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अचलेश्वर के दानपात्र खुले, साढ़े छह लाख रुपये निकले

अचलेश्वर मंदिर के दान पत्रों में से छह लाख 49 हजार 80 रुपये निकले।पिछले माह की तुलना में इस बार 73 हजार रुपये अधिक निकले हैं। अचलेश्वर मंदिर के दानपत्रों में इस बार तांबे के नाग-नागिन के अलावा पत्र निकले। जिसमें अर्जी वाले पत्र भी निकले हैं।

By Jogendra Sen

Publish Date: Mon, 11 Nov 2024 12:24:20 PM (IST)

Updated Date: Mon, 11 Nov 2024 12:24:20 PM (IST)

अचलेश्‍वर मंदिर में दानपात्रों से निकली रकम को गिनते कर्मचारी।

HighLights

  1. पिछले माह की तुलना में 73 हजार रुपये अधिक दान किए
  2. दान पात्र तांबे के नाग-नागिन और पत्र भी निकले
  3. दानपात्र से निकली राशि को जमा कराया जाएगा बैंक खाते में

नईदुनिया प्रतिनिधि, ग्वालियर। अचलेश्वर मंदिर के दान पत्र 35 दिन बाद रविवार की सुबह खोले गए। दान पत्रों में से छह लाख 49 हजार 80 रुपये निकले। पिछले माह की तुलना में इस बार 73 हजार रुपये अधिक निकले हैं। 13 दानपत्रों से निकली राशि की गणना में छह घंटे का समय लगा। अचलेश्वर मंदिर के दानपत्र प्रत्येक माह के पहले रविवार को खोले जाते हैं।

इस माह सोमवार को मंदिर पर अन्नकूट महोत्सव होन के कारण दानपत्र 35 दिन बाद खोले गए। दानपत्र से निकली राशि को मंदिर के बैंक खाते में सोमवार की सुबह जमा कराया जाएगा। मंदिर के प्रबंधक वीरेंद्र शर्मा ने बताया कि मंदिर संचालन समिति के निर्देश पर रविवार की सुबह मंदिर में लगे दानपत्र को नटराज सभागार के पास स्थित मंदिर के आफिस में लाया गया।

सेवानिवृत्त कर्मचारियों की मौजूदगी में दानपत्रों से निकली राशि की गणना की गई। नोट को छांटने से लेकर गिनती करने में छह घंटे का समय लगा। धनराशि की गिनती 15 से अधिक कर्मचारियों ने की।

तांबे के नाग-नागिन और पत्र भी निकले

अचलेश्वर मंदिर के दानपत्रों में इस बार तांबे के नाग-नागिन के अलावा पत्र निकले। जिसमें अर्जी वाले पत्र भी निकले हैं। इन पत्रों में श्रद्धालुओं ने पूर्ण आस्था और विश्वास के साथ भगवान अचलनाथ को अपनी समस्या बताते हुए समाधना की विनती की है।

नवमी पर की आंवले के वृक्ष की पूजा

  • कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को आंवला नवमी के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि नवमी से लेकर कार्तिक पूर्णिमा तक श्री हरि और माता लक्ष्मी का वास रहता है। इसलिए लक्ष्मीनारायण की कृपा पाने के लिए सनातनियों ने रविवार को आंवले के वृक्ष की विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की और दान पुण्य किया। इस दिन किया गया दान अक्षय माना जाता है।
  • दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा, अष्टमी को गो-पूजन और नवमी के दिन आंवला का पूजन किया जाता है। आयुर्वेद में आंवले को अमृत तुल्य माना गया है। कार्तिक मास में आंवले का वृक्ष फल से लदा रहता है। सु
  • खद भविष्य के लिए की कामना- आंवला नवमी को श्रद्धालुओं ने आंवले की विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की और सूत लपेटकर परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की। पवित्र कार्तिक माह में स्नान का संकल्प लेने वाली महिलाओं ने आंवले के वृक्ष के नीचे बैठकर बहन-बहनोई व भांजे को भोजन कराया।

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