतिक नक्शा होगा, जिसमें लिपुलेख, लिम्पियाधुरा और कालापानी के विवादित क्षेत्र शामिल हैं.
इन करेंसी नोटों की छपाई के संबंध में सरकार के रुख पर टिप्पणी करते हुए नेपाल की संचार मंत्री रेखा शर्मा ने कहा, “सरकार ने नेपाल राष्ट्र बैंक को करेंसी नोट पर मौजूदा मानचित्र को अपडेटेड वर्जन से बदलने के लिए अधिकृत किया है.” यह फैसला इस साल मई में पुष्प कमल दहल सरकार के कार्यकाल में लिया गया था. इसके बाद औपचारिक टेंडर प्रक्रिया अपनाई गई और एनआरबी की ओर से आशय पत्र जारी किया गया.
क्या है भारत-नेपाल सीमा विवाद
नेपाल-भारत सीमा विवाद तब से चल रहा है जब 1816 में एंग्लो-नेपाल युद्ध के बाद नेपाल और ब्रिटिश शासित भारत के बीच सुगौली की संधि पर हस्ताक्षर किए गए थे. इस संधि के अनुसार, काली नदी को नेपाल की प्राकृतिक पश्चिमी सीमा के रूप में नामित किया गया था, जिसके पूर्व में लिपुलेख, लिंपियाधुरा और कालापानी शामिल थे, जो नेपाल के हैं.
इसके बावजूद, ये क्षेत्र 1960 के दशक से ही भारत के प्रशासनिक नियंत्रण में हैं. इस क्षेत्रीय मुद्दे पर तनाव नवंबर 2019 में तब बढ़ गया जब भारत ने एक नया राजनीतिक मानचित्र जारी किया जिसमें इन विवादित क्षेत्रों को अपनी सीमा में शामिल किया गया. नेपाल ने मई 2020 में अपना संशोधित राजनीतिक मानचित्र प्रकाशित करके जवाबी कार्रवाई की, जिसमें इन क्षेत्रों को नेपाल का बताया गया.
भारत ने की नेपाल की आलोचना
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने नेपाल की एकतरफा कार्रवाई की आलोचना करते हुए कहा, “हमारी स्थिति बहुत स्पष्ट है. नेपाल के साथ हम एक स्थापित मंच के माध्यम से अपने सीमा मामलों पर चर्चा कर रहे हैं. इस बीच, उन्होंने अपनी ओर से कुछ एकतरफा कदम उठाए हैं लेकिन अपनी ओर से कुछ करके वे हमारे बीच की स्थिति या जमीनी हकीकत को बदलने वाले नहीं हैं.”
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