टोक्यो यूनिवर्सिटी के साइंटिस्ट मसाओ तकाता और कैंब्रिज के डगलस गफ ने बताया कि सूर्य के अंदर लाखों साउंड वेव्स पैदा होती हैं। इनमें पी-वेव्स, जी-मोड और एफ-मोड शामिल हैं। आमतौर पर एफ-मोड के जरिए सूर्य की भूकंपीय त्रिज्या (seismic radius) को मापा जाता है। हालांकि वैज्ञानिक इन पर बहुत भरोसा नहीं करते। उनके बजाए पी-मोड सूर्य की प्लाज्मा में ज्यादा लंबा सफर तय करते हैं।
रिसर्च पेपर में कहा गया है कि ‘एफ मोड’ फ्रीक्वेंसी ने विश्लेषण से सूर्य की रेडियस के नया माप मिला है, जोकि ऑप्टिकल माप से कुछ सौ फीसदी कम है। दोनों वैज्ञानिकों का यह भी तर्क है कि सूर्य के रेडियस को मापने के लिए पी-मोड का इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
सूर्य से जुड़ी अन्य खबरों की बात करें, तो हमारे सौर मंडल के सबसे बड़े तारे ‘सूर्य’ को स्टडी करने के निकले
‘इसरो’ (ISRO) के आदित्य एल-1 (Aditya L-1) स्पेसक्राफ्ट ने हाल ही में वहां एक ‘महा-विस्फोट’ को महसूस किया है। आदित्य एल-1 ने सोलर फ्लेयर्स की पहली हाई एनर्जी एक्स-रे झलक देखी है। बीते दिनों एक पोस्ट में इसरो ने बताया कि ‘आदित्य एल1′ स्पेसक्राफ्ट में लगे ‘हाई एनर्जी एल1 ऑर्बिटिंग एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर’ (HEL1OS) ने सोलर फ्लेयर को रिकॉर्ड किया है।
Source link
#वजञनक #न #सरय #क #नप #पहल #स #छट #नकल #जन #पर #ममल
2023-11-09 12:21:56
[source_url_encoded