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भाई की मौत का सदमा झेला, गरीबी को हराया… अब ऑटो ड्राइवर की बेटी ने 7 मेडल जीतकर रचा इतिहास!

भाई की मौत का सदमा झेला, गरीबी को हराया… अब ऑटो ड्राइवर की बेटी ने 7 मेडल जीतकर रचा इतिहास!

Agency:News18 Uttar Pradesh

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आर्थिक तंगी और तमाम बाधाओं को तोड़ पायल सिंह कामयाबी की कहानी लिख रही है. मंडल हैंडबाल की कप्तान रही पायल एक समय इकलौते भाई की मौत से पूरी तरह टूट चुकी थी. बावजूद इसके वह सात बार नेशनल खेल चुकीं हैं.

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कामयाबी की मिसाल बन रही पायल सिंह

पीयूष शर्मा/मुरादाबाद: आर्थिक तंगी और तमाम बाधाओं को पार कर पायल सिंह अपनी सफलता की कहानी लिख रही हैं. मंडल हैंडबाल टीम की कप्तान रह चुकीं पायल, एक समय अपने इकलौते भाई की मौत से पूरी तरह टूट गई थीं. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और अब तक सात बार नेशनल खेल चुकी हैं. 2019 में ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में स्वर्ण पदक जीता और 2017 से लगातार मंडल टीम की कप्तानी कर रही हैं. वर्तमान में वह विभिन्न प्रतियोगिताओं में रेफरी की भूमिका भी निभा रही हैं, जिससे वह अपने परिवार को आर्थिक सहायता दे सकें.

बहराइच के नया गांव निवासी अशोक कुमार ऑटो चालक हैं. उनकी पत्नी अनीता देवी और चार बेटियां—कोमल, काजल, पायल और महक हैं. पायल और महक खेल में अपना भविष्य बना रही हैं. पायल बताती हैं कि 2010 में वह बलदेव सिंह इंटर कॉलेज में पढ़ती थीं और बास्केटबॉल खेलती थीं. एक दिन जब उनकी टीम सोनकपुर स्टेडियम पहुंची, तो उन्होंने पहली बार हैंडबाल खेलते हुए खिलाड़ियों को देखा और तभी इस खेल में रुचि बढ़ गई.

छह साल की मेहनत और कई नेशनल टूर्नामेंट्स
2010 में सोनकपुर स्टेडियम से हैंडबाल की शुरुआत करने के बाद, पायल ने लगातार छह साल मेहनत की और कई राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया….
2016: जूनियर नेशनल, राजस्थान
2017: जूनियर नेशनल, नोएडा
2018: फेडरेशन कप, पंजाब
2018: जूनियर नेशनल, कर्नाटक
2019: ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स, बनारस (स्वर्ण पदक)
2020: नेशनल चैंपियनशिप, कानपुर (ब्रॉन्ज मेडल)
2023: नेशनल चैंपियनशिप, बनारस
उनकी छोटी बहन महक भी हैंडबाल खिलाड़ी हैं और बरेली और लखनऊ में जूनियर नेशनल स्तर पर खेल चुकी हैं.

2017 से संभाल रहीं मंडल टीम की कमान
पायल को 2017 में मंडल टीम की कप्तानी सौंपी गई. तब से वह कई राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओं में टीम का नेतृत्व कर चुकी हैं. स्टेडियम में कोई हैंडबाल कोच न होने के कारण, पायल खुद नए खिलाड़ियों को प्रशिक्षण देती हैं और टीम को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभा रही हैं.

भाई की मौत ने तोड़ दिया, लेकिन 2023 में फिर खड़ी हुईं पायल
2021 में पायल कानपुर में जूनियर नेशनल खेल रही थीं, तभी 14 अप्रैल को उनके इकलौते भाई निखिल की अचानक मौत हो गई. यह सदमा पायल के लिए बहुत बड़ा था, और वह पूरी तरह टूट गईं. लेकिन 2023 में उन्होंने हिम्मत जुटाई और दोबारा मैदान में वापसी की.

आज पायल न केवल खुद खेल रही हैं, बल्कि हैंडबाल प्रतियोगिताओं में रेफरी की भूमिका भी निभा रही हैं, ताकि अपने परिवार को आर्थिक रूप से सहयोग कर सकें. उनकी कहानी हर उस खिलाड़ी के लिए प्रेरणा है, जो संघर्षों से हारने की बजाय उन्हें जीत में बदलने का जज़्बा रखते हैं.

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भाई की मौत का सदमा झेला, गरीबी को हराया… 7 मेडल जीतकर रचा इतिहास!

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