यही वजह है कि WASP-193 b को एक्सोप्लैनेट्स के मामले में दूसरा सबसे हल्का ग्रह कहा जा रहा है। वैज्ञानिक अबतक 5400 से ज्यादा एक्सोप्लैनेट्स को खोज चुके हैं। सबसे हल्का एक्सोप्लैनेट Kepler 51 d को कहा जाता है।
बात करें, WASP-193 b की तो यह हमारी पृथ्वी से लगभग 1200 प्रकाश वर्ष दूर स्थित है। यह अपने तारे से करीब 6.3 मिलियन मील की दूरी पर उसकी परिक्रमा करता है। इसे अपने सूर्य का एक चक्कर पूरा करने में 6.2 पृथ्वी दिवस लग जाते हैं।
यह खोज वैज्ञानिकों के लिए उत्साह बढ़ाने वाली है। वह सोलर सिस्टम के बाहर मौजूद ग्रहों को तलाशने के लिए और उत्सुक होंगे। क्या पता किसी दिन ऐसा प्लैनेट भी मिल जाए, जहां जीवन की संभावना हो। इस खोज को अंजाम देने वाली टीम के को-लीडर और मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी (MIT) के साइंटिस्ट खालिद बरकौई ने एक बयान में कहा कि इतनी कम डेंसिटी वाले विशाल ग्रहों को ढूंढना दुर्लभ है। इसे आप फूला हुआ बृहस्पति भी कह सकते हैं। हालांकि यह रहस्य है कि असल में वह क्या है।
वैज्ञानिकों की टीम ने वाइड एंगल सर्च फॉर प्लैनेट्स (WASP) सिस्टम का इस्तेमाल करके WASP-193 का पता लगाया। WASP को दो रोबोटिक ऑब्जर्वेटरी और टेलीस्कोप एैरे मिलाकर बनाया गया है। एक ऑब्जर्वेटरी उत्तरी गोलार्ध में और दूसरी दक्षिणी गोलार्ध में है। यह रिसर्च जर्नल नेचर एस्ट्रोनॉमी में पब्लिश हुई है।
Source link
#गजब #वजञनक #न #खज #कटन #कड #जस #नरम #और #हलक #गरह
2024-08-15 15:39:57
[source_url_encoded