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अव्यवस्था: दो साल में इमरजेंसी मेडिसिन विभाग के डॉक्टरों पर डेढ़ करोड़ खर्च, 50 मरीजों को भी नहीं मिला पूरा इलाज – Sagar News

बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में आपातकाल में आने वाले गंभीर मरीजों के इलाज और एमबीबीएस की मान्यता के लिए राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग की अनिवार्यता पूरी करने के लिए दो साल पहले इमरजेंसी मेडिसिन विभाग की शुरूआत की गई थी। लेकिन यह विभाग शुरूआत से ही सफेद हाथी साब

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विभाग में पदस्थ किए गए स्टाफ पर हर माह 6.40 लाख रुपए के हिसाब से 2 साल के दौरान इस विभाग के डॉक्टरों पर डेढ़ करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च किए जा चुके हैं। लेकिन इस विभाग के डॉक्टरों ने इन दो सालों में 50 मरीजों को भी पूरा इलाज नहीं दिया है। आपातकालीन विभाग में आने वाले गंभीर मरीजों का इलाज कैजुअल्टी मेडिकल ऑफिसर, जेआर और पीजी डॉक्टरों के भरोसे है।

बीएमसी में करीब दो साल पहले सड़क हादसों में घायल, ओपीडी के बाद अस्पताल में पहुंचने वाले गंभीर मरीजों को त्वरित इलाज देने और इलाज के गोल्डन समय का उपयोग करने के लिए इमरजेंसी मेडिसिन विभाग खोला गया था। विभाग में पिछले साल एक ऑपरेशन थियेटर व 6 बेड का आईसीयू वार्ड भी बनाया गया।

ताकि मरीज के यदि तत्काल ऑपरेशन की आवश्यकता है तो सर्जरी या अन्य गंभीर बीमारी से पीड़ित है तो उसे आईसीयू में भर्ती कर इलाज दिया जा सके। लेकिन यह उद्देश्य पूरा नहीं हो रहा। विभाग में एक माइनर ओटी पहले से थी और पिछले साल एक मेजर ओटी की शुरूआत की गई थी।

तत्कालीन डीन डॉ. आरएस वर्मा की मौजूदगी में एक मरीज का ऑपरेशन कर मेजर ओटी का शुभारंभ किया गया था, तब से लेकर अब तक मेजर ओटी में कोई ऑपरेशन नहीं हुआ। इसी तरह वार्डों में आज तक मरीजों को भर्ती नहीं किया गया। बल्कि कैजुअल्टी वार्डों में भर्ती हो रहे हैं। यहां से वार्डों में शिफ्ट किए जा रहे हैं।

दोपहर 2 बजे के बाद लग जाता है विभाग में ताला

इमरजेंसी मामले देखने के लिए शासन ने विभागाध्यक्ष डॉ. सत्येंद्र उइके एनेस्थीसिया, पीडियाट्रिक सर्जन विशाल गजभिए और पल्मोनरी मेडिसिन के लिए डॉ. सौरभ जैन की नियुक्ति की है। इन विशेषज्ञों को दो साल में करीब 1 करोड़ 53 लाख 60 हजार रुपए तो सिर्फ वेतन दिया जा चुका है। विभाग को इसी साल तीन पीजी सीटें मिली हैं। अभी इन अधिकारियों की न तो ओपीडी है, न ही वार्डों में राउंड हो रहे हैं। लेक्चर देने का काम भी इनके पास नहीं है। बावजूद इसके दोपहर 2 बजे के बाद डॉक्टर विभाग में ताला लगाकर जा रहे हैं।

4 डॉक्टरों का स्टाफ उपलब्ध फिर भी कमी

एनएमसी ने विभाग के लिए 1 प्रोफेसर, 1 एसोसिएट प्रोफेसर, 1 असिस्टेंट प्रोफेसर, 9 सीनियर रेसीडेंट डॉक्टर तथा इतने ही जूनियर रेसीडेंट डॉक्टर का स्टाफ स्वीकृत किया है। साथ ही इस फेकल्टी में से एक फेकल्टी को 24 घंटे विभाग में उपलब्ध रखने की व्यवस्था दी है। वर्तमान में विभाग में 1 प्रोफेसर, 1 एसोसिएट प्रोफेसर, 1 असिस्टेंट प्रोफेसर तथा एक सीनियर रेसीडेंट डॉक्टर पदस्थ है। इनमें सर्जरी, टीबी-चेस्ट, एनेस्थीसिया तथा हड्डी रोग विशेषज्ञ शामिल हैं। इसके बाद भी मरीजों को इलाज देने के लिए स्टाफ की कमी बताई जा रही है।

15 से 20 दिन में व्यवस्थाएं सुधर जाएंगी

जल्द ही तीन पीजी आने वाले हैं। साथ ही मर्जर के प्रस्ताव के कारण मेडिकल ऑफिसरों की भर्ती भी नहीं हो पा रही थी। अगले 15 से 20 दिन में यह प्रक्रियाएं पूरी होने वाली हैं। स्टाफ आ जाएगा। इसके बाद विभाग की व्यवस्थाएं सुधर जाएंगी। अभी भी इमरजेंसी विभाग काम कर रहा है। लेकिन इसके बाद इस विभाग का काम पूरी तरह शुरू हो जाएगा। – डॉ. पीएस ठाकुर, डीन बीएमसी सागर

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