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Mandideep-Indore Bypass: निरस्त हो सकती है कि मंडीदीप से इंदौर मार्ग को जोड़ने वाली पश्चिमी बायपास परियोजना, ये है असली वजह

मंडीदीप-इंदौर भोपाल पश्चिमी बायपास परियोजना (41 किमी, ₹3000 करोड़ लागत) भूमि अधिग्रहण में गड़बड़ी के आरोपों के चलते निरस्त हो सकती है। एक्सप्रेस वे में बायपास को शामिल करने की योजना बन रही है। भूमि अधिग्रहण में नेताओं और बिल्डरों की भूमि होने से विवाद बढ़ा है।

By Neeraj Pandey

Publish Date: Tue, 24 Dec 2024 08:20:28 PM (IST)

Updated Date: Tue, 24 Dec 2024 08:20:28 PM (IST)

मार्च 2025 तक परियोजना पूरी करने का था लक्ष्य।

HighLights

  1. ₹3000 करोड़ की सड़क परियोजना विवादों में घिरी।
  2. भूमि अधिग्रहण में नेताओं की खरीद की शिकायत।
  3. एक्सप्रेस वे में बायपास शामिल करने की संभावना।

राज्य ब्यूरो, नईदुनिया, भोपाल। तीन हजार करोड़ रुपये की लागत से मंडीदीप से इंदौर को जोड़ने वाली भोपाल पश्चिमी बायपास परियोजना निरस्त हो सकती है। इसमें आने वाली भूमि के अधिग्रहण को लेकर शिकायतें हुई थीं। 41 किलोमीटर लंबी सड़क परियोजना के लिए जो क्षेत्र चिन्हित किए गए हैं, उसमें अधिकारियों और नेताओं ने पहले से भूमि खरीद रखी है।

इस कारण यह आरोप लगे थे कि चुनिंदा लोगों को उपकृत करने के लिए मार्ग प्रभावित किया गया। उधर, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने भोपाल-इंदौर एक्सप्रेस वे बनाने की तैयारी शुरू कर दी है। विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन (डीपीआर) बनाने के लिए निविदा आमंत्रित की जा चुकी है।

जब यह परियोजना आ रही है तो फिर राज्य के बजट से मार्ग बनाने की आवश्यकता ही नहीं रह जाती है। इसमें भी बायपास को शामिल किया जा सकता है। उल्लेखनीय है कि आयकर विभाग और लोकायुक्त की कार्रवाई की जद में आए लोगों के भी निवेश इस परियोजना के क्षेत्र में सामने आए हैं।

परियोजना के औचित्य पर प्रश्न

लोक निर्माण विभाग का कहना है कि शिकायत के बाद परियोजना के औचित्य पर प्रश्न उठे। उच्च स्तर से पूरा परीक्षण कराने के निर्देश मिले हैं, जिसके बाद लोक निर्माण विभाग के चार अधिकारियों की समिति बनाई गई। इस बीच भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने भोपाल-इंदौर एक्सप्रेस वे की प्रक्रिया तेज कर दी। डीपीआर बनाने के लिए निविदा आमंत्रित की गई।

एक्सप्रेस वे में बायपास भी शामिल करने की योजना

चूंकि, एक्सप्रेस वे में बायपास को भी शामिल किया जा सकता है, इसलिए परियोजना का कोई औचित्य नजर नहीं आ रहा है। सरकार का प्रयास है कि केंद्र सरकार के बजट से बनने वाले एक्सप्रेस वे में ही बायपास के हिस्से को शामिल कर लिया जाए ताकि मंडीदीप से होकर देवास-इंदौर जाने वालों को भोपाल में प्रवेश ही नहीं करना पड़े।

मंडीदीप से ही उन्हें एक रास्ता मिल जाए, जिससे वे सीधे भोपाल-इंदौर मार्ग में जुड़ जाएं। इससे भोपाल में यातायात का दवाब कम होगा और इंदौर जाने वालों को 20 से 25 किलोमीटर की दूरी भी कम तय करनी होगी।

250 हेक्टेयर भूमि करनी पड़ेगी अधिग्रहित

सूत्रों का कहना है कि लगभग 41 किलोमीटर लंबे पश्चिमी बायपास में रायसेन और भोपाल जिले की लगभग 250 हेक्टेयर भूमि ऐसी है, जिसे अधिग्रहित करना होगा। इसमें नेता, अधिकारी और बिल्डरों की भूमि शामिल है। निविदा होने के बाद भी भूमि अधिग्रहण नहीं हो पाया है। जबकि, इसके लिए दोनों जिले के कलेक्टरों को सौ-सौ करोड़ रुपये भी दिए जा चुके हैं।

मार्च 2025 तक पूरा होना था काम

अनुबंध के अनुसार यह कार्य मार्च 2025 तक पूरा होना है अन्यथा अधिग्रहण के लिए मिली राशि लैप्स हो जाएगी। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि मार्ग में लगभग छह किलोमीटर का वन क्षेत्र भी आता है और अब रातापानी को टाइगर सेंचुरी घोषित गया है, इसलिए विधिक परीक्षण कराया जा रहा है कि कैसे रास्ता निकाला जाए।

उधर, रायसेन कलेक्टर अरविंद दुबे का कहना है कि भूअर्जन के प्रारंभिक प्रकाशन के बाद प्रक्रिया रुकी हुई है। लोक निर्माण विभाग के भोपाल परिक्षेत्र के मुख्य अभियंता संजय मस्के का कहना है कि हमारी जांच अभी चल रही है। चार बैठकें हो चुकी हैं। दो-तीन बैठकें और होना हैं। इसके बाद रिपोर्ट सौंप दी जाएगी।

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