मध्य प्रदेश में बढ़ते प्रदूषण का मुख्य कारण सड़क धूल, वाहनों, उद्योगों और पराली जलाने की घटनाएं हैं। 15 सितंबर से 14 नवंबर 2024 तक राज्य में 8,917 पराली जलाने की घटनाएं दर्ज की गईं, जो पंजाब और हरियाणा से भी अधिक हैं। प्रदूषण नियंत्रण के लिए कृषि और प्रशासन विभाग सक्रिय हैं।
By Neeraj Pandey
Publish Date: Mon, 18 Nov 2024 10:53:56 PM (IST)
Updated Date: Mon, 18 Nov 2024 10:53:56 PM (IST)
HighLights
- सड़क धूल, वाहन, उद्योग, पराली जलाने से बढ़ा प्रदूषण
- पराली जलाने में प्रदेश ने पंजाब-हरियाणा को पीछे छोड़ा
- श्योपुर में सबसे अधिक 489 पराली जलाने की घटनाएं
राज्य ब्यूरो, नईदुनिया, भोपाल : देश में सर्वाधिक वन आवरण होने के बाद भी प्रदेश में प्रदूषण का स्तर बढ़ता जा रहा है। हवा में प्रदूषण की बढ़ती मात्रा का कारण सड़क की धूल, वाहन और उद्योगों के साथ-साथ पराली (नरवाई) जलाने है। स्थिति यह हो गई है कि पराली जलाने में मध्य प्रदेश ने पंजाब और हरियाणा को भी पीछे छोड़ दिया है।
15 सितंबर से 14 नवंबर 2024 तक देश में सर्वाधिक 8,917 पराली जलाने की घटनाएं प्रदेश में दर्ज हुईं। यह बात कृषि अभियांत्रिकी विभाग भोपाल द्वारा जारी पराली जलाने की घटनाओं के सेटेलाइट डेटा से सामने आई है।
2024 में पराली जलाने की 8,917 घटनाएं
विभागीय अधिकारियों ने बताया कि प्रदेश में 15 सितंबर से 14 नवंबर 2024 के बीच पराली जलाने की जो घटनाएं सामने आईं उनमें सर्वाधिक 489 श्योपुर में दर्ज की गईं। जबलपुर में 275 घटनाएं हुईं तो ग्वालियर, नर्मदापुरम्, सतना, दतिया जैसे जिलों में लगभग 150-150 घटनाएं दर्ज की गईं। यह डेटा पंजाब व हरियाणा जैसे कृषि में अग्रणी प्रदेशों से भी अधिक है।
परंपरागत खेती वालों जिलों में नगण्य
उन जिलों में पराली जलाने की घटनाएं नगण्य हैं, जहां परंपरागत कृषि होती है। इसमें बालाघाट जिला अग्रणी है। यहां 15 सितंबर से 16 नवंबर तक छह घटनाएं सामने आई हैं। जिले में किसान हार्वेस्टर से कटाई के बावजूद एक फीट तक धान काटता है और कुछ हिस्सा शेष रखते हैं। इसका उपयोग वर्षभर पशुओं के चारे के रूप में किया जाता है।
पराली को लेकर जागरूकता अभियान
पर्यावरण विभाग के सचिव नवनीत मोहन कोठारी का कहना है कि प्रदूषण का एक कारण पराली भी है। किसान इसे न जलाएं, इसके लिए उन्हें जागरुक करने का काम कृषि विभाग के साथ-साथ जिला प्रशासन करता है। शहरी क्षेत्रों में प्रदूषण का बड़ा कारण सड़क की मिट्टी है। धूल से प्रदूषण 60 प्रतिशत तक होता है।
वाहन और उद्योगों के कारण भी प्रदूषण
वहीं, वाहन और उद्योगों के कारण भी प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है। इसे नियंत्रित करने के लिए प्रदूषण नियंत्रण मंडल के साथ संबंधित विभाग भी काम कर रहे हैं। अब फिर कृषि सहित सभी विभागों को निर्देश दिए जा रहे हैं कि प्रदूषण नियंत्रण के लिए निर्धारित प्रविधानों का कड़ाई से पालन कराएं।
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