मध्य प्रदेश में साइबर ठगी के मामलों में बड़ी वृद्धि हो रही है। ठगों ने पिछले डेढ़ साल में 17 करोड़ रुपये की ठगी की है, हालांकि पुलिस ने कुछ राशि होल्ड कर दी है। साइबर पुलिस का कहना है कि समय पर शिकायत करने से ठगी की राशि को होल्ड करना आसान हो जाता है।
By Neeraj Pandey
Publish Date: Wed, 13 Nov 2024 11:01:42 PM (IST)
Updated Date: Wed, 13 Nov 2024 11:01:42 PM (IST)
HighLights
- डेढ़ वर्ष में साइबर ठगों ने 17 करोड़ रुपये ठगे, 52 लोग से बचाए गए
- पुलिस ने पांच करोड़ रुपये होल्ड किए साइबर ठगी के बढ़ते मामले
- प्रमुख मामलों में इंदौर की घटनाएं, जिसमें लाखों रुपये की ठगी की गई
राज्य ब्यूरो, नईदुनिया, भोपाल : साइबर पुलिस ने दो दिन पहले भोपाल में डिजिटल अरेस्ट हुए एक कारोबारी को ठगों की लाइव निगरानी से छुड़ाते हुए ठगी से बचाया था। ग्वालियर में भी एक रिटायर्ड अधिकारी डिजिटल अरेस्ट होकर भी ठगों का शिकार बनने से बच गए। इसी तरह से समझदारी दिखाते प्रदेश में अन्य 52 लोग भी ठगी से बच सकते थे।
डेढ़ वर्ष में साइबर ठगों ने इनसे लगभग 17 करोड़ रुपये ठग लिए। हालांकि, इनमें लगभग पांच करोड़ रुपये पुलिस ने होल्ड करा दिए हैं, यानी हर जगह से सत्यापन के बाद यह राशि पीड़ितों को मिल जाएगी। डेढ़ करोड़ रुपये वापस मिल भी गए हैं।
समय पर दें जानकारी
साइबर पुलिस के अधिकारियों का कहना है कि पीड़ित समय पर सूचना दें तो राशि को होल्ड कराना आसान हो जाता है। बता दें कि इस वर्ष मध्य प्रदेश में साइबर ठगी के प्रकरणों में ठगी गई राशि 385 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है। जुलाई तक यह आंकड़ा 300 करोड़ रुपये था। इस वर्ष पहले 10 माह में साइबर अपराध की पांच लाख शिकायतें आई हैं, जो अब तक की सर्वाधिक हैं।
बुद्धिजीवी वर्ग हो रहा ठगी का शिकार
साइबर मुख्यालय के अधिकारियों ने बताया कि अभी तक 30 आरोपितों को गिरफ्तार किया गया है। ये आरोपित बिहार, राजस्थान, और दक्षिण भारत के अन्य राज्यों के हैं। अन्य आरोपितों की तलाश की जा रही है। ठगी के शिकार लोगों में डाक्टर, कालेज के प्रोफेसर, कंपनी सेक्रेटरी और व्यापारी भी शामिल हैं।
जेल भेजने का डर
अधिकारियों ने बताया कि ठगी का सबसे आसान तरीका यह होता है कि ठग लोगों को उनके सिम से कोई अपराध होने की बात करते हैं। गिरफ्तारी और जेल भेजने का डर दिखाते हैं। इससे लोग डर जाते हैं। ठग बैंक से संबंधित पूरी जानकारी लेकर पैसा अपने खाते में ट्रांसफर कर लेते हैं। बिना डरे साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर फोन करना चाहिए।
ये हैं कुछ केस
केस 1- इंदौर में अक्टूबर 2024 में आरआर कैट के एक विज्ञानी को साइबर ठगों ने छह दिन तक डिजिटल अरेस्ट रखा। ईडी, ट्राइ और सीबीआइ अधिकारी बनकर 71 लाख रुपये ठग लिए।
केस 2 – इंदौर में 65 वर्ष की एक महिला को अक्टूबर 2024 में ही ठगों ने पांच दिन तक डिजिटल अरेस्ट रखा। ठगों ने खुद को अलग-अलग जांच एजेंसियों का अधिकारी बताकर 46 लख रुपये ठग लिए। घटना के बाद महिला ने पुलिस में शिकायत की।
साइबर ठगों ने 6 घंटे किया डिजिटल अरेस्ट, मांगे 3.5 लाख रुपये
भोपाल के गायत्री नगर निवासी टेलीकॉम इंजीनियर प्रमोद कुमार को साइबर ठगों ने 6 घंटे तक डिजिटल अरेस्ट में रखा। ठगों ने मुंबई क्राइम ब्रांच, ट्राई और आर्थिक अपराध शाखा के अधिकारी बनकर प्रमोद को धमकाया कि उनके आधार कार्ड से कई सिम लिंक हैं, जिनका इस्तेमाल अपहरण में हुआ है। इसके बाद उन्होंने साढ़े तीन लाख रुपये की मांग की। प्रमोद ने फोन रिसीव नहीं किए, लेकिन आफिस के कर्मचारी ने घर जाकर मामला खोला और क्राइम ब्रांच को सूचना दी।
ठगों के फोन और जानकारी से घबराए हुए थे परिवार वाले
प्रमोद के पास कई धमकी भरे फोन आए, जिनमें ठगों ने उनका बैंक विवरण, लोन जानकारी और फोन हिस्ट्री भी बताई। उनकी पत्नी के फोन को बंद कर दिया गया था और उन्हें लगातार डराया गया। क्राइम ब्रांच ने बाद में मामले का खुलासा किया और सुरक्षा प्रदान कर प्रमोद को ठगों के चंगुल से बचाया।
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