मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा विभाग ने परीक्षा और परिणाम प्रणाली को दुरुस्त करने के लिए नई व्यवस्था बनाई है। अब, जो सरकारी कॉलेजों के शिक्षक प्रश्न पत्र बनाने और मूल्यांकन कार्य में सहयोग नहीं करेंगे, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी और उन्हें डी-बार किया जा सकता है। विश्वविद्यालयों से असहयोग करने वाले शिक्षकों की सूची मांगी गई है।
By Neeraj Pandey
Publish Date: Sat, 09 Nov 2024 08:19:56 PM (IST)
Updated Date: Sat, 09 Nov 2024 08:19:56 PM (IST)
HighLights
- परीक्षा और रिजल्ट प्रणाली को सुधारने के लिए नई व्यवस्था
- सहयोग नहीं करने वाले शिक्षकों पर कार्रवाई और डी-बार
- विश्वविद्यालयों से असहयोग करने वाले शिक्षकों की सूची मांगी
नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर : परीक्षा और रिजल्ट का ढर्रा पटरी पर लाने को लेकर उच्च शिक्षा विभाग नई व्यवस्था बना रहा है, जिसमें विश्वविद्यालयों को विशेष अधिकार दिए गए है। अब प्रश्न पत्र नहीं बनाने वाले सरकारी कॉलेजों के शिक्षकों पर सीधे कार्रवाई की जाएगी। यहां तक कि मूल्यांकन कार्य में भी शिक्षकों को सहयोग करना होगा। ऐसा नहीं करने वाले शिक्षकों को डी-बार किया जा सकता है।
वैसे विभाग ने प्रत्येक विश्वविद्यालय से सहयोग नहीं करने वाले शिक्षकों की सूची मांगी है। नवंबर अंतिम सप्ताह तक शिक्षकों के नाम भेजना होंगे। अधिकारियों ने समय पर रिजल्ट घोषित करने के बारे में कहा है। दरअसल तीन दिन पहले उच्च शिक्षा विभाग के आयुक्त ने बरकतउल्ला, देवी अहिल्या, जीवाजी, विक्रम सहित अन्य राज्य स्तरीय विश्वविद्यालय के कुलसचिव और परीक्षा विभाग के अधिकारियों को बुलाया था।
निजी कॉलेजों में पदस्थ शिक्षकों की मदद
अधिकारियों ने वर्तमान सत्र की परीक्षाएं एकेडमी कैलेंडर के हिसाब से करवाने के निर्देश दिए है। देवी अहिल्या विश्वविद्यालय ने एनईपी स्नातक पाठ्यक्रम की परीक्षा को लेकर नई रूपरेखा बनाई है। प्रत्येक विषय के लिए विशेषज्ञों की पैनल बनाएंगे, जो प्रश्न पत्र तैयार करेंगे। इसके लिए सरकारी और निजी कॉलेजों में पदस्थ शिक्षकों की मदद लेंगे। इसके लिए नवंबर से प्रक्रिया शुरू होगी।
विश्वविद्यालय ने डी-बार करने का फैसला लिया
खासबात यह है कि पैनल के सदस्यों को प्रश्न पत्र बनाना होंगे। इनमें से कोई भी शिक्षक प्रश्न पत्र तैयार करने में सहयोग नहीं करता है तो तुरंत विश्वविद्यालय ने डी-बार करने का फैसला लिया है। वहीं शिक्षकों के नाम भी उच्च शिक्षा विभाग को भेजे जाएंगे। 10 फीसद सरकारी कॉलेज के शिक्षक हर साल विश्वविद्यालय ने यूजी-पीजी पाठ्यक्रम की 774 परीक्षाएं करवाता है।
नियमित शिक्षक कापियां जांचने से बहाना बनाते हैं
विद्यार्थियों की उत्तरपुस्तिका जांचने वाले 800 से अधिक मूल्यांकनकर्ताओं है, जिसमें सरकारी कॉलेजों में पढ़ाने वाले महज 10 फीसद शिक्षक है। ये भी अतिथि विद्वान है। नियमित शिक्षक इन दिनों कापियां जांचने से दूरी बनाए हुए है। कई बार विश्वविद्यालय ने शिक्षकों को मूल्यांकन कार्य के लिए बुलवाया है।
अधिकांश ने कुछ न कुछ बहाना बनकर अपना पल्ला झाड़ लिया जबकि नियमानुसार सरकारी कालेज को शिक्षकों के नियुक्त पत्र में कापी जांंचने का नियम भी है।
उच्च शिक्षा विभाग के एकेडमी कैलेंडर के हिसाब से परीक्षा करवाई जाएगी। वार्षिक-सेमेस्टर परीक्षाओं का शेड्यूल दिसंबर तक बनाएंगे। उसके आधार पर परीक्षा होगी। साथ ही मूल्यांकन जल्द करवाकर समय पर रिजल्ट घोषित करेंगे। वैसे परीक्षा-मूल्यांकन में असहयोग करने वालों की सूची बनाएंगे।
प्रज्वल खरे, उपकुलसचिव, परीक्षा-गोपनीय विभाग, डीएवीवी
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