मध्यप्रदेश के मऊगंज विधानसभा के बीजेपी विधायक प्रदीप पटेल 17 जनवरी को देवतालाब विधानसभा क्षेत्र के सीतापुर पहुंचे। यहां एक आपराधिक मामले को लव जिहाद का रूप देते हुए उन्होंने स्थानीय प्रशासन पर दबाव बनाया और लौर टीआई और एक एएसआई को सस्पेंड करा दिया।
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मऊगंज विधायक की ये दखलअंदाजी पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और देवतालाब के विधायक गिरीश गौतम को रास नहीं आई है। गिरीश गौतम ने प्रदीप पटेल पर व्यंग्य कसते हुए कहा- लगता है कि मऊगंज में अब कोई समस्या नहीं रह गई है, इसलिए प्रदीप पटेल देवतालाब विधानसभा में दखल दे रहे हैं।’ वहीं प्रदीप पटेल का कहना है कि वे हमारे वरिष्ठ नेता हैं। उन्होंने किस तारतम्य में ऐसा कहा यह वे ही बता सकते हैं।
दरअसल, एमपी में बीजेपी के दो विधायकों के बीच तनातनी का ये पहला मामला नहीं है। इससे पहले विंध्य और बुंदेलखंड के बीजेपी विधायकों के बीच तनातनी के मामले सामने आ चुके हैं। सीधी की विधायक रीति पाठक ने ने तो मंच से ही स्वास्थ्य मंत्री और डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल से कहा कि वे रीवा से निकलकर सीधी में भी विकास कराएं।
वहीं सागर जिले की खुरई से विधायक भूपेंद्र सिंह और सुरखी विधायक गोविंद सिंह राजपूत के बीच तनातनी चल ही रही है। पिछले महीने विधानसभा के बजट सत्र के दौरान दोनों ने एक दूसरे के खिलाफ बयान दिए थे। पढ़िए एमपी में किस तरह से बीजेपी विधायकों के बीच तनातनी के मामले सामने आए हैं।
मऊगंज के बीजेपी विधायक प्रदीप पटेल।
पहले जानिए क्या है मऊगंज जिले के विधायकों के बीच विवाद देवतालाब विधानसभा क्षेत्र के सीतापुर गांव में एक युवक पर किशोरी को बहला फुसलाकर भगा ले जाने का आरोप था। किशोरी के परिजन की शिकायत पर पुलिस ने 6 जनवरी को मामला दर्ज किया। पुलिस ने किशोरी को बरामद कर लिया, मगर युवक फरार था।
थाने में जब किशोरी के बयान दर्ज कराए गए तो उसने कहा कि वह अपनी मर्जी से युवक के साथ गई थी। जब किशोरी के परिजनों ने पुलिस पर दबाव बनाया तो पुलिस की टीम ने मुंबई जाकर युवक को गिरफ्तार कर लिया। इतना ही नहीं, उस पर एनएसए की कार्रवाई भी की गई।
मामले में मऊगंज विधायक की एंट्री हुई इस मामले में नया मोड़ तब आया, जब मऊगंज विधायक प्रदीप पटेल ने इसे लव जिहाद का मामला बताया। 17 जनवरी को पटेल सीतापुर पहुंचे। उन्होंने परिजन से मुलाकात की और लौर थाना पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने जिला कलेक्टर और एसपी से मुलाकात कर थाना प्रभारी पर कार्रवाई की मांग की।
विधायक के दबाव बनाने के बाद मऊगंज एसपी रसना ठाकुर ने लौर थाना प्रभारी जगदीश ठाकुर और एएसआई फत्ते लाल साकेत को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया गया।
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एसपी बोलीं- विधायक के सबूत के आधार पर की गई कार्रवाई इस मामले में मऊगंज एसपी रसना ठाकुर का कहना है कि युवक के खिलाफ किशोरी के अपहरण की शिकायत परिजन ने दर्ज कराई थी। मगर, तत्काल मुकदमा दर्ज नहीं किया था। शिकायत मिलने पर मामले की तसदीक एसडीओपी से कराई गई। उन्होंने रिपोर्ट दी कि टीआई और एएसआई ने लापरवाही बरती। इसी के आधार पर उनके निलंबन की कार्रवाई की गई।
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प्रदीप पटेल की कार्यशैली से नाराज हैं गिरीश गौतम ये पहला मामला नहीं है जब प्रदीप पटेल ने अपनी पड़ोसी विधानसभा देवतालाब में जाकर दखल दिया हो। इससे पहले पथरहा गांव में उन्होंने अल्पसंख्यक समुदाय पर हरिजन बस्ती में जबरन कब्जा करने का आरोप लगाते हुए हंगामा किया था। उस वक्त देवतालाब के विधायक और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने किसी तरह की प्रतिक्रिया नहीं दी थी।
इस बार वे प्रदीप पटेल के इस रवैये से नाराज हैं। गिरीश गौतम ने इस मामले में प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि टीआई और एएसआई को हटाना गलत है। पुलिस जब पहले ही मामले के आरोपी को गिरफ्तार कर चुकी है तो फिर पुलिस दबाव में क्यों आई ?
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कानून को किसी के दबाव में आकर काम नहीं करना चाहिए गिरीश गौतम ने ये भी कहा कि कोई विधायक धरना दे तो उसकी बात मानकर प्रशासन को फैसला नहीं लेना चाहिए। यदि मैं खुद धरने पर बैठ जाऊं तो प्रशासन क्या करेगा? गौतम ने ये भी कहा कि अब थाने और एसपी ऑफिस क्या विधायक चलाएंगे? विधायक पुलिस को सबूत इकट्ठा करके दे रहे हैं तो एसपी को चले जाना चाहिए। उन्होंने ये भी कहा कि विधायक ने पुलिस को इस मामले से जुड़े क्या सबूत दिए ये भी सार्वजनिक करना चाहिए।
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विधायक पटेल बोले- वे हमारे वरिष्ठ नेता पिछले साल 9 अक्टूबर को एएसपी अनुराग पांडे के कमरे जाकर प्रदीप पटेल दंडवत हो गए थे। एएसपी से कहा कि मुझे गुंडों से मरवा दीजिए, पूरा जिला नशे की चपेट में है। हाथ जोड़कर कहने लगे कि एएसपी साहब, आप मुझे मरवा दीजिए। इसका वीडियो भी सामने आया था।
वहीं 19 नवंबर को पटेल ने देवरा महादेवन मंदिर के पास अतिक्रमण गिराने को लेकर हंगामा किया था। 6 दिनों तक वे नजरबंद रहे। प्रशासन ने 24 नवंबर को उन्हें रिहा किया था। अब इस मामले को लेकर प्रदीप पटेल का कहना है कि परिजन बच्ची के गुम होने के बाद परेशान था, इसलिए उसकी मदद की।
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अब जानिए वो दो विवाद जो इससे पहले सुर्खियों में रहे
1.सीधी विधायक रीति पाठक बोलीं- स्वास्थ्य मंत्री पत्र का जवाब नहीं देते
रविवार 19 जनवरी को सीधी में एक निजी अस्पताल का उद्घाटन समारोह का कार्यक्रम हुआ। इस कार्यक्रम में विधायक रीति पाठक ने मंच से ही पार्टी के सीनियर लीडर और डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल को घेर लिया। उन्होंने आरोप लगाया कि अस्पताल के विकास के लिए जारी 7 करोड़ रुपए की राशि गायब हो गई।
ये भी कहा कि इसे लेकर स्वास्थ्य विभाग को 6 से 7 बार पत्र लिखा, लेकिन उपमुख्यमंत्री की ओर से कोई जवाब नहीं मिला। इस कार्यक्रम में डिप्टी सीएम और स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ला भी मौजूद थे। रीति पाठक ने आरोप लगाया कि हेल्थ डिपार्टमेंट उनके क्षेत्र की समस्याओं पर ध्यान नहीं देता है। उन्होंने डिप्टी सीएम से यहां तक तक कह दिया कि रीवा से निकलकर सीधी में भी विकास करिए।
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सीधी विधायक रीति पाठक ने मंच से ही आरोप लगाया कि स्वास्थ्य विभाग उनके क्षेत्र की समस्याओं पर ध्यान नहीं देता।
सीएम से मिलीं विधायक रीति पाठक मामला जब गर्माया तो रीति पाठक ने सोमवार को सीएम डॉ. मोहन यादव से मुलाकात की। उन्होंने सोशल मीडिया X पर इसकी तस्वीर भी शेयर की। उन्होंने लिखा- ‘मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से मुलाकात कर उनका मार्गदर्शन प्राप्त किया। इस दौरान उनसे सीधी के लिए स्वास्थ्य विभाग से संबंधित विषय से लेकर बाकी विषयों पर चर्चा की।
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सोमवार को विधायक रीति पाठक ने भोपाल में सीएम हाउस पहुंचकर मुख्यमंत्री से मुलाकात की।
2.बुंदेलखंड के पूर्व मंत्री और मौजूदा मंत्री आमने-सामने
सागर जिले में बीजेपी के पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह और मौजूदा खाद्य मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के बीच लंबे समय से तनातनी चल रही है। पिछले महीने भूपेंद्र ने गोविंद सिंह राजपूत का नाम लिए बगैर आरोप लगाया था कि एक मंत्री सागर में बीजेपी को खत्म करने में जुटे हैं। ऐसे लोगों को हम स्वीकार नहीं कर सकते, जिन्होंने भाजपा कार्यकर्ताओं पर अत्याचार किए थे।
वे लोग अब हमारी पार्टी में आकर फिर से कार्यकर्ताओं को प्रताड़ित कर रहे हैं। भूपेंद्र सिंह ने कहा था कि दो लोगों को लेकर मेरी आपत्ति पहले भी थी और आज भी है। प्रशासन उनकी बात सुन रहा है, जो कांग्रेस से आए हैं। प्रशासन को पता है कि कब किसकी सुनना है। प्रशासन जिनके इशारे पर काम कर रहा है, वे नहीं चाहते कि भाजपा के मूल कार्यकर्ता मजबूत हों।
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19 दिसंबर 2024 को भूपेंद्र सिंह ने मीडिया को ये बयान दिया था।
मंत्री राजपूत बोले- एक विधायक क्या पार्टी से बड़ा हो गया
भूपेंद्र सिंह के बयान पर मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने उनका नाम लिए बिना कहा था- भाजपा से मैं पहली बार विधायक का चुनाव लड़ा और 41000 वोट से जीता। दूसरा विधानसभा का चुनाव भाजपा से लड़ा और जीता। तीसरा चुनाव लोकसभा का हुआ, मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी मेरी विधानसभा में 86000 वोटों से जीती। तो मैं भाजपा का सक्रिय कार्यकर्ता हूं।
दूसरी बात जब मैं भाजपा में आया था तो राष्ट्रीय अध्यक्ष जी के नेतृत्व में भाजपा मैंने जॉइन की थी। प्रदेश का शीर्ष नेतृत्व उस समय मौजूद था। मैं राष्ट्रीय अध्यक्ष और राष्ट्रीय नेतृत्व के जॉइनिंग कराने पर भाजपा में आया। उस समय से लगातार मेहनत कर रहा हूं, काम कर रहा हूं। पार्टी को मजबूत कर रहा हूं।
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एक दिन बाद 20 दिसंबर को गोविंद सिंह ने भूपेंद्र सिंह के बयान पर पलटवार किया था।
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