प्रदेश में कर्मचारियों के तबादलों पर इस साल प्रतिबंध नहीं हटेंगे। इसकी वजह यह है कि सरकार तबादलों पर प्रतिबंध खत्म कर मिड-सेशन में अव्यवस्था से बचना चाहती है। यदि तबादलों से प्रतिबंध हटा तो इसका सीधा असर स्थानांतरित होने वाले कर्मचारियों और उनके बच्च
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मोहन कैबिनेट के मंत्रियों ने भी इसके संकेत दिए हैं। अब तबादले न होने का सबसे बड़ा कारण स्कूल शिक्षा के प्रभावित होने को बताया जा रहा है। बहुत जरूरी हुआ तो सीएम समन्वय से तबादले किए जाते रहेंगे।
लोकसभा चुनाव के बाद से प्रदेश में तबादलों पर प्रतिबंध हटाने की मांग कर्मचारी कर रहे हैं। इसको लेकर कई बार मंत्रियों ने भी कैबिनेट बैठक और अन्य मौकों पर सीएम से प्रतिबंध शिथिल करने की मांग रखी, लेकिन मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव इसे टालते जा रहे हैं।
सितंबर में कैबिनेट की अनौपचारिक बैठक में इस पर काफी देर तक चर्चा भी हुई थी, तब सीएम ने अक्टूबर के दूसरे सप्ताह में प्रतिबंध हटाने का आश्वासन देकर बात टाल दी थी। अक्टूबर में हुई कैबिनेट बैठकों में इस पर चर्चा नहीं हुई है। इसलिए अब इसका टलना तय माना जा रहा है।
मंत्री, अफसरों ने दिए संकेत, मिड-सेशन में तबादले तो पढ़ाई प्रभावित होगी
शुक्रवार को मोहन कैबिनेट के एक मंत्री ने तबादले टलने के संकेत देते हुए कहा कि अब मार्च या अप्रैल में ही इस पर प्रतिबंध हटने की उम्मीद है। इसकी वजह तबादले के दायरे में आने वाले स्कूल शिक्षक और कर्मचारियों के बच्चे हैं।
अफसरों ने भी सहमति जताई कि प्रदेश में सबसे अधिक अमला स्कूल शिक्षा विभाग का है। यदि ट्रांसफर हुए तो बड़े पैमाने पर स्कूल टीचर्स भी तबादले की जद में आएंगे, जिससे स्कूलों में पढ़ाई प्रभावित होगी। इससे काफी अव्यवस्था की स्थिति बन जाएगी और शिक्षकों का विद्यालयों में सेटअप गड़बड़ा जाएगा।
एक बड़ी दिक्कत यह भी है कि यदि अभी तबादले होते हैं तो कर्मचारियों और अधिकारियों के बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित होगी। अब जबकि स्कूलों में अर्द्धवार्षिक परीक्षाएं हो चुकी हैं, बच्चों की पढ़ाई के साथ उनके एडमिशन में भी समस्याएं आएंगी। इसलिए सरकार इस स्थिति से बचना चाहती है। ऐसे में मिड-सेशन के बजाय स्कूल सेशन खत्म होने के बाद मार्च या अप्रैल में ही तबादलों पर प्रतिबंध हटने की संभावना है।
पूर्व सरकार में बनी थी शिक्षकों की तबादला नीति
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में शिक्षकों की तबादला नीति बनी थी जिसमें ऑनलाइन आवेदन लेकर तीन स्थानों की च्वाइस फिलिंग कराई गई थी। इस नीति को शिक्षकों ने सराहा भी था क्योंकि विद्यालयों में पद रिक्त होने पर आसानी से बगैर लेन-देन के तबादले होते थे। इसमें यह भी विशेष था कि तबादले स्कूल बंद होने के बाद ही किए जाते थे, जिससे पढ़ाई प्रभावित नहीं होती थी।
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