मास्टर प्लान 2035 में अफसरों की मनमानी से किए गए परिवर्तन के कारण पिछले 21 माह से शहर में 1500 करोड़ रुपए के हाईराइज बिल्डिंग के प्रोजेक्ट अटके हुए हैं। नया प्लान लागू होने के बाद 15 बिल्डरों ने टाउन एंड कंट्री प्लानिंग से अपनी इमारतों का लेआउट तो पा
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क्योंकि नए प्लान में बड़ी इमारतों के लिए बढ़ा हुआ फ्लोर एरिया रेशो (एफएआर) खरीदने उस क्षेत्र में प्रचलित कलेक्टर गाइड लाइन की 50% राशि जमा कराने का प्रावधान कर दिया है। इंदौर के मास्टर प्लान में यह राशि सिर्फ 5% है, वह भी सिर्फ व्यावसायिक प्रोजेक्ट पर। भोपाल और जबलपुर के मास्टर प्लान में ये प्रावधान ही नहीं रखा गया है। खास बात यह है कि पुराने प्लान में ऐसा कोई प्रावधान नहीं था, पर उसके तहत बिल्डिंग परमिशन मांगने वालों को भी नए प्लान का हवाला देकर बढ़ी हुई राशि जमा कराने को कहा जा रहा है।
वह सब कुछ जो आपके लिए जानना जरूरी है
क्या होता है एफएआर एफएआर या फ्लोर एरिया रेशो का अर्थ किसी भी प्लॉट के कितने भाग पर निर्माण किया जा सकता है। ग्वालियर में प्रचलित एफएआर 1.25 है। इसके अनुसार यदि प्लॉट एरिया 1000 फीट है, तो उस पर अधिकतम 1225 वर्गफीट तक ही निर्माण कर सकते हैं। ताकि रोड साइड और सटे हुए मकान से कुछ हिस्सा छोड़कर निर्माण कराया जाए। इसका प्रावधान शहर में आबादी की सधनता को कम करने किया जाता है।
एफएआर ऑन पर्चेज योजना एफएआर ऑन पर्चेज योजना के तहत बड़े निर्माण कार्यों को एक सुविधा दी गई थी कि यदि कोई बिल्डर इमारत का निर्माण कर रहा है, तो उसे मास्टर प्लान के अनुसार 1.25 एफएआर तो मिलेगा ही, लेकिन प्लॉट साइज के हिसाब से वह 3 तक एफएआर खरीद सकता है। इसमें 1.25 के बाद जितना भी एफएआर बढ़ेगा, उस अनुसार उसे क्षेत्र में लागू कलेक्टर गाइड लाइन की 50% राशि जमा कराना होगी।
मास्टर प्लान के ड्राफ्ट में 5 और लागू होने पर 50 फीसदी कर दी राशि मास्टर प्लान 2035 का ड्राफ्ट 15 अक्टूबर 2021 को प्रस्तुत हुआ था। उसमें एफएआर खरीदने कलेक्टर गाइड लहन को 5% राशि जमा करनी थी। राजनीतिक अड़ंगों के चलते दो साल प्लान भोपाल में अटका रहा। कोर्ट के आदेश पर सरकार ने 20 अप्रैल 2023 को प्लान लागू किया, जिसें एफएआर खरीदने की राशि 50% कर दी गई।
10 से 20 लाख महंगे होंगे आवास मास्टर प्लान के नए प्रावधान को यदि बिल्डर स्वीकार करते हैं तो लागत 25-30 फीसदी बढ़ जाएगी। लोगों को फ्लैट 10 से 20 लाख तक महंगे मिलेंगे। एफएआर खरीदने यदि 50% राशि जमा कराई तो 50 लाख का फ्लैट 60 से 65 लाख का मिलेगा।
समझें… कैसे लगे विकास में अड़ंगे
एक बिल्डर ने 6 दिसंबर 2022 को टीएंडसीपी से पुराने प्लान के तहत 22 हजार वर्गफीट पर हाईराइज की परमिशन ली। इसमें 2.25 एफएआर दिया। यह परमिशन 3 साल मान्य थी। 3 अप्रैल 2023 को निगम में बिल्डिंग परमिशन के लिए आवेदन किया। निगम ने 25 सितंबर 2024 को डिमांड नोट भेजकर 2.25 एफएआर के हिसाब से डेढ़ करोड़ रुपए जमा कराए। इसी बीच 20 अप्रैल 2023 को नया मास्टर प्लान आ गया। अब निगम के अधिकारी 2.25 एफएआर के लिए कलेक्टर गाइड लाइन के 50% के हिसाब से करीब 22 करोड़ मांग रहे हैं। ऐसे में बिल्डर ने प्लान ही रोक दिया।
ये बोले अफसर…
शासन को 1 रुपया नहीं मिला ग्वालियर में पिछले दो साल से एफएआर ऑन पर्चेज पर एक भी परमिशन नहीं ली गई। इस कारण शासन को एक भी रुपया नहीं मिला। 1500 करोड़ की योजनाएं रुकी हैं। सुदर्शन झंवर, उपाध्यक्ष, केवाई ग्वालियर
दो साल में एक परमिशन नहीं एफएआर ऑन पेर्चन योजना के तहत पिछले करीब दो साल में किसी भी बिल्डर ने नगर निगम से परमिशन नहीं मांगी है। -पवन सिंघल, सिटी प्लानर, नगर निगम
31 लेआउट पास कराए टाउन एंड कंट्री प्लानिंग से वर्ष 2022-23 में 17 और वर्ष 2023-24 में 14 बहुमंजिला इमारतों के लेआउट पास कराए गए हैं। -केके कुशवाह, ज्वाइंट डायरेक्टर टीएंडसीपी
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