मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने शासकीय कर्मचारियों के लाभों और पदोन्नति के मामले में अधिकारियों की लापरवाही पर गहरी नाराजगी व्यक्त की है। जस्टिस अनिल वर्मा ने अधिकारियों को आदेश का पालन नहीं करने पर कड़ी चेतावनी दी और मामले की अगली सुनवाई 15 जनवरी 2025 को तय की।
By Neeraj Pandey
Publish Date: Wed, 13 Nov 2024 09:46:20 PM (IST)
Updated Date: Wed, 13 Nov 2024 09:46:20 PM (IST)
HighLights
- 13 साल से लंबित आदेश पर हाई कोर्ट का कड़ा रुख
- पेंशन और अन्य लाभों के मामले में लापरवाही पर टिप्पणी
- ग्वालियर और दतिया कलेक्टर को कोर्ट ने दिया नोटिस
नईदुनिया प्रतिनिधि, ग्वालियर : किसी शासकीय कर्मचारी का सर्विस रिकार्ड दुरुस्त रखना किसकी जिम्मेदारी है? शासन के अधिकारी ही तो करेंगे, कब तक कागजी घोड़े दौड़ाते रहोगे? कोर्ट के आदेश का पालन कब करोगे, जब पेंशनर मर जाएगा? एक दूसरे पर बात डालने से अच्छा है कि ग्वालियर और दतिया दोनों के कलेक्टर अगली सुनवाई पर कोर्ट में मौजूद रहें। यह बात नाराजगी भरे स्वर में हाई कोर्ट के जस्टिस अनिल वर्मा ने एक अवमानना याचिका की सुनवाई के दौरान कही।
भ्रष्टाचार के आरोप के कारण गई थी नौकरी
एक शासकीय कर्मचारी की पेंशन के अलावा ग्रेज्युटी सहित अन्य लाभ दिए जाने को लेकर कोर्ट के आदेश का पालन नहीं होने पर यह याचिका 2014 में दायर की गई थी। याचिकाकर्ता कैलाश नारायण की ओर से बताया गया कि याचिकाकर्ता रेवेन्यू इंस्पेक्टर के पद पर काम करता था। उन पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा, जिस मामले में उन्हें सजा हुई। इसके चलते उनकी पेंशन रोक ली गई, लेकिन बाकी के लाभ दिए जाने के लिए कोर्ट ने आदेश कर दिया था, लेकिन पालन नहीं किया गया।
अवमानना याचिकाओं पर सुनवाई
हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में बुधवार को दो मामलों में दायर अवमानना याचिकाओं पर सुनवाई की गई। इसमें जस्टिस अनिल वर्मा ने 12-13 साल से लंबित अवमानना याचिकाओं के प्रति गंभीर नाराजगी जताते हुए चेताया कि अगर सभी याचिकाओं का पालन समय रहते नहीं किया गया तो डीजीपी और कलेक्टर को खुद कोर्ट में आकर देरी का कारण बताना होगा।
हालांकि इस मामले में अधिकारियों की ओर से पैरवी करने वाले अधिकारियों ने काफी तर्क दिए, लेकिन जस्टिस वर्मा ने स्पष्ट रूप से कोर्ट के आदेश का पालन करने की बात कही। इस अवमानना याचिका पर अगली सुनवाई 20 नवंबर को होगी।
13 साल में पालन कर नहीं पाए, अब तक याचिका लंबित है, ये शर्मनाक है
जस्टिस अनिल वर्मा ने अधिकारियों से कहा कि वर्ष 2011 में कोर्ट के आदेश का पालन नहीं होने पर अवमानना याचिका कोर्ट में दायर कर दी गई थी। आज 13 साल हो गए हैं, अब तक आदेश का पालन नहीं कर पाए हो तो अब क्या करोगे? एसएएफ के हेड कांस्टेबल सहित अन्य पदों पर तैनात कर्मचारियों के प्रमोशन को लेकर कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किए जाने यह अवमानना याचिका दायर की गई है।
सुनवाई में प्रतिवादी अधिकारियों की ओर से पैरवी करने वाले अधिवक्ता से नाराजगी व्यक्त करते हुए जस्टिस वर्मा ने कहा कि आप समय बताओ कितना चाहिए, कोर्ट समय देने को तैयार है, लेकिन अगर उस समय के भीतर भी आदेश का पालन नहीं हुआ तो फिर अगली सुनवाई पर एसएएफ के चंबल रीजन के डीआइजी को खुद पेश होकर इस विफलता का कारण बताना होगा। इतने वर्षों से याचिका लंबित है, यह शर्मनाक है। कोर्ट ने दो महीने का समय दिया है और अब इस मामले की अगली सुनवाई 15 जनवरी 2025 को होगी।
इस मामले में याचिकाकर्ता राजवीर सिंह की ओर से बताया गया कि याचिकाकर्ता सहित लगभग 10 कर्मचारियों की पदोन्नति इस आधार पर की जानी थी कि उन्होंने कैडर कोर्स किया है। इसको लेकर हाई कोर्ट ने आदेश भी दिए थे लेकिन विभाग ने उन्हें कोर्ट के आदेश के पालन में पदोन्नति नहीं दी बल्कि उनका नंबर आने पर पदोन्नत किया गया। इस बात पर सभी ने कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की है।
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