छिंदवाड़ा के तामिया में कर्ज से परेशान दंपती के सुसाइड मामले में पुलिस ने एक और सुसाइड नोट बरामद किया है। दंपती ने 13 जनवरी को जहर खाकर जान दे दी थी। तब पुलिस को तीन पेज का सुसाइड नोट मिला था।तीसरा सुसाइड नोट थाना प्रभारी के नाम पर लिखा गया है। बता दे
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सुसाइड करने वाले दंपती रामलखन और भूमिलता रघुवंशी के बड़े बेटे जागृत रघुवंशी उर्फ शिवम का कहना है कि मम्मी-पापा ने सुसाइड के एक दिन पहले फोन किया था। वह खूब रोईं, लेकिन हम तब भी नहीं समझ पाए। हमें लगा दोनों बेटों के दूर रहने के कारण उन्हें याद आ रही है, इस कारण वह रो रही होंगी।
दो अलग-अलग सुसाइड नोट में पहला नोट तीन पार्ट में लिखा गया है, जबकि दूसरा थाना प्रभारी के नाम पत्नी भूमिलता रघुवंशी ने लिखा है। इसमें टॉर्चर करने के आरोप लगाए हैं।
पढ़िए दूसरे सुसाइड नोट में भूमिलता ने क्या लिखा…
श्रीमान थाना प्रभारी हम दोनों कर्ज वालों से बहुत ज्यादा परेशान हो चुके हैं। मूल रकम से दो गुना दे चुके हैं। मनमाना ब्याज लगा रहे हैं। धमकी देकर कोरे स्टाम्प पर दोनों के साइन ले लिए। कोरे चेक के लिए जान से मारने की धमकी दे रहे हैं। इस कारण से हम दोनों अपने आप को समाप्त कर रहे हैं। हमारे दोनों बच्चों को ये लोग परेशान न करें ये आपकी जिम्मेदारी है।– भूमिलता रघुवंशी
बेटा जागृत बोला, मम्मी-पापा डिप्रेशन में थे दंपती का बड़ा बेटा जागृत रघुवंशी उर्फ शिवम का कहना है कि सुसाइड के पहले मम्मी-पापा ने फोन-पे से किए गए ट्रांजेक्शन के स्क्रीन शॉट भेजे थे। यह उन्होंने 12 जनवरी दोपहर एक बजे भेजे थे। स्क्रीन शॉट मिलने के बाद मैंने पूछा भी था कि यह मुझे क्यों भेजे हैं। इस पर मम्मी-पापा ने कहा था कि फोन खराब हो रहा है। इन्हें संभालकर रखना, कहीं यह डिलीट न हो जाए, इसलिए तुम्हें भेज दिया है।
फोन पर बात करते-करते मम्मी-पापा रोये भी थे। तो हमें भी समझ आ गया था दोनों काफी ज्यादा डिप्रेशन में थे। जब भी हम घर आते थे तो मां-पापा हमेशा हंसते-खेलते रहते थे, लेकिन इस बार काफी इमोशनल लग रहे थे। पता नहीं क्या कुछ हुआ था।
मम्मी-पापा ने जो ट्रांजेक्शन भेजा है, उसमें दो लोगों का लग रहा है। इसमें एक अमित कुमार शर्मा, कल्लू सरदार और एक तरुण हतवास है। अमित कुमार शर्मा के ट्रांजेक्शन में करीब 7 लाख समझ में आ रहा है और कल्लू सरदार के एक से डेढ़ लाख का लग रहा है। तरुण हतवास को तीन से चार लाख रुपए दिए हैं। इसके मेरे पास स्क्रीन शॉट हैं। इसके अलावा फोन से और भी जानकारी मिल सकती है।
जागृत बोला- इतना भी कर्ज नहीं था कि पटा नहीं सकें जागृत रघुवंशी का कहना है कि तीन पेज के सुसाइड नोट में लिखा हुआ था कि किससे कितना कर्ज लिया गया है। इसमें इतना बड़ा कर्ज नहीं था कि जो हम पटा नहीं सकते थे। लग तो यही रहा था कि उन्हें टॉर्चर ज्यादा किया जा रहा था।
मेरे मम्मी-पापा बहुत हिम्मत वाले थे। बस उन्हें टॉर्चर ज्यादा किया गया है, क्योंकि वह डिप्रेशन में बहुत रहती थीं। कई लोगों के फोन आते रहते थे, लेकिन हमने कभी भी उनका फोन नहीं देखा था। अभी फोन सहित अन्य सामान को पुलिस ने जब्त कर लिया है।
दंपती का बड़ा बेटा जागृत रघुवंशी और सत्यम रघुवंशी।
आर्थिक संकट से जूझ रहा था परिवार दंपती के बेटे जागृत उर्फ शिवम रघुवंशी (21) और सत्यम रघुवंशी (17) की प्रारंभिक पढ़ाई जुन्नारदेव से हुई थी। कोरोना के समय से परिवार की आर्थिक हालत खराब होने लगी। किराना दुकान में रखा आधे से अधिक सामान खाली हो चुका था। परिजनों ने आर्थिक हालत को पटरी पर लाने के लिए टिफिन सेंटर का काम शुरू किया।
बड़ा बेटा शिवम शुरू से पढ़ाई में अच्छा था। वह 12वी में 85%से ज्यादा अंक हासिल कर इंदौर डीएवीवी विश्विद्यालय में बीसीए करने चला गया। पढ़ाई में आने वाले 1 लाख 50 हजार रुपए का खर्च सरकार की स्कॉलरशिप से मिल रहा था। शिवम के सामने इंदौर में खुद का खर्चा चलाना बड़ी समस्या थी। परिवार वाले इधर-उधर से ब्याज पर मांगकर हर माह 6000 रुपए माह भेजते थे। शिवम को तीसरे साल सन 2023/24में 8 हजार रुपए इंटर्नशिप से मिलने लगे थे, जिससे वह स्वयं का खर्च उठाने लगा था। 2023-24 में ड्रॉप कर एमबीए के एग्जाम कैट का इंट्रेंस दिया। इसमें 87अंक ही हासिल हुए, जबकि 98 अंक पर कैट का कट-आउट हुआ था। इसके बाद छोटे भाई सत्यम रघुवंशी ने जुन्नारदेव में 12 वी क्लास 80% से पास करने के बाद बड़े भाई के पास पढ़ाई के लिए इंदौर चले गए। यहां सत्यम बीबीए की पढ़ाई को पहला सेमेस्टर ही हुआ था कि माता पिता की दुखद खबर सामने आ गई।
दंपती ने सुसाइड के पहले ट्रांजेक्शन के स्क्रीन शॉट बेटे को भेज दिए थे।
2013 में होम लोन लेने के बाद परिवार के बिगड़े हालात
छोटी सी किराना दुकान चलाने वाले रघुवंशी परिवार ने 25 लाख से अधिक का होम लोन बैंक से लिया था। उनके बेटे शिवम के मुताबिक प्रतिमाह 20 हजार रुपए की किस्त आती थी। छोटी सी किराना दुकान से होम लोन की किश्त पटाना और घर चलाना भी मुश्किल हो रहा था। परिवार के बढ़ते खर्च और जिम्मेदारियों की वजह से धीरे-धीरे कर्ज और उधारी के जाल में फंसते चले गए।
छोटे बेटे सत्यम ने बताया कि पिछले कुछ दिनों से फोन आने के बाद पिताजी और मां मेरे पास से हटकर बात करते थे, ताकि मुझे पता नहीं चल पाए। माता-पिता कई बार रोते दिखे, लेकिन कभी कुछ बताते नहीं थे।
दंपती रामलखन और भूमिलता रघुवंशी।
मामले में 6 पर केस दर्ज, 5 गिरफ्तार दंपती सुसाइड मामले में तामिया पुलिस ने 6 में से पांच युवकों को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि एक आरोपी फरार है। बता दें कि दंपती ने सुसाइड नोट में 6 सूदखोरों का जिक्र किया था। इस आधार पर पुलिस ने राजेंद्र उर्फ राजा बंदेवार (42) पिता हीरा चंद बंदेवार निवासी तामिया, भागवत पिता जगत सूर्यवंशी( 61) निवासी तामिया को गिरफ्तार किया है।
राजू गोलहानी उर्फ राजू साहू पिता तुलसीराम साहू (50) पांडु पिपरिया, संतोष उर्फ कन्नू पिता सियाराम रघुवंशी (39) पिपरिया जिला नर्मदापुरम, प्रणवीर सिंह पिता गणेश सिंह रघुवंशी (75) नर्मदापुरम को गिरफ्तार किया गया है, जबकि कल्लू सरदार फरार है। तामिया पुलिस का कहना है कि इन सभी 6 सूदखारों ने दंपती को कर्ज देकर 10 से 20% तक ब्याज लिया और धमकियां दीं। इसी से प्रताड़ित होकर दंपती ने सुसाइड किया था।
अब दंपती द्वारा तीन पार्ट में लिखे पहले सुसाइड नोट से भी गुजर जाइए…
13 जनवरी को पुलिस को सूचना मिली की बिजोरी के रहने वाले किराना व्यापारी और उनकी पत्नी मृत हालत में घर में पड़े हैं। पुलिस मौके पर पहुंची। दोनों शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए भिजवाया। पीएम रिपोर्ट में जहर खाने से मौत होना पाया गया। पड़ताल के दौरान पुलिस के हाथ दंपती का लिखा गया सुसाइड नोट लगा। जिसमें उन्होंने खुदकुशी करने के कारणों का जिक्र किया था।
खुदकुशी करने के पहले दंपती ने तीन पेज का सुसाइड नोट छोड़ा है।
पहला पेज- बेटों को बताया पैसा जरूरी क्यों?
हमारे दोनों के बेटों के लिए…शिवम, सत्यम हमें माफ कर देना बेटा। अपना साथ यहीं तक था। हम माफ करने लायक तो नहीं हैं पर हमें माफ कर देना बेटा। हम मजबूर हो गए हैं। अब हमसे सहन नहीं हो पा रहा है। अब हम हार चुके हैं। हमारे पैसों के लेन-देन से तुम्हारा कोई वास्ता नहीं है। तुम अपने आपको कभी कर्जदार मत समझना।
हमारे द्वारा जितना पैसा लिया गया था उससे 4 गुना ज्यादा पटा चुके हैं। तुम्हे यदि किसी के द्वारा परेशान किया गया तो तुम थाने जाना। इसमें स्मिता मौसी और यशवंत मामा का साथ लेना। तुम कभी डरना मत। इन के पैसों में से तुम्हें कभी 1 रुपए भी नहीं दिया गया है। हम मरकर भी नहीं मरेंगे, हम सदा तुम्हारे साथ तुम्हारा साया बनकर रहेंगे।
तुम अपने आप को कभी अकेला नहीं समझना। अपने छोटे भाई का मां-बाप बनकर साथ देना और मां का प्यार देना। अब तुम दोनों ही एक-दूसरे का सहारा हो, तुम यह मान लेना की एक एक्सीडेंट में हमारे मां-बाप चले गए। तुम्हें पत्थर बनकर रहना है और अधूरे सपने पूरा करना है। हम दोनों की कसम है। तुम कभी हार मत मानना।
एक बात हमेशा याद रखना, पैसों के कारण ही आज हमें एक-दूसरे से बिछड़ना पड़ रहा है, इसलिए पैसे हमेशा संभालकर रखना। आज के समय में पैसा ही सबकुछ है। बगैर पैसों के चलते पहले घर के लोग ही साथ छोड़ते हैं। मौका मिला अगर जीवन में तो एक IAS ऑफिसर बनकर हमें दिखाना।
हम सब देखेंगे, कभी अकेला मत समझना। हम सब देखते रहेंगे। अपने छोटे भाई को कभी गलत रास्ते में मत जाने देना। वो गुस्सैल है पर तू तो समझदार है। हम जानते हैं रास्ता बहुत कठिन है, परंतु तुझे हार नहीं मानना है। तुझे सबको दिखाना है, तू किसका बेटा है, तू कभी किसी के सामने शर्मिंदा मत होना।
हमने जिनका पैसा लिया था उसका 4 गुना पटा चुके हैं। रही समूह वाली बात तो वह कुछ नहीं बिगाड़ सकती है, जिस दिन उस लायक हो जाओगे तो इनके घर की मदद कर देना। कभी ब्याज का काम करने वालों से पैसा मत लेना। जितनी चादर, उतना ही पैर पसारना।
कोरोनाकाल में कितने घर तबाह हो गए, यही समझना और यहां से जल्द से जल्द जाने की कोशिश करना। हम तुम्हारे जाने के लिए किराया का पैसा तक नहीं रख पाए, हमें माफ करना। हमारी 13वीं मत करना, हम हमेशा तुम्हारे साथ मरकर भी रहना चाहते हैं।
दूसरा पेज- 20% ब्याज पर कर्ज लिया, मिल रही थी धमकी
ओम जयश्री श्याम देवाय नम:…आज रात हम दोनों पति-पत्नी भूमिलता रघुवंशी, पत्नी श्री रामलखन रघुवंशी पूरे होशो हवास में अपनी जिंदगी समाप्त करने जा रहे हैं। हम अपनी जिंदगी से परेशान हो चुके हैं। हमारे द्वारा कुछ आदमियों से कर्ज लिया गया था जो कि 10%, 20% से हमें दिया गया था।
हमें मजबूरन एक कर्ज को चुकाने के लिए दूसरा कर्ज, दूसरे को चुकाने के लिए तीसरा कर्ज मजबूरन लिया गया, क्योंकि जिनके द्वारा कर्ज लिया गया वह एक दिन के लिए भी नहीं मानते थे। इसलिए हमें मजबूरन यह कर्ज लेना पड़ता था, जिसका हमारे द्वारा मूलधन से ज्यादा ब्याज दे चुके हैं।
परंतु इनके द्वारा इकट्ठा पैसे देने के लए कहा जाता था तो वह नहीं मानते थे और हमें कई तरीके से धमकाया जाता था। हमें इतना ज्यादा परेशान किया जा चुका है कि हमारा खाना, सोना सब हराम हो चुका है। हमारे द्वारा कभी किसी का 1 रुपए भी नहीं खाया जा सकता था, परंतु अब हम प्रयास करते करते हार चुके हैं।
अब हमें कोई रास्ता ही नजर नहीं आ रहा है। हमारे द्वारा चार-पांच महिलाओं का लोन भी लिया गया था, क्योंकि सारे समूहों की मीटिंग मेरे यहां लगती थी। उनके लोन की किस्त 3-4 माह की ही बची हुई है।
मैंने पूरी ईमानदारी से उनका लोन अभी तक चुकाया है। मैं उनके साथ कोई बेइमानी नहीं करना चाहती थी। उन्होंने मेरे ऊपर मेहरबानी की थी, परंतु मैं मजबूर हूं। मुझे माफ करना। तुम लोगों को शर्मिंदा होने की जरूरत नहीं है। यदि किस्त वाले आएं तो कह देना हमारी हैसियत ही नहीं है। वो कुछ नहीं कर सकते।
अभी हमारे बच्चे भी इस लायक नहीं हुए है कि वो अपनी घर गृहस्थी चला सकें। परंतु हमारे द्वारा परासिया कल्लू से एक बार 150000, एक बार 100000, एक बार 25000 रुपए लिया गया, जिसमें हम दोनों पति-पत्नी के काेरे चेक एवं काेरे स्टाम्प पर हमसे साइन लिए गए। जिनका ब्याज 10% से लगभग 1 वर्ष दिया जा रहा है।
कभी कैश एवं कभी फोनपे से दिया जा रहा है, जो दिसंबर तक चुकाया। इनका एक दिन भी लेट नहीं हो सकता था। 15-16 तारीख को ले लिया जाता था, परंतु अब हम इसे चुकाने में असमर्थ हैं। यदि एक दिन भी लेट हुआ तो पूरे पैसे लौटाने के लिए धमकी दी जाती थी। इन पैसों को चुकाने के लिए हमारे द्वारा कल्लू जो कि तरुण पिपरिया का है। इसके द्वारा फोनपे में पैसे डलवाए जाते थे, जो कि एक दिन का 10000 से 500 रुपए लेता था।
तीसरा पेज- एक कर्ज को चुकाने दूसरा कर्ज लिया
हमारे द्वारा डेट पर रुपए नहीं चुका पाने पर कभी 10 का 50000 तो कभी 20000 का 85000 हो जाता था। हमारे द्वारा मजबूरन इन्हें इंतजाम करके दिया गया। इस प्रकार हमारे द्वारा बिजनेस लोन भी लिया गया, परंतु वह सब ब्याज में चला गया। हमारी रोजी रोटी भी चलना मुश्किल हो गई।
इसी प्रकार हमारे द्वारा पटेल से भी 70000 रुपए लिया गया था, जिसका 7% से 5000 रुपए उनको दिया जा रहा था। 15 हजार रुपए हमसे सोमवार के दिन किसी भी कीमत में देने के लिए धमकी दी गई। इसी प्रकार राजा से 12% से पैसालिया गया था (40000) जिसका हमने लगभग 150000 रुपए दे चुके हैं।
इसी प्रकार भगवत तामिया एवं राजू पांडू पिपरिया से भी पैसा लिया गया था, जो कि जायज ब्याज 3% ले रहे थे। इनके द्वारा हमारी मदद की गई। इनका भी ब्याज हमारे द्वारा 5–6 वर्ष से चुकाया जा रहा है, पर पैसा भी सारा बड़े ब्याज वालों को चुकाने में चला जा रहा था।
इसी प्रकार दो–चार लोगों से हमारे द्वारा पैसा लिया गया और हमसे जितना पैसा है उससे दोगुने का चेक लिया गया। हमें मजबूरी में देना पड़ा। जो लोग डेट फिक्स वाले थे वो मानते ही नहीं थे। हमारे इनकम के साधन ब्याज के कारण बंद हो चुके थे।
अब हम हार चुके हैं। इन पैसे का 1 रुपए का इस्तेमाल हमारे बच्चों के लिए नहीं किया गया। उन्हें जो स्कालरशिप मिलती थी उसी में उनके द्वारा पढ़ाई की जा रही थी। बड़े बटे के द्वारा नौकरी करके 10–15 हजार रुपए कमाकर मकान का किराया एवं खाने–पीने की व्यवस्था की जाती थी। बच्चों का इस लेन–देने से कोई वास्ता नहीं है।
कृपया कर हमारे दोनों बच्चों की सुरक्षा थाना प्रभारी द्वारा की जाए, क्योंकि दोनों बच्चे छोटे हैं। आज हमें जहर भी उधार के पैसों से ही खाना पड़ रहा है। क्योंकि सोमवार से ही सभी लोग पैसों के लिए आ जाते एवं समूह की किस्त भी सोमवार से चालू हो रही थी जो कि सोमवार, बुधवार, शुक्रवार की है। इसी बीच में ब्याज वालों की डेट भी है। जो हमें जीने नहीं देते।
महाराष्ट्र बैंक तामिया में समूह लोन के लिए भी चुकाने के लिए परेशान किया जा रहा था, जिसे हमारे द्वारा डबल पटाया जा चुका है। तथा अभी 110000 रुपए अभी किया किया गया है, जिसे तीन माह के अंदर 300000 पटाने के लिए कहा गया था, यदि नहीं पटाया गया तो यह पैसे लेप्स होने के लिए कहा गया। -भूमिलता रघुवंशी, रामलखन रघुवंशी
घर के अंदर पलंग पर मृत हालत में भूमिलता रघुवंशी और पति रामलखन रघुवंशी।
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