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रावण बोला- मर्यादा पुरुषोत्तम थे, शांति मार्ग अपनाते: राम ने कहा-हनुमान,अंगद के जरिए समझाया था कि विनाश से बचो; प्रेरणा उत्सव में ‘हमारे राम’ का मंचन – Bhopal News

श्री रमेशचंद्र अग्रवाल स्मृति प्रेरणा उत्सव के तहत पहली बार भोपाल के रवींद्र भवन में शुक्रवार को ‘हमारे राम’ का मंचन हुआ।

भोपाल के रवींद्र भवन में श्री रमेशचंद्र अग्रवाल स्मृति प्रेरणा उत्सव के तहत शुक्रवार को ‘हमारे राम’ प्ले का मंचन हुआ। गौरव भारद्वाज निर्देशित इस पौराणिक नाटक में अभिनेता आशुतोष राणा ने रावण का किरदार निभाया।

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3 घंटे की प्रस्तुति के लिए मुंबई से 122 कलाकार और टेक्नीशियन की टीम भोपाल आई थी। नाटक की शुरुआत राम दरबार से हुई। इसमें कुछ दृश्य ऐसे भी हैं, जो कभी फिल्म या टीवी सीरियल्स में भी नहीं दिखाए गए और वाल्मीकि रामायण में लिखे गए हैं।

इस मौके पर दैनिक भास्कर समूह के डायरेक्टर गिरीश अग्रवाल ने कहा- प्रेरणा उत्सव का मूल मंत्र यह है कि हमारा आपके साथ संवाद बना रहे, एक रिश्ता बना रहे। हम मानते हैं कि हमने पापा से जितना सीखा है, उन्हें याद करके हर रोज और भी कुछ न कुछ जरूर सीखते हैं।

उन्होंने कहा कि ‘हमारे राम’ कहने को तो एक नाटक है, लेकिन इसे वास्तव में देखें तो अपने आप में एक युग को जीना है। पिछले 8 महीने में इस नाटक के 120 शो हो चुके हैं। मुझे किसी ने मुंबई में इस शो के बारे में बताया था। अब हमने अपने पापा की बर्थ एनिवर्सरी पर इसके मंचन का सोचा। इससे बढ़िया और क्या मौका हो सकता है कि ‘हमारे राम’ को हम अपने घर बुला लें।

बॉलीवुड अभिनेता आशुतोष राणा ने बताया कि आने वाले 31 मार्च तक नाटक 200 शो पूरे कर लेगा। अगले साल 50 शो अमेरिका में करने का भी प्लान है।

मर्यादा पुरुषोत्तम थे, युद्ध के बजाय शांति मार्ग अपनाते नाटक के आखिरी पल में रावण अपने दरबार में निद्रा की मुद्रा में होते हैं। इस बीच उनके सपने में राम आते हैं और दोनों के बीच संवाद होता है। रावण कहते हैं- तुम मर्यादा पुरुषोत्तम थे, युद्ध के बजाय शांति मार्ग अपनाते? इस पर राम जवाब देते हैं- मैंने कभी हनुमान, कभी अंगद, कभी जामवंत तो कभी कुंभकरण के जरिए तुम्हें समझाया था, ताकि विनाश से बचा जा सके।

इस संवाद से संदेश दिया गया कि सही मार्ग पर चलें। गलती करने पर हमेशा किसी न किसी माध्यम से ये जरूर पता चलता है कि आप गलत मार्ग पर हैं, फिर भी हम उन पर ध्यान नहीं देते।

नाटक की शुरुआत राम दरबार से हुई। तीन घंटे तक मंचन हुआ।

‘रावण’ की एंट्री ऐसी कि हर कोई आश्चर्यचकित रवींद्र भवन का हंसध्वनि सभागार खचाखच भरा था। रात 8 बजे मंच पर नाटक ‘हमारे राम’ के कलाकार अपने किरदारों को प्ले कर रहे थे। तभी सभागार के पीछे का दरवाजा खुला। धुन बजी ‘दशानन-दशानन धरा से गगन तक दशानन-दशानन। रावण के किरदार में अभिनेता आशुतोष राणा पब्लिक के बीच से निकलते हुए मंच पर पहुंचे। उनकी एंट्री को देखकर हर कोई आश्चर्यचकित हो गया।

इसके बाद हवन शुरू होता है। रावण नारियल लाना भूल जाते हैं। वे कहते हैं- नारियल की वजह से मेरे स्वामी के पूजन का अभियान नहीं रुक पाएगा। रावण अपना यह शीश चढ़ाएगा। ये संवाद कहते हुए वे अपना शीश शिवजी को अर्पित कर देते हैं।

आशुतोष राणा ने अपनी एक्टिंग और संवाद अदायगी से रावण की शिव भक्ति को साकार कर दिया। तीन घंटे तक चले इस नाटक में श्रीराम और रावण की संस्कृति के बीच के अंतर को सामने रखा गया। दोनों के संवादों ने दर्शकों को गहरे जीवन दर्शन और मानव संघर्षों के बारे में सोचने पर मजबूर किया।

रावण का किरदार निभा रहे अभिनेता आशुतोष राणा की एंट्री देखकर दर्शक आश्चर्यचकित रह गए।

रावण का किरदार निभा रहे अभिनेता आशुतोष राणा की एंट्री देखकर दर्शक आश्चर्यचकित रह गए।

महादेव ने दिया 10 सिर 20 भुजाओं का वरदान नाटक में बताया गया कि कैसे रावण ने भगवान भोले को शिव तांडव स्त्रोत सुनाया और किस तरह नारियल की जगह अपना शीश चढ़ाया। इससे प्रसन्न होकर महादेव ने रावण को 10 सिर 20 भुजाओं का वरदान भी दिया। नाटक का सेट, लाइटिंग और म्यूजिक ने कहानी को और अधिक जीवंत बना दिया।

राम की भूमिका में डॉ. राहुल भुच्चर के हाव-भाव और डायलॉग डिलीवरी भी काफी प्रभावशाली रहे। राहुल ने डॉ. नरेश कात्यायन के साथ नाटक के संवाद भी लिखे हैं। उनके एक संवाद ने दर्शकों पर गहरा असर छोड़ा। जिसमें वे कहते हैं- ‘नारी है आदिशक्ति, इससे नारी का प्रथम नाम होगा। होगी न राम के बाद सिया, अब से केवल सियाराम होगा।’

जटायु का अंतिम संस्कार और मानवीयता का संदेश सीताहरण के बाद भगवान श्रीराम ने गिद्धराज जटायु का अपने पिता समान दाह संस्कार किया। इस दृश्य ने न केवल पौराणिकता को जीवंत किया बल्कि मानवीय संबंधों के महत्व को भी उकेरा। भगवान राम का जटायु को पिता तुल्य कहकर संबोधित करना इस बात का प्रतीक था कि धर्म केवल देवताओं तक सीमित नहीं है, बल्कि उसमें सभी प्राणियों के प्रति समानता और सम्मान की भावना होनी चाहिए।

तीन घंटे तक चले नाटक में श्रीराम और रावण की संस्कृति के बीच के अंतर को सामने रखा गया।

तीन घंटे तक चले नाटक में श्रीराम और रावण की संस्कृति के बीच के अंतर को सामने रखा गया।

हमारे राम नाटक के मंचन में यह खास

  • नाटक के लिए कुल 120 कलाकारों और टेक्निकल लोगों की टीम भोपाल पहुंची थी।
  • इस दौरान पल में कुटिया, पल में महल का सेट ​डिजिटल तरीके से दिखाया गया।
  • ग्राफिक्स के जरिए नाटक के कई सीन को विराट दिखाया गया।
  • राम, हनुमान और रावण की एंट्री ने दर्शकों को रोमांचित किया।
नाटक में महल का सेट डिजिटल तरीके से दिखाया गया।

नाटक में महल का सेट डिजिटल तरीके से दिखाया गया।

इन किरदारों में नजर आए कलाकार फेलिसिटी थिएटर गौरव भारद्वाज द्वारा निर्देशित नाटक ‘हमारे राम’ में राम के किरदार में राहुल भूचर नजर आए। वे नाटक के प्रोड्यूसर भी हैं। नाटक के लेखक राहुल और नरेश कात्यायन हैं। हनुमान की भूमिका में दानिश अख्तर, शिव के पात्र में तरुण खन्ना, माता सीता की भूमिका में हरलीन कौर रेखी, सूर्य की भूमिका में करण शर्मा नजर आए।

नाटक के अंत में राम और रावण के बीच संवाद का मंचन किया गया।

नाटक के अंत में राम और रावण के बीच संवाद का मंचन किया गया।

अंतिम समय में रावण का लक्ष्मण से संवाद

  • अहंकार चाहे सत्ता का हो या सौंदर्य का, शक्ति का हो या भक्ति का, धर्म का हो या धन का, वह बड़े से बड़े विश्व विजेता को भी नष्ट कर देता है। प्रत्यक्ष प्रमाण है रावण।
  • सफल होने के लिए नहीं, अपितु जीवन को सार्थक करने का प्रयास करो। इसके लिए शत्रु और मित्र में दृष्टि का भेद समझना जरूरी है।
  • शत्रुता अपने से योग्य और श्रेष्ठ व्यक्ति से करो। संसार तुम्हारा मूल्यांकन मित्र देखकर नहीं, शत्रुओं को देखकर करता है। देखो जो राम ने युद्ध कर प्राप्त नहीं किया, उसे रावण ने राम से लड़कर प्राप्त कर लिया।
  • शत्रु तुम्हारे भीतर ऊर्जा जाग्रत करता है, सीमित को असीमित कर देता है। शत्रु तिरस्कार का नहीं, नमस्कार का पात्र होता है।
  • आगे चलकर लोग कहेंगे कि रावण की पराजय का एकमात्र कारण यह था कि उसके पास लक्ष्मण जैसा भाई नहीं था, पर लक्ष्मण जैसा भाई प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को भी स्वयं राम होना पड़ता है।
  • जगत पर आधिपत्य प्राप्त करने के दो मार्ग हैं-दमन और नमन। जो दमन के मार्ग पर चलता है, वह भूखंड पर आधिपत्य कर लेता है लेकिन जो नमन के मार्ग पर चलता है, वह सुसार के भावखंड में स्थान बना लेता है।
  • महादेव को प्राप्त करने के दो मार्ग हैं- कामना से या भावना से। जो कामना से महादेव की आराधना करते हैं, उसे महादेव वह देते हैं जो वह चाहता है और जाे भावना में भरकर महादेव की आराधना करते हैं उसे महादेव वह देते हैं, जो महादेव देना चाहते हैं। रावण की उपासना में कामना थी, राम की उपासना में भावना थी। मैं उनसे कुछ चाहता था, राम महादेव को चाहते थे।
  • धार्मिक होना, श्रद्धालु, साधक, सिद्ध, संत और गुरु होना चेतना के अलग-अलग स्तर हैं। ये सारा ज्ञान राम खुद तुम्हें दे सकते थे लेकिन उन्होंने तुम्हें मेरे पास क्यों भेजा क्योंकि मेरी संस्कृति असुर की है, लेकिन मेरी प्रकृति साधक की है। राम मुझे मारना नहीं तारना चाहते थे, इसलिए अंतिम समय में मुझसे उपदेश कराकर मेरी मुक्ति का मार्ग प्रशस्त कर दिया।
नाटक को देखने प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा समेत कई हस्तियां पहुंचीं।

नाटक को देखने प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा समेत कई हस्तियां पहुंचीं।

8 महीने में 120वीं बार प्रस्तुति बेहतरीन संगीत, गीत, संवाद, ध्वनि और अभिनय से सजा ‘हमारे राम’ त्रेता युग से लेकर वर्तमान समय के हर सवाल का जवाब देता नजर आता है। यही वजह है कि सिर्फ 8 महीने में इसकी यह 120वीं प्रस्तुति रही। आशुतोष राणा और साथी कलाकारों का मंझा अभिनय पूरे समय दर्शकों को बांधे रखता है। मंचन से पूर्व आलोक श्रीवास्तव ने इसकी भूमिका रखी।

गायिका कविता सेठ के गीतों की प्रस्तुति आज प्रेरणा उत्सव में आज की शाम प्रसिद्ध बॉलीवुड गायिका कविता सेठ के गीतों के नाम होगी। आयोजन रवींद्र भवन में शाम 7 बजे से होगा। स्व. रमेशचंद्र अग्रवाल जी के लीडरशिप लेसन्स को दर्शाने वाली पुस्तक ‘द विजनरी’ का अनावरण भी होगा।

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