इंदौर विकास प्राधिकरण।
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इंदौर विकास प्राधिकरण ने योजना क्रमांक 171 छोड़ने की तैयारी कर ली है।इससे सैकड़ों भूखंडधारियों को राहत मिलेगी।इस स्कीम को डीनोटिफिकेशन करने के प्रस्ताव को सरकार ने भी मंजूरी दे दी है। प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालिक अधिकारी आर पी अहिरवार ने बताया कि योजना क्रमांक 171 का धारा 50 (7)में 12 साल पहले प्रकाशन हुआ था।योजना का कुल रकबा 151.553 हेक्टेयर है।
योजना में वर्तमान में एक हजार से अधिक मकान निर्मित है और इसके भू धारकों की संख्या 221 है। मकानों की खरीदी बिक्री नहीं हो पाती थी। तेरह गृह निर्माण संस्थाओं की भूमि इस योजना में शामिल है, प्राधिकरण ने इस योजना में लगभग छह करोड़ विभिन्न कामों में खर्च किए। स्कीम छोड़ने के एवज में राज्य शासन इसकी वसूली की गणना कर इसकी राशि भू धारकों से वसूल करेगी।
पांच रुपए प्रति स्क्वायर फीट की राशि भू धारकों से वसूल कर आईडीए योजना को डी नोटिफाई कर सकेगा। इससे कई परिवारों को उनके प्लाटों पर मकान बनाने की राह आसान होगी, क्योंकि स्कीम के कारण नक्शे पास नहीं होते थे,क्योंकि प्राधिकरण की तरफ से नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट नहीं दिया जाता था। 30 साल पहले यह स्कीम 132 कहलाती थी।
वर्ष 2012 में हाईकोर्ट ने इस स्कीम को खारिज कर दिया था। प्राधिकरण ने फिर इसे 171 क्रमांक से लागू कर दिया। कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में हुए संशोधन के बाद प्राधिकरण ने उन जमीनों को छोड़ने का फैसला लिय था। जहां 10 प्रतिशत से कम विकास कार्य किए गए और स्कीम को लागू करने में लंबा वक्त हो चुका है। इस स्कीम को लेकर हाईकोर्ट में भी याचिका लगी थी। तब प्राधिकरण ने इसे लैप्स करने की बात कही थी।
बाद में शासन से प्राधिकरण ने अभिमत मांगा था। आपको बता दे कि इस स्कीम में देवी अहिल्या गृह निर्माण संस्था, न्याय विभाग, इंदौर विकास गृह निर्माण संस्था, मजदूर पंचायत, अप्सरा गृह निर्माण संस्था सहित तेरह संस्थाएं हैै। कुछ संस्थाए भूमाफिया के चुंगल में है और सदस्यों के प्लाॅट गलत तरीके बेच दिए गए। अब प्राधिकरण के समक्ष असली प्लाॅटधारकों को अनापत्ति प्रमाण पत्र देना भी मुश्किल होगा,क्योकि सहकारिता विभाग की वरीयता सूची को लेकर भी विवाद होता है।
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https://www.amarujala.com/madhya-pradesh/indore/indore-ida-will-leave-scheme-number-171-plots-were-stuck-for-thirty-years-2024-10-22
2024-10-22 02:56:35