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पिता चाहते थे सरकारी नौकरी के करे बेटा, लेकिन उदय खेलता रहा ये खेल, कई मेडल जीतने के बाद हासिल किया ये मुकाम

पिता चाहते थे सरकारी नौकरी के करे बेटा, लेकिन उदय खेलता रहा ये खेल, कई मेडल जीतने के बाद हासिल किया ये मुकाम

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औरंगाबाद ने न सिर्फ अपना बल्कि अपने जिले का नाम भी रोशन किया है. उदय तिवारी ने सब जूनियर नेशनल कुश्ती प्रतियोगिता हरियाणा-2008 में बिहार का प्रतिनिधित्व किया. वहीं सब जूनियर नेशनल कुश्ती प्रतियोगिता 2009 में केरल के तिरुअनंतपुरम में बिहार का प्रतिनिधित्व कर चुके…और पढ़ें

औरंगाबाद. कहते हैं प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती हैं. व्यक्ति में अगर प्रतिभा हैं तो एक दिन कामयाब जरूर होगा. औरंगाबाद जिले के ओबरा प्रखंड के काझवां गांव निवासी रामनारायण तिवारी के पुत्र कुश्ती खिलाड़ी पहलवान उदय तिवारी ने अपनी प्रतिभा से अपने पिता और समाज को यह साबित कर के दिखाया कि गरीब किसान का बेटा भी सपना देख सकता है और उसमें कामयाब भी हो सकता है. बता दें पहलवान उदय तिवारी खेलो इंडिया के तहत पीसीए के पद पर कार्यरत हैं और बिहार कुश्ती संघ के लिए 5 बार से अधिक समय तक कोच की भूमिका निभाई है.

पहलवान उदय तिवारी ने बताया कि उनके पिता किसान हैं और वो चाहते थे कि उनका बेटा पढ़कर सरकारी नौकरी करे. लेकिन मुझे कुश्ती देखने और सीखने में अच्छा लगता है. इसके लिए मैंने कई बार पटना, हरियाणा, पंजाब सहित अन्य राज्यों में जाकर ट्रेनिंग ली है. बता दें उदय तिवारी ने सब जूनियर नेशनल कुश्ती प्रतियोगिता हरियाणा-2008 में बिहार का प्रतिनिधित्व किया. वहीं सब जूनियर नेशनल कुश्ती प्रतियोगिता 2009 में केरल के तिरुअनंतपुरम में बिहार का प्रतिनिधित्व किया. राष्ट्रीय जूनियर कुश्ती चैंपियनशिप-2011 में वह जम्मू में आयोजित प्रतियोगिता में शामिल हुए हैं.

पैसे की अभाव में शुरू की कोचिंग
पहलवान उदय तिवारी ने बताया कि पैसे की तंगी के कारण खिलाड़ियों को जूझना पड़ता था. पिताजी की इतनी कमाई नहीं थी, जिसके कारण मुझे अपना लक्ष्य बदलना पड़ा और कुश्ती को छोड़ मुझे कोच बनना पड़ा. बता दें उदय तिवारी को औरंगाबाद जिला कुश्ती संघ का सचिव बनाया गया जिसके बाद उदय ने दर्जनों खिलाड़ियों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट के लिए तैयार करना शुरू किया. उदय तिवारी द्वारा सिखाए गए खिलाड़ी आज देश भर में जिले का नाम रोशन कर रहे हैं.

सैकड़ों खिलाड़ियों को ट्रेनिंग दे रहे उदय
वहीं बिहार में खिलाड़ियों के प्रोत्साहन को लेकर सरकार के द्वारा कई योजनाओं को चलाया गया. इस दौरान मेडल लाओ नौकरी पाओ योजना भी चलाई गई. खेल मंत्रालय द्वारा बिहार के सभी 38 जिलों में खेलो इंडिया के तहत स्मॉल सेंटर बनाया गया और उसी में खिलाड़ियों के लिए हर तरह की सुविधाएं दी गई. उदय तिवारी ने बताया कि वैसे खिलाड़ी जिन्हें देश और राज्य के लिए मेडल लाया उन्हें बिहार राज्य खेल प्राधिकरण के तहत पीसीए पास्ट एथलीट चैंपियन में शामिल कर वैसे खिलाड़ियों को नौकरी दी गई. उदय तिवारी को भी इसमें शामिल किया गया है. जहां सैकड़ों बच्चों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है.

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