सभी मित्रों का अभिनंदन करता हूंं। कोटा शिक्षा की धरती है। विद्यार्थियों के बीच आकर अच्छा महसूस कर रहा हूं। लग रहा है मेरे पुराने दिन लौट आए। आपसे मिलकर मैं उस दौर में पहुंचा, जिसे मैं बरसों पहले छोड़ आया था। दाे-तीन छोटी-छोटी चीजें हैं, जाे रोज करना ह
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पढ़ने के लिए टाइम-टेबल बनाकर रखाे। अपने आप में कॉन्फिडेंस और एकाग्रता रखाे। काेई इस बार परीक्षा देगा या अगली बार देगा। मन निराशा से भर जाता हाेगा। आप एक बात ध्यान रखाे। यदि काेई ऐसा माैका आए ताे राजनेताओं की तरफ देखा कराे। हार भी जाए तो फिर अगला चुनाव लड़ेगा। क्या कोई यह कहते मिला कि मैं एक चुनाव हार गया, अब नहीं लड़ूंगा।
सारी जिंदगी लड़ाओ, लड़ता रहेगा। भले हारता रहे। मेरा कहना है कि हमारे अंदर की इच्छाशक्ति जब मजबूत होती है तो सभी चुनौती के काम हम कर सकते हैं। हमारे मन की जिज्ञासा का समाधान भी खुद से निकालना चाहिए। हमारे मन में आता है कि हम परीक्षा दे रहे हैं। पास होकर इंजीनियर, डॉक्टर ही बनना है और नहीं बन पाए तो निराशा के दौर में पहुंचते हैं। निराशा की जरूरत नहीं हैं।
निराशा किस बात की? मैं फर्स्ट ईयर में साइंस कॉलेज में 16 साल का था ताे ज्वॉइंट सेक्रेट्री का चुनाव जीता। 1982 में पीएमटी में सलेक्शन हुआ तो इंदौर मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लिया। लेकिन, मैं भोला-भाला था कि डॉक्टरी छोड़कर चुनाव लड़ने आ गया। इसलिए कह रहा हूं कि जीवन के जिस भी मार्ग से चलो, वहां सफलता आपका इंतजार कर रही है। यह विश्वास हमको रखना चाहिए।
कोचिंग संस्थानों को उज्जैन में ब्रांच खोलने को कहा
सीएम डॉ. यादव ने कोचिंग संस्थानों को उज्जैन में ब्रांच खोलने के लिए आमंत्रित किया। डॉ. यादव ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण पढ़ने उज्जैन आए थे। मथुरा से आए थे। मथुरा से उज्जैन का रास्ता राजस्थान होकर पड़ता है। इस मार्ग काे तीर्थस्थल के रूप में विकसित करेंगे। सीएम ने कहा कि हमारी सरकार उज्जैन में रियायती दरों पर कोचिंग के लिए जमीन देगी।
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