सभी बीजों का वजन एक पाउंड (500 ग्राम) था। इन्हें 5 महीनों तक स्पेस में माइक्रोग्रैविटी (सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण) और स्पेस रेडिएशन के संपर्क में रखा गया। इस साल अप्रैल में ये बीज पृथ्वी पर लौट आए थे। प्रोजेक्ट का नाम चॉक्टॉ हेरलूम सीड्स इन्वेस्टिगेशन (Choctaw Heirloom Seeds investigation) है। इसका मकसद अमेरिकी युवाओं को STEM में करियर बनाने के लिए प्रोत्साहित करना है।
रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका के ओक्लाहामा में जोन्स अकादमी बोर्डिंग स्कूल के स्टूडेंट्स इन बीजों को उनके स्कूल गार्डन में लगाएंगे। स्टूडेंट्स से कहा गया है कि वो इन बीजों की ग्रोथ का पूर्वानुमान लगाएं।
क्या है इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन?
यह धरती से 400 किलोमीटर ऊपर लो-अर्थ ऑर्बिट यानी पृथ्वी की निचली कक्षा में मौजूद है। इसमें अमेरिका, रूस और उनके सहयोगी देशों के एस्ट्रोनॉट्स की एक टीम हमेशा तैनात रहती है और अंतरिक्ष से जुड़े प्रयोगों को पूरा करती है। इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन लगभग 7.6 किलोमीटर प्रति सेकंड की रफ्तार से पृथ्वी की परिक्रमा करता है। इस दौरान यह 24 घंटों में 16 बार पृथ्वी का चक्कर लगाता है।
आईएसएस पर फिलहाल क्रू-9 मिशन की टीम मौजूद है। यह टीम अगले साल फरवरी मार्च में धरती पर लौटेगी। तब उसमें अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स (Sunita williams) और बुच विल्मोर (butch willmore) भी शामिल होंगे।
बहरहाल, यह देखना दिलचस्प होगा कि स्पेस में रहकर आए बीज धरती पर कैसी ग्रोथ कर पाते हैं।
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2024-11-18 09:44:47
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