आलमी तब्लीगी इज्तिमा स्थल में एक करोड़ लीटर पानी का इंतजाम किया गया है। इसमें 45 लाख लीटर वेस्ट वाटर निकल रहा है। इसका 100 प्रतिशत ट्रीटमेंट पीएचई और इज्तिमा कमेटी मिलकर कर रही है। पानी के सदुपयोग के लिए इसे तीन हिस्सों में बांटा है।
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इसके अलावा यहां सूखा और गीला कचरा अलग-अलग इकट्ठा किया जा रहा है। रोज 100 से 140 मीट्रिक टन कचरा निकल रहा है। सूखे कचरे को पीसीबी के ऑथराइज्ड सेंटर पर भेजकर साइंटिफिक रिसाइकिलिंग की जाएगी। गीले कचरे का उपयोग खाद बनाने में किया जा रहा है।
एक नजर… तीन हिस्सों में पानी का ट्रीटमेंट
1. पहले भाग में बड़े वुजूखाने में रोज उपयोग में आने वाला 8 लाख लीटर पानी संग्रहित होता है। इसके लिए 20 हजार लीटर क्षमता के 5 प्वाइंट हैं। यहां पानी के ट्रीटमेंट के बाद स्प्रिंकलर से इज्तिमा स्थल पर छिड़का जाता है, ताकि धूल न उड़े।
2. दूसरे हिस्से में नहाने, बर्तन धोने और छोटे वुजूखाने में इस्तेमाल पानी का सदुपयोग किए जाने का प्रबंध है। यानी रोज ग्राउंड वाटर रिचार्ज हो रहा है। यह 7.20 लाख लीटर है। इसके लिए 300 पॉइंट हैं। हर पॉइंट 1 घंटे में 100 लीटर पानी सोखता है।
3. तीसरा हिस्सा टॉयलेट में आने वाले पानी का है। इसका काफी मात्रा में उपयोग एग्रीकल्चर में किया जाता है। इसके अलावा पानी का ट्रीटमेंट करके नाले में छोड़ा जा रहा है। इसके लिए एक लाख लीटर के 5 टैंक बनाए हैं।
इज्तिमा का प्रबंध ठोस अपिशष्ट प्रबंधन का बड़ा उदाहरण हैं। अब सभी धार्मिक आयोजनों में ऐसी व्यवस्था अपनाई जाएगी।-इम्तियाज अली, सदस्य, ठोस अपशिष्ट सलाहकार समिति मप्र
पीएचई के वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश में सभी व्यवस्थाएं सुचारू रूप में संचालित हो रही है। और वेस्ट वाटर का 100% ट्रीटमेंट हो रहा है। –वसीउद्दीन, उपयंत्री, पीएचई
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