सूबे में हुए बाय इलेक्शन के बाद मंत्रियों से लेकर विधायक तक कैबिनेट में सिलेक्शन की आस लिए बैठे हैं। रिजल्ट के बाद वन एवं पर्यावरण मंत्री ने इस्तीफा दे दिया। जल्द ही इस्तीफे को मंजूर कर विभागों की जिम्मेदारी किसी मंत्री को दी जाएगी।
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चुनावी परिणामों के बीच एक नेता जी द्वारा कराई गई देवी की पूजा की चर्चा सियासी गलियारों में खूब हो रही है। खबर है कि करीब दो महीने पहले नेता जी ने पूजा कराई थी और अब चुनाव परिणामों के बाद लोग कह रहे हैं कि उनकी कराई गई पूजा असर कर गई है।
ये हैं लक्ष्मण; मुझे मंत्री, मुख्यमंत्री नहीं बनना पॉलिटिकल पार्टी में राज्य का मुखिया बनने के बाद स्वाभाविक रूप से सीएम फेस की रेस में शामिल हो जाते हैं। ऐसा ही कुछ एमपी में भी है। पार्टी के भीतर चल रही खींचतान से परेशान ऐसे ही एक नेताजी ने पार्टी की मीटिंग में कह दिया कि मेरा-तेरा नहीं चलेगा। हम सब पार्टी के लिए हैं। मुझे न मंत्री बनना है, न मुख्यमंत्री बनना है। बस सरकार हमारी पार्टी की बनना चाहिए।
मीटिंग में उन्होंने लक्ष्मण जी का परिचय भी कराया और कहा- इन्हें देख लो। ये हैं वो लक्ष्मण, जिन्हें आप लोग पहचान नहीं पा रहे थे।
अब कुछ मांगा तो कभी कुछ नहीं बन पाओगे हाल ही में सत्ताधारी दल की एक बड़ी बैठक हुई। इस बैठक में एक छोटे से जिले से बडे़ पद की आस लेकर आए नेता जी को सिफारिश भारी पड़ गई। नेता जी ने संगठन के एक बडे़ ओहदेदार के करीब जाकर कहा- भाई साहब, मेरा जरा देख लेना। आप कृपा कर दो।
ये सुनकर ओहदेदार ने कहा- सुनो, अगर मुझसे कुछ मांगा तो जिंदगी में कभी कुछ नहीं बन पाओगे। काम पर ध्यान दो। ये सुनकर नेता जी सकपका गए और दबे पांव दाएं-बाएं हो गए। नेता जी फॉर्मर विंग के डिस्ट्रिक्ट प्रेसिडेंट रह चुके हैं।
सांसद का कॉल- बिना हमारी परमिशन कैसे गए सूबे के एक सांसद जो केंद्र में मंत्री भी हैं, उनके निर्वाचन क्षेत्र में जमीनों की नाप-जोख के लिए पहुंचे पटवारियों के एक दल को कॉल आ गया। जांच टीम में शामिल एक पटवारी से कॉलर ने कहा- मैं सांसद बोल रहा हूं मेरी मर्जी के बिना जांच करने पहुंचे कैसे?
इसकी खबर सांसद जी तक पहुंची तो अब वे फोन करने वाले की जांच पड़ताल करा रहे हैं।
सरकारी गाड़ी से नहीं बस से सफर करते हैं IAS जो खानदानी रईस हैं…वो मिजाज नर्म रखते हैं अपना, एमपी में धनोपार्जन वाले विभाग में पदस्थ एक सीनियर अफसर का ऑनेस्ट वर्क कल्चर जगजाहिर है। वे आर्थिक राजधानी में पोस्टेड हैं और खजाना भरने वाले विभाग में पदस्थ होने के बाद भी सबको ईमानदारी से काम करने की नसीहत देते हैं। मातहतों को कोरा ज्ञान देने के बजाए वे खुद ऐसी मिसाल पेश कर रहे हैं, जिसकी चर्चा सरकार तक है।
साहब आर्थिक राजधानी से प्रशासनिक राजधानी आने-जाने के लिए सरकारी गाड़ी का उपयोग करने के बजाए बस से आते-जाते हैं।
डीजीपी की विदाई में दिखा अफसरों का मनमुटाव प्रदेश के पुलिस विभाग के चीफ की शुक्रवार को विदाई हो गई। इस विदाई के ठीक पहले पुलिस महकमे के स्पेशल डीजी का एक आदेश सोशल मीडिया में वायरल हो गया। आदेश में कहा गया कि राज्यपाल को छोड़कर सीएम और बाकी अफसरों की सलामी परेड बंद करने का निर्णय लिया जा चुका है लेकिन इसके बाद भी गुलामी की यह प्रथा अभी जारी है, ऐसी जानकारी मिली है। इसे तत्काल प्रभाव से बंद किया जाना चाहिए।
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फिफ्टी-फिफ्टी डील और अध्यक्ष का इस्तीफा
सत्ताधारी दल के एक विधायक इन दिनों सुर्खियों में हैं। वे एक स्थानीय मुद्दे को लेकर पुलिस और प्रशासन के सामने आ गए हैं। अपनी जिद पर इस कदर अड़े हैं कि कई घंटों तक उन्हें नजरबंद तक रखना पड़ा। अब इन सब के पीछे विधायक जी का असल एजेंडा क्या है?, उनकी मंशा क्या? विधायक के अपने दल के नेताओं के साथ ही विरोधी भी इसी खोज में जुटे हैं। पढ़ें पूरी खबर…
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