- Hindi News
- International
- Donald Trump Presidency Impact Explained; US Immigration Policy | India China Russia Trade War
वॉशिंगटन11 मिनट पहले
- कॉपी लिंक
ट्रम्प ने आज कैपिटल हिल बिल्डिंग में अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के तौर पर शपथ ली।
डोनाल्ड ट्रम्प ने सोमवार, 20 जनवरी को अमेरिकी संसद कैपिटल हिल में 47वें राष्ट्रपति के तौर पर शपथ ली। अमेरिका में भीषण ठंड की वजह से ट्रम्प का शपथ ग्रहण कैपिटल रोटुंडा (कैपिटल हिल इमारत के अंदर बना गोलाकार कमरा) में हुआ। 40 साल में यह पहली बार था जब किसी राष्ट्रपति का शपथ ग्रहण खुले में न होकर बंद कमरे में हुआ।
ट्रम्प ने सत्ता संभालते ही एक के बाद एक कई बड़े ऐलान किए। उन्होंने देश से लेकर विदेश तक अमेरिका की नीति में कई बड़े बदलाव की बात की। हम आपको ट्रम्प के ऐसे ही 10 बड़े ऐलान के बारे में बता रहे हैं…
1) अमेरिकी सरकार के लिए सिर्फ 2 जेंडर होंगे
आज से अमेरिका सरकार की आधिकारिक नीति होगी कि केवल दो जेंडर हैं पुरुष और महिला। इसके साथ ही ट्रम्प ने कहा कि मैं सभी सरकारी सेंसरशिप को तुरंत रोकने और अमेरिका में अभिव्यक्ति की आजादी को बहाल करने के लिए एक एग्जीक्यूटिव ऑर्डर पर भी साइन करूंगा।
क्यों कहा- ट्रम्प ने चुनाव प्रचार के दौरान भी ट्रांसजेंडर समुदाय के खिलाफ बयान दिए थे। ट्रम्प के रक्षा मंत्री पिट हेगसेथ का कहना था कि सेना में महिलाओं और ट्रांसजेंडर्स को शामिल करने से अमेरिका की सुरक्षा व्यवस्था कमजोर हो रही है।
2) अवैध प्रवासियों को अमेरिका से बाहर निकालने का वादा
ट्रम्प ने देश में अवैध प्रवासियों की एंट्री बैन करने और अवैध प्रवासियों को पकड़ो और छोड़ो की पॉलिसी खत्म करने का वादा किया। उन्होंने कहा बाइडेन प्रशासन ने हमारे देश में अवैध रूप से एंट्री करने वाले खतरनाक अपराधियों को शरण दी है उनकी हिफाजत की है। उन्होंने अमेरिकी सीमा की रक्षा नहीं की।
क्यों कहा- प्यू रिसर्च सेंटर के मुताबिक अमेरिका में दुनिया के सबसे ज्यादा अप्रवासी हैं। दुनिया के कुल 20% अप्रवासी अमेरिका में ही रहते हैं। 2023 तक यहां रहने वाले अप्रवासियों की कुल संख्या 4.78 करोड़ थी। ट्रम्प का मानना है कि दूसरे देशों से लोग अवैध तरीके से अमेरिका में घुसकर अपराध करते हैं।
3) मेक्सिको बॉर्डर पर इमरजेंसी का ऐलान
ट्रम्प ने कहा कि वे राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिका-मेक्सिको के बॉर्डर पर इमरजेंसी लागू कर देंगे। यहां से होने वाले सभी अवैध एंट्री पर रोक लग जाएगी। सरकार अपराध करने वाले विदेशों को उनके देश वापस भेज देगी।
क्यों कहा- US-मेक्सिको बॉर्डर से आने वाले अवैध प्रवासियों की बढ़ती संख्या अमेरिकी राजनीति में एक बड़ा मुद्दा है। ट्रम्प का कहना है कि यहां कई अवैध अप्रवासी और अपराधी अमेरिका में एंट्री करते हैं।
यह तस्वीर US-मेक्सिको बॉर्डर की है। सीमा पर लगी जाली के एक तरफ प्रवासी हैं और दूसरी तरफ अमेरिकी सुरक्षाकर्मी हैं।
4) पनामा नहर वापस छीनने की धमकी दी
ट्रम्प ने कहा कि वो पनामा नहर को अमेरिका से वापस ले लेंगे। उन्होंने कहा कि इस नहर की वजह से हमारे साथ बहुत बुरा बर्ताब किया गया है। इसे नहर को कभी गिफ्ट के तौर पर पनामा देश को नहीं दिया जाना चाहिए था। आज चीन पनामा नहर का ऑपरेट कर रहा है। हमने इसे चीन को नहीं दिया। हमने इसे पनामा देश को दिया। हम इसे वापस लेने जा रहे हैं।
क्यों कहा- ट्रम्प का कहना है कि इस नहर को अमेरिका ने 1999 में पनामा देश को गिफ्ट किया था, लेकिन इस पर अब चीन का कंट्रोल हो चुका है और यहां अमेरिकी जहाजों को ज्यादा टैक्स देना पड़ता है।
5) अन्य देशों पर टैरिफ लगाने का ऐलान
ट्रम्प ने कहा कि अब तक हमारे देश की सरकार दूसरे देशों को अमीर बनाने के लिए अपने देश को लोगों पर टैक्स लगाती थी। हम इसे बदलने जा रहे हैं, अब हम अपने देश को लोगों को अमीर बनाने के लिए अन्य देशों पर टैरिफ और टैक्स लगाएंगे।
क्यों कहा- ट्रम्प कई बार कह चुके हैं कि अमेरिका को हर साल अन्य से देशों से बड़े व्यापार घाटे का सामना करना पड़ता है। उन्होंने चुनाव जीतने के बाद BRICS देशों पर 100% टैरिफ लगाने की धमकी दी थी। इससे अलावा वो चीन, कनाडा और मेक्सिको पर भारी भरकम टैरिफ लगाने की धमकी दे चुके हैं।
6) मेक्सिको की खाड़ी का नाम बदलने का ऐलान
ट्रम्प ने एक बार फिर से मेक्सिको की खाड़ी का नाम बदलकर अमेरिका की खाड़ी करने का ऐलान किया। पहले भी ट्रम्प कह चुके हैं कि अमेरिका की खाड़ी का नाम ज्यादा ‘सुंदर’ लगता है और यही नाम रखना सही भी है।
क्यों कहा- ट्रम्प ने कहा कि इस इलाके में अमेरिका की ज्यादा मौजूदगी है। अमेरिका इस इलाके में सबसे ज्यादा एक्टिविटी करता है इसलिए ये जगह अमेरिका की है।
7) अमेरिका में इलेक्ट्रिक वाहन की अनिवार्यता खत्म
डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा कि उनकी सरकार ग्रीन न्यू डील को समाप्त कर देगी। ग्रीन न्यू डील में क्लीन एनर्जी को बढ़ावा देने की बात की गई थी। इसके साथ ही ट्रम्प ने इलेक्ट्रिक वाहन की अनिवार्यता को खत्म करने की बात की। ट्रम्प ने कहा कि दूसरे शब्दों में कहूं तो आप अपनी पसंद की कार खरीद सकेंगे।
क्यों कहा- ट्रम्प कई बार घोषित रूप से जलवायु परिवर्तन पर शक जाहिर कर चुके हैं। वो जीवाश्म ईंधन के मुखर समर्थक हैं। उन्होंने 2016 में राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिका को 2015 की पेरिस क्लाइमेट डील से बाहर कर लिया था। बाद में जो बाइडेन ने राष्ट्रपति बनने के बाद फिर से इस क्लाइमेट प्रोग्राम को जॉइन किया था।
8) हेल्थ सिस्टम और एजुकेशन सिस्टम की आलोचना
ट्रम्प ने अमेरिकी हेल्थ सिस्टम की भी आलोचना की। उन्होंने कहा कि यह ऐसा हेल्थ सिस्टम है जो इमरजेंसी में काम नहीं करती है। जबकि इस पर दुनिया में ‘कहीं से भी’ ज्यादा पैसा खर्च किया जाता है।
ट्रम्प ने एजुकेशन सिस्टम की भी आलोचना की। उन्होंने कहा कि हमारे देश में ऐसा एजुकेशन सिस्टम है जो हमारे बच्चों को खुद पर शर्म करना सिखाती है। लेकिन आज से यह सब कुछ बदलने वाला है। बहुत तेजी से बदलने वाला है।
क्यों कहा- ट्रम्प का मानना है कि डेमोक्रेट सरकार की हेल्थ नीतियां मुश्किल समय में देश के काम नहीं आती हैं। इसके अलावा इससे सरकारी डिपार्टमेंट और एजेंसियों पर खर्च बढ़ता। उन्होंने अपने पहले कार्यकाल में उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा की ओबामाकेयर को हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के खिलाफ ऑर्डर पास किया था।
9) मंगल ग्रह पर अंतरिक्ष यात्री भेजने का दावा ट्रम्प ने कहा अमेरिका मंगल ग्रह पर भी अपना झंडा गाड़ेगा। उन्होंने कहा कि मंगल ग्रह पर अमेरिका का सितारों वाला झंडा लगाने के लिए वो अमेरिकी अंतरिक्ष यात्रियों को भेजेंगे।
क्यों कहा- ट्रम्प के समर्थक और स्पेसएक्स के मालिक इलॉन मस्क कई बार धरती के बाहर नई इंसानी बस्तियां बसाने की बात कह चुके हैं। आज भी मंगल ग्रह को लेकर उनके ऐलान के बाद मस्क ने खड़े होकर तालियां बजाई।
10) विदेशी शत्रु अधिनियम 1978 को लागू करने का वादा
ट्रम्प ने कहा कि वह अमेरिका में विदेशी गिरोह को निशाना बनाने के लिए विदेशी शत्रु अधिनियम 1798 को लागू करेंगे। इस कानूनी अधिकार का इस्तेमाल आखिरी बार सेकेंड वर्ल्ड वॉर के समय जापानी, जर्मन और इटली मूल के गैर-अमेरिकी नागरिकों को बंदी बनाने के लिए किया गया था। आपराधिक गिरोहों को विदेशी आतंकवादी संगठन घोषित करेंगे
क्यों कहा- ट्रम्प ने दावा किया है कि यह कानून उनके सरकार को कई अधिकार देगा जिसकी मदद से अमेरिका से सभी संदिग्ध ड्रग गिरोह को बाहर निकाला जा सकेगा।
अब जानिए अमेरिका कैसे बना दुनिया में सबसे बड़ा सुपर पावर…
1945 में सेकेंड वर्ल्ड वॉर खत्म होने के बाद यूरोप के लगभग सभी बड़े देश आर्थिक और सामरिक तौर पर पूरी तरह कमजोर हो गए थे। जबकि दुनिया के अन्य बड़े देश पहले से इन यूरोपीय देशों के गुलाम थे या संघर्ष में उलझे थे। सिर्फ दो शक्तिशाली देश USSR या सोवियत यूनियन (आज का रूस) और अमेरिका इस समय मजबूत स्थिति में थे। जहां USSR में कम्युनिस्ट सरकार थी, वही अमेरिका पूंजीवाद का समर्थक था।
1947 में अमेरिका और USSR में दुनिया की सबसे बड़ी सुपर पावर बनने की होड़ शुरू हो गई। दोनों देशों ने एक दूसरे को सामरिक, आर्थिक, राजनीतिक और विचारधारा के तौर पर पछाड़ने की कोशिश की। अमेरिकी व्यवसायी बर्नार्ड बारूक ने इस आपसी तकरार को कोल्ड वॉर (शीत युद्ध) नाम दिया।
कोल्ड वॉर में अमेरिका और USSR के बीच कोई सीधी जंग नहीं हुई, बल्कि इन्होंने दूसरे देशों की जंग में हस्तक्षेप किया।
शीत युद्ध के समय अमेरिका और USSR एक दूसरे पर बिल्कुल भरोसा नहीं करते थे। एक प्रोग्राम में सोवियत नेता लियोनिद ब्रेझनेव और अमेरिकी राष्ट्रपति निक्सन शैंपेन पीते हुए।
US ने नाटो तो USSR ने बनाया वारसा पैक्ट
जहां अमेरिकी और यूरोपीय देशों ने USSR को रोकने के लिए 1949 में एक सैन्य गठबंधन बनाया, जिसे NATO नाम दिया गया। वहीं सोवियत यूनियन ने इसके काउंटर में 1955 को वारसा ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन (वारसा पैक्ट) बनाया।
अमेरिका ने USSR पर प्रेशर डालने के लिए जापान, साउथ कोरिया, सऊदी अरब और दक्षिण वियतनाम जैसे कई देशों के साथ सैन्य समझौते किए और उन्हें सैन्य मदद दी। इसके जवाब में USSR ने अमेरिका के पास मौजूद क्यूबा को खुला मिलिट्री समर्थन दिया। 1962 में क्यूबा मिसाइल संकट ने दोनों देशों को परमाणु युद्ध के मुहाने पर खड़ा कर दिया।
काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशन के मुताबिक 1951 में सैन फ्रांसिस्को ट्रीटी के तहत अमेरिकी सैनिकों को जापान में रहने की अनुमति दी गई। इसी तरह 1955 में शुरू हुए वियतनाम युद्ध में अमेरिका ने दक्षिण वियतनाम का समर्थन किया, जबकि USSR ने नॉर्थ वियतनाम का सपोर्ट किया।
अक्टूबर 1962 में अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी ने टीवी पर पूरे देश को संबोधित करके क्यूबा मिसाइल संकट की जानकारी दी थी। साथ ही उन्होंने परमाणु जंग की आशंका भी जताई थी। Source: time.com
सऊदी से सिर्फ डॉलर में तेल बेचने का समझौता किया
8 जून 1974 को अमेरिका ने सऊदी अरब के साथ पेट्रो डॉलर सिस्टम एग्रीमेंट किया। ब्लूमबर्ग के मुताबिक इस डील के तहत सऊदी अरब अपने तेल की बिक्री सिर्फ अमेरिकी डॉलर में कर सकता था। इसके बदले सऊदी अरब को अमेरिका से सैन्य सुरक्षा मिलती थी।
1979 से 1989 तक अफगानिस्तान पर सोवियत संघ का शासन रहा। अमेरिका ने इसे चुनौती देने के लिए पाकिस्तान और अफगान लड़ाकों (मुजाहिदीन) को पैसा और हथियार देकर तालिबान बनाया। आखिर में इन मुजाहिदीन ने सोवियत आर्मी को अफगानिस्तान से खदेड़ दिया।
USSR के पतन के बाद US बना इकलौता सुपर पावर
बाहरी और अंदरूनी चुनौतियों से जूझते हुए 25 दिसंबर 1991 को USSR का पतन हो गया। इसी के साथ 46 साल से चल रही कोल्ड वॉर का अंत हो गया। लेखक फ्रांसिस फुकुयामा ने इस घटना पर 1992 में ‘द एंड ऑफ हिस्ट्री एंड द लास्ट मैन’ बुक लिखी। फुकुयामा का कहना था USSR के पतन के बाद अब दुनिया में पश्चिमी उदार लोकतंत्र का पूरी तरह प्रसार हो जाएगा।
USSR के पतन के बाद अमेरिका दुनिया में इकलौता सुपर पावर बचा। हालांकि बीते कुछ दशकों में चीन के तेज आर्थिक उभार ने अमेरिका के एकछत्र राज को बड़े पैमाने पर चुनौती दी है।
दुनिया भर में अमेरिका के 750 से ज्यादा सैन्य अड्डे
अलजजीरा के मुताबिक 2021 तक अमेरिका के दुनिया के 80 देशों में लगभग 750 सैन्य अड्डे थे। जापान में सबसे ज्यादा 120 सैन्य अड्डे हैं। इसके बाद जर्मनी (119) और साउथ कोरिया (73) का नंबर आता है।
वहीं सिपरी के मुताबिक 2024 में अमेरिका का मिलिट्री बजट 916 अरब डॉलर था, जो चीन (296 अरब डॉलर), रूस (109 अरब डॉलर), भारत (83 अरब डॉलर), सऊदी अरब (75 अरब डॉलर) और ब्रिटेन (74 अरब डॉलर) के संयुक्त बजट से भी 279 अरब डॉलर ज्यादा है।
Source link
https%3A%2F%2Fwww.bhaskar.com%2Finternational%2Fnews%2Fdonald-trump-presidency-impact-explained-us-immigrants-india-china-russia-134320878.html
#शपथ #लत #ह #टरमप #बल #थरड #जडर #क #मनयत #खतम #अवध #परवसय #क #एटर #बन #मकसक #बरडर #पर #इमरजस #बड #ऐलन