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ऑस्ट्रेलिया में बच्चों के सोशल मीडिया बैन की तैयारी: संसद में बिल पेश, ऐसा करने वाला दुनिया का पहला देश; UK भी विचार कर रहा

कैनबरा6 घंटे पहले

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ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन में जल्द 16 साल से कम उम्र के बच्चों के सोशल मीडिया इस्तेमाल पर बैन लगाया जा सकता है। ऑस्ट्रेलियाई संसद में इसे लेकर एक विधेयक भी पेश किया गया है। बिल के मुताबिक, अगर एक्स, टिकटॉक, फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म बच्चों को अकाउंट रखने से रोकने में नाकाम रहते हैं तो उन पर 32.5 मिलियन डॉलर तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।

संचार मंत्री मिशेल रोलैंड ने ऑस्ट्रेलिया की संसद में दुनिया का पहला ऐसा बिल पेश किया। इस बिल के मुताबिक, सुरक्षा तय करने की जिम्मेदारी माता-पिता या बच्चों की जगह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स की होगी। उन्होंने संसद को बताया, “बहुत से युवा ऑस्ट्रेलियाई लोगों के लिए सोशल मीडिया नुकसानदायक हो सकता है। 14 से 17 साल की उम्र के लगभग 66% ऑस्ट्रेलियाई लोगों ने ऑनलाइन बहुत हानिकारक कंटेट देखा है, जिसमें नशीली दवाओं का इस्तेमाल, आत्महत्या या खुद को नुकसान पहुंचाना शामिल है।”

पक्ष विपक्ष दोनों का बिल को समर्थन

इस विधेयक को लेबर पार्टी और विपक्षी लिबरल पार्टी का समर्थन हासिल है। इसमें माता-पिता की सहमति या पहले से मौजूद खातों के लिए कोई छूट नहीं दी जाएगी। कानून बनने के बाद, प्लेटफॉर्म के पास प्रतिबंध को लागू करने के तरीके पर काम करने के लिए एक साल का वक्त होगा।

ऑस्ट्रेलिया की संसद में संचार मंत्री मिशेल रोलैंड ने ऑनलाइन सेफ्टी अमेंडमेंट बिल पेश किया।

ऑस्ट्रेलिया की संसद में संचार मंत्री मिशेल रोलैंड ने ऑनलाइन सेफ्टी अमेंडमेंट बिल पेश किया।

ब्रिटिश सरकार भी बैन की तैयारी कर रही

ऑस्ट्रेलिया के नक्शे कदम पर चलते हुए, ब्रिटिश सरकार भी 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया बैन पर विचार कर रही है। बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार , ब्रिटेन के टेक्नोलॉजी सेक्रेटरी पीटर काइल का कहना है कि वह ऑनलाइन सुरक्षा तय करने के लिए “जो भी करना होगा, करेंगे”। खासतौर पर बच्चों के लिए।

पीटर काइल ने यह भी कहा कि युवाओं पर स्मार्टफोन और सोशल मीडिया के प्रभावों को लेकर और ज्यादा रिसर्च करने की जरूरत है। अभी इसे लेकर अभी तक हमारे पर कोई ठोस सबूत नहीं है।

पीएम मोदी भी सोशल मीडिया के खतरों से आगाह कर चुके हैं

भारत समेत दुनिया भर के कई देशों में सोशल मीडिया के जरिए डीपफेक, डिजिटल अरेस्ट और ऑनलाइन फ्राड जैसे कई मामले सामने आते रहे हैं। पिछले साल दिसंबर में भारत सरकार ने भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के लिए एडवायजरी जारी की थी। इसमें उनसे डीपफेक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से फैलने वाली गलत इन्फॉर्मेशन को लेकर सूचना प्रौद्योगिकी (IT) नियमों का पालन करने को कहा गया था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी डीपफेक टेक्नोलॉजी और डिजिटल अरेस्ट के खतरों पर बात कर चुके हैं। पिछले साल ही बॉलीवुड एक्ट्रेस रश्मिका मंदाना और काजोल का डीपफेक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। रश्मिका मंदाना के डीपफेक वीडियो पर अमिताभ बच्चन से लेकर खुद रश्मिका मंदाना तक ने हैरानी जताई थी।

एक भारतीय कम से कम 11 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर मौजूद

रिसर्च फर्म ‘रेडसियर’ के मुताबिक इंडियन यूजर्स हर दिन औसतन 7.3 घंटे अपने स्मार्टफोन पर नजरें गड़ाए रहते हैं। इसमें से अधिकतर टाइम वे सोशल मीडिया पर बिताते हैं। जबकि, अमेरिकी यूजर्स का औसतन स्क्रीन टाइम 7.1 घंटे और चीनी यूजर्स का 5.3 घंटे है। सोशल मीडिया ऐप्स भी इंडियन यूजर्स ही सबसे ज्यादा यूज करते हैं। अमेरिका और ब्रिटेन में एक इंसान के औसतन 7 सोशल मीडिया अकाउंट्स हैं, जबकि एक भारतीय कम से कम 11 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर मौजूद है।

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