इतनी धीमी तरंगें इससे पहले अस्तित्व में नहीं थीं जिनको मनुष्य के कान पकड़ सकें। इसलिए सुनने लायक बनाने के लिए इनको 57 और 58 ऑक्टेव तक सरका दिया गया है। यह ऑडियो असल में 2022 में रिलीज किया गया था जब पहली बार इन ध्वनि तरंगों को अलग करके सुनने लायक बनाया गया था। रिपोर्ट के अनुसार, साउंड वाइब्रेशन स्पेस में नहीं पाई जा सकती हैं, और न ही इन्हें प्राकृतिक रूप से वहां सुना जा सकता है।
2003 में अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने एक हैरान करने वाली खोज की। उन्हें आकाशगंगाओं के पर्सियस (Perseus) समूह के पास मौजूद गैस के गुबार से घिरे एक बहुत बड़े ब्लैकहोल में से ध्वनि तरंगें आती हुईं मिलीं। अब इस जगह को इसकी डरावनी हमिंग साउंड के लिए जाना जाता है। इनको वर्तमान में इनके प्राकृतिक रूप में सुनना संभव नहीं है। इस पूरे ब्रह्मांड में मनुष्यों द्वारा खोजी गईं ये अबतक की सबसे लो-नोट तरंगें हैं, यानी ये बहुत ही ज्यादा धीमी हैं और मनुष्य के कानों की पकड़ में नहीं आ सकती हैं।
NASA ने हाल ही में इनका सॉनिफिकेशन किया जिससे साउंड वेव्स को एम्प्लिफाई किया गया, ताकि पता चल सके कि आखिर ये सुनने में कैसी लगती हैं। 2003 में सबसे निचला नोट जो पहचान में आया वो एक बी-फ्लैट (B-flat) है और मध्य C के नीचे 57 ऑक्टेव्स पर स्थित है। रिपोर्ट में कहा गया है कि उस पिच पर इसकी फ्रिक्वेंसी 10 मिलियन वर्ष है।
मानव कानों द्वारा पहचाने जा सकने वाले सबसे निचले नोट की फ्रिक्वेंसी एक सेकंड के बीसवें हिस्से की होती है। सुपरमैसिव ब्लैक होल से अलग करने के बाद इन तरंगों को एंटीक्लॉक दिशा में प्ले किया गया। अंतरिक्ष में इससे पहले खोजी गई ध्वनियों की तरह ये भी काफी डरावनी निकल कर आईं।
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