इसके साथ ही मित्तल ने उम्मीद जताई कि इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) की ओर से ध्यान दिया जाएगा। उन्होंने ट्वीट कर कहा, “गूगल से कॉल आई है जिसमें भारतीय डिवेलपर्स के लिए उनकी पेमेंट्स को अनिवार्य बताया गया है। यह भारतीय कानूनों का उल्लंघन है। मुझे उम्मीद है कि ‘PMO’ इस पर ध्यान देगा। यह डिजिटल ईस्ट इंडिया कंपनी है।” हाल ही में गूगल की ओर से पॉलिसी में बदलाव किया गया था। गूगल के वैकल्पिक बिलिंग सिस्टम को चुनने पर भी सर्विस फीस चुकानी होगी लेकिन यह स्टैंडर्ड फीस की तुलना में चार प्रतिशत कम होगी।
गूगल पर इससे पहले भी कॉम्पिटिशन कमीशन ऑफ इंडिया ( CCI) के ऑर्डर का उल्लंघन करने और वैकल्पिक बिलिंग सिस्टम को चुनने वाले ऐप डिवेलपर्स से 11-26 प्रतिशत तक कमीशन वसूलने का आरोप लगा था। अलायंस ऑफ डिजिटल इंडिया फाउंडेशन (ADIF) ने CCI सहित अथॉरिटीज से इस मामले को देखने और यह सुनिश्चित करने का निवेदन किया था कि गूगल इस ऑर्डर का पूरी तरह पालन करे।
डिजिटल स्टार्टअप्स से जुड़े पॉलिसी थिंक टैंक ADIF ने एक स्टेटमेंट में कहा था, “हाल ही में गूगल ने ऐप डिवेलपर्स के लिए बिलिंग के तरीके में बदलाव किया है। कंपनी ने बताया है है कि अगर कोई यूजर वैकल्पिक बिलिंग सिस्टम के जरिए भुगतान करता है तो Google play की सर्विस फीस चार प्रतिशत घट जाएगी। इससे गूगल की सर्विस का इस्तेमाल नहीं करने पर भी ऐप डिवेलपर्स को कंपनी को कमीशन चुकाने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।” ADIF का कहना था कि इससे CCI के ऑर्डर का गूगल पूरी तरह से उल्लंघन कर रही है। CCI ने कंपनी को निर्देश दिया था कि उसे ऐप डिवेलपर्स पर ऐसी कोई शर्त नहीं लगानी चाहिए जो अनुचित या भेदभाव वाली हो। इसका कोई कारण नहीं बताया गया है कि यूजर के थर्ड-पार्टी प्रोसेसिंग सर्विस का इस्तेमाल करने पर भी कंपनी 11-26 प्रतिशत की कमीशन क्यों ले रही है।
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2023-04-24 16:07:28
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