पन्ना के बाघों को संभावित कैनाइन डिस्टेंपर वायरस (सीडीवी) के संक्रमण से बचाने के लिए 1100 से अधिक कुत्तों का टीकाकरण किया जा रहा है। टीके लगाने का काम रिजर्व के बफर क्षेत्र में नवंबर से शुरू हुआ था और फरवरी के अंत तक चलेगा। हाल ही में छतरपुर में एक
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पन्ना की फील्ड डायरेक्टर अंजना सुचिता तिर्की ने कहा कि सीडीवी तेजी से फैलने वाला वायरस है जिससे प्रभावित प्राणी की मौत भी हो सकती है। कोई कुत्ता अगर इस वायरस से प्रभावित होता है तो उसके श्वसन, पाचन और नर्वस सिस्टम को ये बुरी तरह प्रभावित करता है।
फील्ड डायरेक्टर ने आगे कहा कि क्षेत्र में लिए गए कुत्तों के खून के नमूनों में सीडीवी और रेबीज के लक्षण मिल चुके हैं। इन कुत्तों के वन्य प्राणियों के संपर्क में आने के बाद ये वायरस फैल सकता है। संजय टाइगर रिजर्व भेजे गए बाघ में रेबीज वायरस पाया गया था। साथ ही, छतरपुर में बाघ और तेंदुए में सीडीवी मिल चुका है। 2015 में पन्ना में मरे 2 साल के बाघ के सैंपल इंडियन वेटरिनरी रिसर्च इंस्टिट्यूट, बरेली भेजे गए थे। इस जांच में बाघ के शरीर में सीडीवी होने की पुष्टि हुई थी। उस समय भी पार्क प्रबंधन ने बाघों के खून की जांच हुई थी और 1200 कुत्तों का टीकाकरण हुआ था।
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