भारत में सबसे तेज टी-20 शतक लगाने वाले खिलाड़ी उर्विल पटेल का नाम इस वक्त हर किसी की जुबान पर है, जो मूल रूप से वडनगर के रहने वाले हैं। दिलचस्प बात यह है कि आईपीएल नीलामी में उर्विल का नाम था, लेकिन किसी भी टीम ने उनके लिए बोली नहीं लगाई और वह अनसोल्
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जिस खिलाड़ी में इंडियन लीग की किसी भी टीम की दिलचस्पी नहीं थी, उसी खिलाड़ी ने नीलामी के दूसरे दिन महज 28 गेंदों में ही शतक जड़ दिया, जो भारत का सबसे तेज शतक और दुनिया का दूसरा सबसे तेज शतक था। इसी बारे में ‘दिव्य भास्कर’ ने उर्विल से बात की। पेश हैं, उनसे हुई बातचीत के मुख्य अंश…
पापा का सपना पूरा नहीं हुआ, लेकिन मुझे क्रिकेटर बनाया वडनगर के पास काहीपुर गांव के रहने वाले क्रिकेटर उर्विल पटेल ने कहा- मेरे पिता पीटी टीचर हैं। उनका एक ही सपना था कि ‘मैं खेल में अपना करियर बनाऊं।’ क्योंकि कॉलेज के दिनों में पिता एक एथलीट थे, लेकिन परिवार की स्थिति इतनी अच्छी नहीं थी, इसलिए वह खेल में अपना करियर नहीं बना सके। इसलिए, जब मैं 6 साल का था, तब से पिताजी ने मुझे क्रिकेट की प्रैक्टिस कराना शुरू कर दिया था।
पालनपुर में प्रकाशभाई पाटनी को गुरु बनाया और उनसे प्रोफेशनल क्रिकेट की ट्रेनिंग लेनी शुरू कर दी। 12वीं के बाद बीए में एडमिशन लिया, जो अभी भी चल रहा है। अब तक मैंने फुल-टाइम क्रिकेट खेला है, लेकिन अब स्पोर्ट्स कोटा के कारण मुझे इनकम टैक्स में टैक्स असिस्टेंट की नौकरी मिल गई है।
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2017 में गुजरात टीम के लिए खेलने का ऑफर मिला आप पेशेवर क्रिकेट से कितने समय से जुड़े हुए हैं? उर्विल कहते हैं, ‘पिछले 12 सालों से मैं सिर्फ बीसीसीआई द्वारा आयोजित टूर्नामेंट में प्रोफेशनली फुल टाइम क्रिकेट खेल रहा हूं। 2012 में मैंने पहली बार अंडर-14 स्टेट टूर्नामेंट खेला। सालों तक मैंने वडोदरा टीम के लिए खेला, लेकिन 2017 में मुझे गुजरात टीम के लिए खेलने का ऑफर मिला।
गुजरात टीम के लिए खेलने से मुझे करियर में अधिक संभावनाएं और अधिक अवसर मिले। इसलिए अब गुजरात के लिए खेल रहा हूं। अब तक रणजी ट्रॉफी के 6 मैच, विजय हजारे ट्रॉफी के 14 मैच और मुश्ताक अली ट्रॉफी के 45 मैच खेले हैं।
(गुजरात राज्य में फर्स्ट क्लास क्रिकेट की कुल 3 टीमें हैं: गुजरात, सौराष्ट्र और वडोदरा)
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दुनिया का दूसरा और भारत का सबसे तेज शतक सबसे तेज शतक के बारे में उर्विल ने कहा- ‘इससे पहले वनडे में भारत की ओर से दूसरे सबसे तेज शतक का रिकॉर्ड भी मेरे नाम था। यूसुफ पठान का सबसे तेज शतक 40 गेंदों में था और मेरा 41 गेंदों में था। इसके बाद 20 ओवर में लगाया गया शतक भारतीय का 28 गेंदों में लगाया गया सबसे तेज शतक है। सबसे तेज शतक का विश्व रिकॉर्ड 27 गेंदों में है, इसलिए मैं अब दुनिया में दूसरे नंबर पर हूं।
पिछली बार गुजरात टाइटंस ने खरीदा था आईपीएल के बारे में उर्विल ने बताया कि 2018 से लगातार मेरा नाम बीसीसीआई द्वारा ऑक्शन में रखा जाता रहा है। लेकिन पहली बार मुझे आईपीएल में 2023 के लिए चुना गया था। गुजरात टाइटंस टीम ने मुझे 20 लाख में खरीदा था। उस साल मैं टीम में तो था, लेकिन कोई मैच नहीं खेल सका। इसके बाद पिछले साल यानी 2024 के आईपीएल में भी मेरा चयन नहीं हुआ और इस साल भी।
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मैं घर पर फोन भी नहीं कर सका ऑक्शन में न बिकने की बात पर उर्विल ने कहा- आईपीएल में खेलना हर खिलाड़ी का सपना होता है। आईपीएल का क्रेज इतना बढ़ गया है कि अब आईपीएल भारतीय टीम का एंट्री गेट बन गया है। लेकिन सिलेक्शन नहीं होने से काफी निराशा हुई। मैंने उस दिन घरवालों से भी बात नहीं की थी।
क्योंकि, माता-पिता को मालूम होता कि मैं दुखी हूं तो उन्हें भी दुख होता। लेकिन क्रिकेट ने मुझे सिखाया है कि जो कुछ भी होता है अच्छे के लिए होता है, इसलिए एक दिन दर्द हुआ, लेकिन फिर मैं सब कुछ भूल गया और फिर से क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया।
ऑक्शन के दूसरे ही दिन जड़ दिया सबसे तेज शतक 25 तारीख को आपको नीलामी में नहीं चुना गया और 27 तारीख को आपने सबसे तेज शतक का रिकॉर्ड बना दिया। क्या आपने गुस्से में शतक जड़ दिया? इस सवाल के जवाब में उर्विल ने कहा- नहीं-नहीं! जब हम मैदान में जाते हैं तो अच्छा खेलने के लिए पिछला सबकुछ भूल जाना चाहिए।
मैं उस दिन भी अपना सामान्य खेल ही खेल रहा था। उस दिन हमने शुरू से ही तय कर लिया था कि आज हम जल्द से जल्द मैच जीतेंगे। क्योंकि अब लीग चरण के बाद नॉकआउट होंगे, कई टीमों के पास समान अंक हैं। फिर टीम का रन रेट अहम था। और हमने 20 ओवर का मैच 10 ओवर में ही जीत लिया। इससे हमारी टीम के रन रेट में भी सुधार हुआ।
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परिवार को खुश देखकर सुकून मिला ‘आईपीएल नीलामी का गम पूरे साल रहेगा। लेकिन, इसकी रिकवरी 100% हो गई। शतक के दिन मैच खत्म करने के बाद मैंने सीधे घर फोन किया। मैं और पिताजी दोनों ऑक्शन के दो दिन तक घबराये हुए थे। शतक के बाद बैटिंग करके बाहर आया और तुरंत अपने पिता को फोन किया, ‘पापा, मैंने इसे रिकॉर्ड कर लिया है!’
पिताजी ने तब मैच नहीं देखा था, इसलिए उन्हें पता नहीं चला। उन्होंने सामने से पूछा, ‘क्या हुआ?’ मैंने सारी बात बताई तो पापा भी बहुत खुश हुए। मैं तब भी उतना खुश नहीं था, लेकिन पिताजी और परिवार खुश थे। इसलिए मैं नॉर्मल हो गया। मुझे नीलामी में नहीं चुना गया, लेकिन इस उपलब्धि के बाद हर कोई मुझे जानने लगा है। इसलिए यह मेरे लिए जश्न का समय था।
जब धोनी और कोहली से मिले उर्विल अपने आईपीएल के दिनों को याद करते हुए कहते हैं- ‘सूर्यकुमार यादव मेरे पसंदीदा खिलाड़ी हैं। मुझे उनके साथ बात करने में सबसे ज्यादा मजा आया। मुझे उनकी बैटिंग इतनी पसंद है कि मैंने पूछा, जब आप मैदान पर जाते हैं तो मानसिक रूप से क्या सोचते हैं?’ उन्होंने मुझसे कहा, ‘बिंदास खुद की बैटिंग एंजॉय करो।’
सामने किसी को कुछ दिखाई नहीं देता। आपके पास जो भी तकनीक है, उससे बस बिंदास खेलिए। इसके अलावा हार्दिक पंड्या हमारे कप्तान थे। उनके जैसा एटीट्यूड किसी का नहीं। वे तो नंबर-1 हैं। क्योंकि उन्हें खुद पर बहुत भरोसा है। आप उनसे बहुत कुछ सीख सकते हैं। इसके अलावा जब मैं धोनी और कोहली से मिला तो यह भी मेरे लिए गर्व की बात थी। दोनों बहुत बड़े खिलाड़ी हैं और उतने ही शानदार इंसान भी।
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