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सरकारी सुविधा पर हर खिलाड़ी का हक, कोई भी हारने के लिए नहीं खेलता

नई दिल्ली. खेलों के महाकुंभ कहे जाने वाले ओलंपिक में भारतीय दल का प्रदर्शन उम्मीद के मुताबिक नहीं रहा. इस बात को लेकर हर किसी के दिल में कसक है. लोग अपने-अपने तरीके से इसको लेकर नाराजगी भी जाहिर कर रहे हैं. खिलाड़ियों को कितनी सुविधा दी जाती है, उनके पीछे कितने सारे पैसे खर्च किए जाते हैं ऐसी बातें पिछले कुछ दिनों में हम सब ने सुनी लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इस तरह की बातों खिलाड़ियों पर क्या असर पड़ता है. जो भारत के लिए खेलता है वो मेडल लाने की पूरी कोशिश करता है. कोई खिलाड़ी कम से कम हारने के लिए तो नहीं खेलता.

पेरिस ओलंपिक में भारतीय दल का प्रदर्शन पिछली बार टोक्यो में दिखाए खेल से भी खराब रहा. निशानेबाज मनु भाकर ने दो कांस्य पद जीतकर इतिहास रचा तो वहीं नीरज चोपड़ा सिल्वर मेडल हासिल करने के बाद भी ज्यादा खुश नहीं हुए. पिछली बार गोल्ड जीतने वाले इस धुरंधर से सबको इस बार भी वैसे ही प्रदर्शन की उम्मीद थी. सबसे ज्यादा चर्चा महिला पहलवान विनेश फोगाट की हो रही है. इस खिलाड़ी ने जो किया वो अब तक ओलंपिक के इतिहास में किसी महिला पहलवान ने नहीं किया था. दुर्भाग्य से 50 किलोग्राम भारवर्ग के फाइनल मैच के दिन महज 100 ग्राम ज्यादा होने की वजह से ओवरवेट करार देकर उनको डिसक्वालीफाई कर दिया गया. इसे लेकर चुनौती दी गई लेकिन फैसला भारत के हक में नहीं आया.

विनेश फोगाट . (AP)

खिलाड़ी पर कितने खर्च किए, फिर भी मेडल नहीं आया
जो लोग इस तरह की बात कर रहे हैं कि खिलाड़ियों पर इतना पैसा खर्च किया गया लेकिन वो देश के लिए मेडल नहीं ला पाए. ऐसी सोच रखने वालों को सबसे पहले तो यह बात समझना चाहिए कि कोई भी खिलाड़ी हारने के लिए किसी भी प्रतियोगिता में नहीं उतरता है. वो अपनी पूरी जान लगाकर देश का सिर उंचा करना चाहता है.

दूसरी बार अगर सरकार किसी खिलाड़ी पर खर्च करती है तो वो कुछ खास नहीं करती. देश के हर एक खिलाड़ी का हक बनता है कि वो सरकार से अपनी तैयारी के लिए जरूरत के मुताबिक पैसे ले. जो पैसा सरकार देती है वो आम जनता की टैक्स का होता है. इन पैसों देश की बेहतरी के लिए ही इस्तेमाल किए जाने के लिए जनता से लिया जाता है.

खेल मंत्री मनसुख मांडविया ने बताया खर्च
आम जनता अगर ऐसी बातें करों तो इसे समझा जा सकता है. वो आम जिंदगी की तकलीफों में घिरे होने की वजह से भावनाओं में बह जाते हैं. लेकिन जब ऐसे ही बयान हमारे नेताओं द्वारा दिए जाते हैं तकलीफ होती है. खेल मंत्री मनसुख मांडविया ने विनेश फोगाट को लेकर एक बयान में कहा कि भारत सरकार ने हर संभव उनकी सहायता की. उनके लिए पर्सनल स्टाफ रखे गए, हंगरी के जाने माने कोच और फिजियो को साथ जोड़ा गया. मांडविया ने कहा कि विनेश को पेरिस ओलंपिक के लिए 70 लाख 45 हजार 775 रुपये की सहायता प्रदान की गई.

हम यह समझते हैं कि मंत्री जी के कहने का कोई गलत मतलब नहीं था लेकिन जब आप ऐसे पैसे गिनाते हैं तो इससे खिलाड़ी का मनोबल टूटता है. जिन 70 लाख की बात की गई वो किसके पैसे थे. सरकार आम जनता की है और यह पैसे भी आम जनता के टैक्स से ही जमा होते हैं. ऐसे में अगर पैसा खिलाड़ियों पर खर्च किया गया तो इसे गिनाने की जरूरत है क्या.



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