‘जब चले है प्रीतम लोधी तो लगे…शिकार शेर को चलता है…हर चौकी थाना हिलता है’…।
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ये बाेल उस गाने के हैं, जिसे दाे बरस पहले एक म्यूजिक इन्फ्लुएंसर ने तैयार किया था, प्रीतम लोधी ने इन दो बरसों में शेर की तरह कोई शिकार भले न किया हो, लेकिन उनके एक फरमान से अब चौकी-थाने हिल गए हैं और सियासत गर्म हो गई है।
दरअसल, बीजेपी विधायक प्रीतम ने पिछोर विधानसभा में 27 विधायक प्रतिनिधि नियुक्त किए हैं। इनमें हर थाने और एसडीओपी दफ्तर के लिए अलग-अलग प्रतिनिधि भी तय किए हैं। इस पर कांग्रेस ने पलटवार किया है कि मोहन सरकार में पुलिस थाने दलाली के अड्डे हो गए हैं।
लोधी से पहले केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र खटीक भी 130 सांसद प्रतिनिधि बनाकर विवादों में घिरे थे। बाद में उन्हें ये नियुक्ति रद्द करनी पड़ी थी।
दैनिक भास्कर ने पड़ताल की– आखिर ये विधायक प्रतिनिधि कौन होते हैं? उनके क्या अधिकार होते हैं? क्या इन्हें कोई वैधानिक मान्यता होती है? सरकारी दफ्तरों में उनकी कितनी सुनवाई होती है? ये जानने के लिए हमने प्रदेश के मौजूदा और रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट्स सहित उन लोगों से भी बात की, जो इन पदों पर लंबे समय तक रहे हैं? पढ़िए रिपोर्ट…
सबसे पहले विधायक प्रतिनिधियों का आदेश
इस आदेश में हर थाने, एसडीओपी कार्यालय, तहसील सहित तमाम विभागों के लिए 27 लोगों को विधायक प्रतिनिधि बनाया गया है।
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लोधी ने कहा- चाहता हूं क्षेत्र का हर इंसान विधायक महसूस करे लोधी कहते हैं कि मैं आज तक अपने कार्यालय में विधायक की कुर्सी पर नहीं बैठा। मैं हर दिन अपने क्षेत्र में किसी नए व्यक्ति को विधायक की कुर्सी पर बैठाता हूं। उस दिन उससे ही फैसले लेने कहता हूं। इसी तरह हर विभाग में प्रतिनिधि बनाने का लक्ष्य रखा है। कई विभाग में प्रतिनिधि बना दिए हैं, जिन विभागों में नहीं बनाए हैं उनमें भी जल्दी ही बनाऊंगा। मैं चाहता हूं कि मेरे क्षेत्र का हर इंसान खुद को विधायक महसूस करे।
कानून की किताब में सांसद–विधायक प्रतिनिधि का जिक्र नहीं रिटायर्ड डीजीपी एस.के. राउत से हमने पूछा कि थानों में विधायक प्रतिनिधि नियुक्त हो सकते हैं क्या? हमारा सवाल सुनकर हंसते हुए राउत ने जवाब दिया कि पुलिस की किसी किताब में विधायक प्रतिनिधि का जिक्र नहीं है। पुलिस तो कानून के हिसाब से काम करती है। मैंने अपने 35 साल के कॅरियर में कभी ये नहीं देखा कि थाने में कोई विधायक प्रतिनिधि नियुक्त हुआ हो। इसका कोई मतलब नहीं है।
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हालांकि मध्य प्रदेश के पंचायत मंत्री प्रहलाद पटेल के 5 साल तक प्रतिनिधि रहे शैलेंद्र आहूजा कहते हैं कि ये प्रतिनिधि के व्यक्तित्व पर निर्भर करता है कि उसे कितने अधिकार मिलेंगे?
जिला योजना समिति की बैठक में विधायक प्रतिनिधि विधायक की हैसियत से ही मौजूद होता है।
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थोकबंद प्रतिनिधियों से पद की गरिमा गिर रही वरिष्ठ पत्रकार देव श्रीमाली कहते हैं कि सांसद या विधायक प्रतिनिधि का कोई वैधानिक पद नहीं है। सांसद– विधायक अपने लोगों को उपकृत करने के लिए प्रतिनिधि बना देते हैं। ये सिर्फ गाड़ियों में सांसद–विधायक प्रतिनिधि की तख्ती लगाकर रौब झाड़ते हैं।
ग्वालियर–चंबल के वरिष्ठ पत्रकार देव श्रीमाली कहते हैं कि प्रतिनिधि वाली पंरपरा हाल के सालों में ज्यादा बढ़ी है। थोकबंद नियुक्ति से नेताओं को अपने कार्यकर्ताओं को उपकृत करने का मौका तो मिल जाता है, लेकिन पद की गरिमा घटती है। वजह ये है कि एक ही क्षेत्र की 50 गाड़ियों में विधायक–सांसद प्रतिनिधि के बोर्ड लगे होते हैं।
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कलेक्टर बोले– वे सिर्फ मैसेंजर, निर्देश नहीं दे सकते इस बारे में हमने कुछ जिलों के कलेक्टर्स से भी बात की। उनका कहना है कि जिला स्तर पर अनेक समितियों में सांसद और विधायक शामिल रहते हैं। भारत सरकार की फ्लैगशिप योजनाओं की समीक्षा बैठकों में सांसद नहीं आ पाते हैं, तो उनके प्रतिनिधि उनकी बात रखते हैं, लेकिन वो सिर्फ एक मैसेंजर हो सकते हैं, वो निर्देश नहीं दे सकते।
ऐसे ही सरकारी कॉलेजों की जनभागीदारी समिति में विधायक शामिल होते हैं। उनकी अनुपस्थिति में उनके प्रतिनिधि बैठकों में शामिल होते हैं।
कांग्रेस बोली- थाने न्याय के नहीं दलाली के अड्डे हो गए मामले को लेकर एमपी कांग्रेस के एक्स हेंडल पर भी प्रतिक्रिया आई है, ‘कांग्रेस लगातार यह कहती आई है कि मोहन सरकार में थाने न्याय दिलाने के नहीं दलाली के अड्डे हो गए हैं। इसका प्रमाण है कि विधायक अब थानों में विधायक प्रतिनिधि तक नियुक्त करने लगे हैं। शायद विधायक यह निगरानी चाहते हों कि हिस्सेदारी का कोई हिस्सा छूट न जाए।’
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पूर्व विधानसभा अध्यक्ष बोले–नियुक्ति संभव, लेकिन अधिकार नहीं कोई सांसद या विधायक अधिकतम कितने प्रतिनिधि नियुक्त कर सकता है? इसकी कोई सीमा नहीं है। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सीतासरन शर्मा कहते हैं कि जितने विभाग हैं, उन सभी विभागों के लिए विधायक एक–एक प्रतिनिधि नियुक्त कर सकता है। एक से ज्यादा नहीं कर सकता। हालांकि वे ये भी कहते हैं कि इन प्रतिनिधियों को कोई अधिकार नहीं होते।
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पहले भी प्रतिनिधियों पर हुए हैं विवाद …
केंद्रीय मंत्री को 130 सांसद प्रतिनिधियों की नियुक्ति रद्द करनी पड़ी थोकबंद विधायक प्रतिनिधि बनाने का यह मामला पहला नहीं है। इससे पहले केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र खटीक ने सितंबर 2023 में छतरपुर में 130 सांसद प्रतिनिधि बनाए थे। बीजेपी के ही कई विधायकों ने आरोप लगाया कि खटीक कांग्रेसियों को अपना प्रतिनिधि बना रहे हैं। इस मामले की शिकायत प्रदेश नेतृत्व तक हुई। इसके बाद खटीक को 130 प्रतिनिधियों की नियुक्ति निरस्त करने के लिए कलेक्टर को पत्र लिखना पड़ा था।
पूर्व मंत्री कमल पटेल बने सांसद प्रतिनिधि सांसद प्रतिनिधि कौन हो सकता है? इस पर भी कोई नियम नहीं है। बैतूल-हरदा संसदीय क्षेत्र से सांसद और केंद्रीय राज्य मंत्री दुर्गादास उईके ने पूर्व कैबिनेट मंत्री कमल पटेल को अपना सांसद प्रतिनिधि नियुक्त किया है। यह प्रदेश का इकलौता ऐसा उदाहरण है, जहां पूर्व मंत्री और पांच बार के विधायक रह चुके नेता एक सांसद के प्रतिनिधि बने हैं। पटेल इस बार विधानसभा का चुनाव हार चुके हैं। कांग्रेस ने जब उन पर कटाक्ष किया तो पटेल ने जवाब दिया था कि कांग्रेस के पेट में क्यों दर्द हो रहा है।
आदिवासी पर पेशाब करने वाला भी विधायक प्रतिनिधि रह चुका था सीधी जिले के तत्कालीन बीजेपी विधायक पंडित केदारनाथ शुक्ला के विधायक प्रतिनिधि प्रवेश शुक्ला ने एक आदिवासी पर पेशाब कर दिया था। हालांकि केदारनाथ शुक्ला ने कहा था कि वो पुराना प्रतिनिधि था उसे हटा दिया गया था।इसके बाद विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने केदारनाथ का टिकट काट दिया और सांसद रीति पाठक को मैदान में उतार दिया। केदारनाथ निर्दलीय मैदान में उतरे तो पार्टी से उन्हें निष्कासित कर दिया गया। प्रतिनिधि के अपराध की सजा केदारनाथ को अपने पॉलिटिकल कॅरियर के नुकसान से चुकानी पड़ी।
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