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अमेरिकी विदेश मंत्री बोले- यूक्रेन को अपनी जमीन छोड़नी होगी: कहा- कड़े फैसले लेने के लिए तैयार रहें; बातचीत के लिए रुबियो सऊदी पहुंचे

जेद्दाह45 मिनट पहले

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रुबियो ने सऊदी जाते समय प्लेन में पत्रकारों से बातचीत के दौरान ये बयान दिया। - Dainik Bhaskar

रुबियो ने सऊदी जाते समय प्लेन में पत्रकारों से बातचीत के दौरान ये बयान दिया।

अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने यूक्रेन से जंग के समाधान के लिए जमीन छोड़ने को कहा है। रुबियो ने सोमवार को कहा कि यूक्रेन के जिस इलाके पर रूस का 2014 से कब्जा है, उसमें यूक्रेन को रियायत देनी होगी।

उन्होंने कहा-

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मुझे लगता है कि दोनों पक्षों को यह समझने की जरूरत है कि इस संघर्ष का कोई सैन्य समाधान नहीं है। रूस पूरे यूक्रेन पर कब्जा नहीं कर सकता है और यूक्रेन के लिए भी यह बेहद कठिन होगा कि वह रूस को 2014 से पहले की स्थिति में वापस धकेल सके।

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रुबियो ने रूस और यूक्रेन से कड़े फैसले लेने के लिए तैयार रहने को कहा। रुबियो सऊदी अरब पहुंचे हैं। वे यहां यूक्रेन के सीनियर अधिकारियों के साथ मुलाकात करेंगे।

रुबियो सोमवार देर रात सऊदी की राजधानी जेद्दाह पहुंचे।

रुबियो सोमवार देर रात सऊदी की राजधानी जेद्दाह पहुंचे।

जेलेंस्की भी सऊदी पहुंचे, बातचीत में शामिल नहीं होंगे

यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की भी सोमवार को सऊदी अरब पहुंचे। हालांकि जेलेंस्की अमेरिकी विदेश मंत्री रुबियो के साथ बैठक में शामिल नहीं होंगे। उनकी टीम इस बैठक में मौजूद रहेगी।

न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक इस बैठक का मकसद 27 फरवरी को ट्रम्प और जेलेंस्की के बीच हुई तीखी बहस की भरपाई करना है। इसमें यूक्रेन को मिलने वाली अमेरिकी सैन्य मदद और खुफिया जानकारी पर भी चर्चा होगी।

जेलेंस्की और रुबियो सऊदी के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से मुलाकात करेंगे। हालांकि दोनों के बीच आपस में कोई मुलाकात नहीं होगी।

रुबियो और जेलेंस्की ने 27 फरवरी को व्हाइट हाउस में मुलाकात की थी। इसी दौरान ट्रम्प और जेलेंस्की के बीच बहस हुई थी।

रुबियो और जेलेंस्की ने 27 फरवरी को व्हाइट हाउस में मुलाकात की थी। इसी दौरान ट्रम्प और जेलेंस्की के बीच बहस हुई थी।

अमेरिका ने यूक्रेन को 8.7 हजार करोड़ रुपए की सैन्य मदद रोकी

अमेरिका ने यूक्रेन को दी जाने वाली सैन्य मदद पर रोक लगा दी है। न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक इससे एक अरब डॉलर (8.7 हजार करोड़ रुपए) के हथियार और गोला-बारूद संबंधी मदद पर असर पड़ सकता है। इन्हें जल्द ही यूक्रेन को डिलीवर किया जाना था।

ट्रम्प के आदेश के बाद उस मदद को भी रोक दिया गया है जिसका इस्तेमाल यूक्रेन सिर्फ अमेरिकी डिफेंस कंपनियों से सीधे नए सैन्य हार्डवेयर खरीदने के लिए कर सकता है। अमेरिकी सहायता रोके जाने पर राष्ट्रपति जेलेंस्की की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।

व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने CNN से कहा कि यह साफ है कि फैसला जेलेंस्की के बुरे बर्ताव की वजह से उठाया गया। उन्होंने कहा कि अगर जेलेंस्की जंग को खत्म करने के लिए बातचीत की कोशिश करते हैं, तब शायद ये रोक हटाई जा सकती है।

व्हाइट हाउस में ट्रम्प और जेलेंस्की के बीच 27 फरवरी को हुई बहस के बाद ये मदद रोकी गई।

व्हाइट हाउस में ट्रम्प और जेलेंस्की के बीच 27 फरवरी को हुई बहस के बाद ये मदद रोकी गई।

यूक्रेन से खुफिया जानकारी शेयर नहीं करेगा अमेरिका

अमेरिका ने 5 मार्च से यूक्रेन के साथ सीक्रेट जानकारी शेयर करके पर रोक लगाई। अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) माइक वाल्ट्ज का कहना है कि हमने यूक्रेन के साथ खुफिया जानकारी साझा करने के मामले में एक कदम पीछे ले लिया है।

मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि हम इस मामले के सभी पहलुओं पर विचार कर रहे हैं और इसकी समीक्षा कर रहे हैं। वाल्ट्ज ने यूक्रेन के NSA से फोन पर बात की।

यूक्रेन पर 2 से 4 महीने में दिखेगा मदद रुकने का असर

सेंटर फॉर स्ट्रेटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज के मार्क कैन्सियन ने कहा कि अमेरिका के मदद रोकने के फैसले से यूक्रेन पर बहुत असर पड़ने वाला है। ट्रम्प के इस फैसले ने एक तरह से यूक्रेन को ‘अपंग’ कर दिया है।

कैन्सियन ने कहा कि अमेरिकी मदद रुकने का मतलब है कि अब यूक्रेन की ताकत आधी हो गई है। इसका असर दो से चार महीने में दिखने लगेगा। फिलहाल यूरोपीय देशों से मिलने वाली सहायता से यूक्रेन कुछ समय तक लड़ाई में बना रहेगा।

यूक्रेन की सैन्य मदद रोकने के फैसले से क्या असर पड़ेगा

अमेरिका यूक्रेन का एक प्रमुख समर्थक रहा है। पिछले 3 साल में अमेरिका ने यूक्रेन को रूस के खिलाफ संघर्ष में हथियार, गोला-बारूद और वित्तीय सहायता दी है। रिपोर्ट्स के मुताबिक इस मदद के बंद होने से यूक्रेन की रक्षा क्षमता पर असर पड़ेगा। यूक्रेन को अपने इलाके पर पकड़ बनाए रखने में मुश्किलें आ सकती हैं।

यूक्रेन की सेना अमेरिका से मिले हथियारों खासकर तोप, ड्रोन और मिसाइल सिस्टम पर बहुत निर्भर रहा है। इसके बंद होने के बाद यूक्रेन का रूसी हमलों का जवाब देना मुश्किल हो जाएगा। इससे रूस, यूक्रेन के कुछ और इलाकों पर कब्जा कर सकता है।

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