ग्वालियर शहर में डेंगू और चिकुनगुनिया पर स्वास्थ्य विभाग व प्रशासन नियंत्रण नहीं कर पा रहा है। इसे लेकर एक जनहित याचिका लगाई गई। जिसकी सुनवाई में हाई कोर्ट ने शासन के मुख्य सचिव, ग्वालियर कलेक्टर व नगरनिगम के आयुक्त को नोटिस जारी किया है और इन बीमारियों पर नियंत्रण न कर पाने की वजह जानी है। जवाब चार सप्ताह में देना होगा।
By Varun Sharma
Publish Date: Tue, 15 Oct 2024 08:14:31 AM (IST)
Updated Date: Tue, 15 Oct 2024 08:14:31 AM (IST)
HighLights
- कोर्ट ने रोकथाम की स्थिति संतोषजनक न होने पर जताई चिंता
- निगमायुक्त, जेएएच अधीक्षक सीएमओ से भी मांगा जवाब
- एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने उठाया कदम
नईदुनिया प्रतिनिधि,ग्वालियर। हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने डेंगू की रोकथाम के लिए वर्ष 2018 में दिए आदेश का पालन न किए जाने के चलते दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई की। इस दौरान डेंगू की रोकथाम में शासन की असफलता पर चिंता जताते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रमुख सचिव नीरज मंडलोई , नगरीय विकास मंत्रालय के प्रमुख सचिव संदीप यादव , कलेक्टर ग्वालियर रुचिका चौहान, नगर निगम आयुक्त अमन वैष्णव, जयारोग्य अस्पताल ग्वालियर के अधीक्षक डा. सुधीर सक्सेना सहित मुख्य चिकित्सा अधिकारी ग्वालियर डा. सचिन श्रीवास्तव को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए चार सप्ताह में जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं।
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ग्वालियर के अधिवक्ता अवधेश सिंह भदोरिया ने सुनवाई के दौरान न्यायालय में तर्क दिया गया कि उक्त याचिका में हाई कोर्ट ने सात अगस्त 2019 को विस्तृत आदेश पारित किया था, जिसमें हाई कोर्ट ने कहा था कि इस बीमारी से लड़ने के लिए शासन और प्रशासन को रोकथाम के विभिन्न तरीकों पर काम करना होगा, लेकिन हाई कोर्ट के दिशा निर्देश दिए जाने के बाद भी शासन और प्रशासन के अधिकारियों ने उक्त दिशा में जरा भी काम नहीं किया।
नतीजतन इस वर्ष भी ग्वालियर में डेंगू तथा चिकनगुनिया बीमारी ने महामारी का रूप ले लिया है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार अब तक लगभग 1200 लोग डेंगू की चपेट में आ चुके हैं। हाई कोर्ट ने इन तर्कों से सहमत होते हुए आदेश जारी कर दिया। बता दें अधिवक्ता अवधेश सिंह भदौरिया ने वर्ष 2018 में हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने ग्वालियर शहर में गंदगी के अंबार और उससे पनपती बीमारियों जैसे डेंगू, मलेरिया,स्वाइन-फ्लू, चिकनगुनिया को लेकर चिंता जताई थी। इसके साथ ही मलेरिया और डेंगू से पीड़ित मरीजों को उचित उपचार मुहैया कराने और उक्त बीमारियों की रोकथाम में शासन और प्रशासन की विफलता दर्शायी थी।
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