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Shiv Navratri 2025: उज्जैन में सोमवार से शुरू होगा शिवनवरात्र उत्सव, दूल्हा बनेंगे बाबा महाकाल

उज्जैन के महाकाल मंदिर में सोमवार से शिवनवरात्र उत्सव(Shiv Navratri 2025) शुरू होगा। दस दिनों तक चलने वाले इस उत्सव में भगवान महाकाल का दूल्हा रूप में नितनया शृंगार किया जाएगा। महाकाल मंदिर में शिवनवरात्र के दौरान विशेष पूजा अर्चना और अनुष्ठान का आयोजन किया जाएगा।

By Prashant Pandey

Publish Date: Sun, 16 Feb 2025 08:17:47 AM (IST)

Updated Date: Sun, 16 Feb 2025 08:31:11 AM (IST)

महाकाल मंदिर में शिव नवरात्र का उत्सव में शामिल होने उमड़ेंगे भक्त।

HighLights

  1. उज्जैन के महाकाल मंदिर में शिवनवरात्र उत्सव की तैयारी पूरी।
  2. भगवान महाकाल का दूल्हा रूप में नितनया शृंगार किया जाएगा।
  3. महाकाल मंदिर में होगा विशेष पूजा और अनुष्ठान का आयोजन।

नईदुनिया प्रतिनिधि, उज्जैन(Mahashivratri 2025)। वैसे तो तीर्थपुरी अवंतिका सदा सुहावनी है, लेकिन इन दिनों ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में चल रही शिव विवाह की तैयारी ने इसके सौंदर्य में चार चांद लगा दिए हैं। साफ सफाई के बाद मंदिर का कोना-कोना दमक रहा है, शिखर की सोनार शिखरियां मनमोह रही हैं।

भक्तों को इंतजार अब सोमवार सुबह का है जब शिव पंचमी की पूजा के साथ शिवनवरात्र का आरंभ होगा और भगवान महाकाल दूल्हा बनेंगे। बारह ज्योतिर्लिंग में महाकाल एक मात्र ऐसा ज्योतिर्लिंग हैं, जहां शिवनवरात्र के रूप में शिव पार्वती विवाह का उत्सव दस दिन तक मनाया जाता है।

नियनया शृंगार किया जाता है

नवरात्र के इन नौ दिनों में भगवान महाकाल का तिथि के अनुसार दूल्हा रूप में नितनया शृंगार किया जाता है। हालांकि इस बार 30 साल बाद तिथि (सप्तमी) वृद्धि का विशेष संयोग बना है। इसके चलते शिवनवरात्र दस दिन के रहेंगे और शिव विवाह का उत्सव 17 से 27 फरवरी तक मनाया जाएगा।

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नौ दिन शिवनवरात्र उत्सव मनाने की परंपरा

इसमें पूजा अर्चना का विशेष अनुक्रम रहेगा तथा भगवान महाकाल का विशेष शृंगार किया जाएगा। इसलिए दस दिन मनता है उत्सव महाकाल मंदिर की पूजन परंपरा अनुसार फाल्गुन कृष्ण पंचमी से त्रयोदशी तक नौ दिन शिवनवरात्र उत्सव मनाने की परंपरा है। लेकिन महाशिवरात्रि पर रातभर पूजा के बाद अगले दिन तड़के 4 बजे भगवान के शीश सवामन फल व फूलों का सेहरा सजाया जाता है।

सेहरा धारण कराने में लगता है 2 घंटे का समय

भगवान को सेहरा धारण कराने में दो घंटे का समय लगता है। इसके बाद सुबह 6 बजे सेहरा आरती होती है। सुबह 6 से 10 बजे तक सेहरा दर्शन होते हैं। इसके बाद सेहरा उतारा जाता है। पश्चात दोपहर 12 बजे भस्म आरती होती है। भस्म आरती के बाद दोपहर 2.30 बजे भोग आरती होती है।

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इसके बाद मंदिर समिति पुजारियों का पारणा कराती है। फिर यह पर्व संपन्न होता है। इसलिए चतुर्दशी का यह दिन मिलाकर दस दिवसीय उत्सव की मान्यता है। यही कारण है इस बार तिथि वृद्धि होने से शिवनवरात्र दस दिन की रहेगी, लेकिन उत्सव ग्यारह दिन मनेगा।

दर्शन व्यवस्था में परिवर्तन होगा

शिवनवरात्र के दौरान सुबह 9 बजे से दोपहर 2 बजे तक गर्भगृह में अभिषेक,पूजन व अनुष्ठान का विशेष अनुक्रम रहेगा। ऐसे में इस दौरान गर्भगृह के गलियारे से दर्शन की सुविधा बंद रहेगी। दोपहर 3 बजे से संध्या पूजन के समय भी प्रोटोकाल वाले दर्शनार्थियों को नंदी व गणेश मंडप के प्रथम बैरिकेड्स से निर्धारित व्यवस्था के अनुसार दर्शन कराए जाएंगे।

अधिकारी व कर्मचारी के साप्ताहिक अवकाश पर रोक

महाकाल मंदिर में 17 से 27 फरवरी तक शिवनवरात्र उत्सव मनाया जाएगा। 26 फरवरी को शिवरात्रि महापर्व रहेगा। इन ग्यारह दिनों में देशभर से हजारों श्रद्धालु भगवान महाकाल के दर्शन करने आएंगे।

मंदिर प्रशासन ने व्यवस्था की दृष्टि से मंदिर के अधिकारी, शाखा प्रभारी व कर्मचारियों के साप्ताहिक अवकाश पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। प्रशासक ने आदेश जारी कर 16 फरवरी से 1 मार्च तक अवकाश स्थगित कर दिए हैं।

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