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आलोट विधायक बोले-माफी मांगना मेरा स्वभाव नहीं: पार्टी के नोटिस पर कहा-विधायक के नाते अपनी बात रखी, तथ्यों के साथ पार्टी को जवाब दूंगा – Bhopal News

उज्जैन में साल 2028 में होने वाले सिंहस्थ के लिए जमीनों के अधिग्रहण के मामले पर आलोट से बीजेपी विधायक चिंतामणि मालवीय ने 18 मार्च को विधानसभा में मामला उठाया था। इस मामले को लेकर बीजेपी ने उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी कर सात दिनों में जवाब मांगा है।

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बीजेपी विधायक को नोटिस मिलने के मामले पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने भाजपा सरकार को दलित और किसान विरोधी बताया है। वहीं, विधानसभा पहुंचे चिंतामणि मालवीय ने कहा कि उन्हें नोटिस नहीं मिला है। नोटिस मिलने के बाद वे तथ्यों के साथ पार्टी को जवाब देंगे।

भास्कर ने पूछा कि क्या अपने बयान पर माफी मांगेंगे ? इसके जवाब में मालवीय ने कहा ये मेरा स्वभाव नहीं।

आज विधानसभा में मीडिया से चिंतामणि ने क्या कहा आलोट विधायक चिंतामणि मालवीय ने नोटिस मिलने पर कहा- मैं भारतीय जनता पार्टी का प्रतिबद्ध कार्यकर्ता हूं। मैंने जो कहा वो सदन के अंदर का विषय है। विधायक का विशेषाधिकार है कि जनसमस्याओं को सदन को अवगत कराने का ये विषय है। पार्टी का नोटिस मुझे प्राप्त नहीं हुआ है। प्राप्त होगा तो उसका जो भी तथ्यात्मक रूप है, उससे पार्टी को अवगत कराऊंगा। ये चूंकि पार्टी का आंतरिक विषय है, इसलिए इसमें अभी टिप्पणी की जरूरत नहीं हैं।

जीतू पटवारी के समर्थन देने की बात पर कहा, इसका जवाब कांग्रेस देगी। ये मेरा विषय नहीं हैं।

मैं अपनी बात पर अडिग हूं मालवीय ने कहा, नोटिस जब भी हार्ड कॉपी में मिलेगा तो पार्टी को जवाब दूंगा। ये मेरा और पार्टी का आंतरिक विषय है। मैं अपनी बात पर अडिग हूं क्योंकि उज्जैन में 13 अखाड़ों ने मना किया है। परसों जो बैठक हुई थी, उसमें अखाड़ों ने लिखित में दिया है कि हमको जमीन की आवश्यकता नहीं है। हमारे पास जमीन है। इसलिए सिंहस्थ की परिस्थिति विशेष है और उस पर मैं अडिग हूं।

अखाड़ों को जमीन की जरूरत नहीं तो अधिग्रहण किसके लिए हो रहा विधानसभा में बात रखने पर नोटिस देने के सवाल पर मालवीय ने कहा- ये संगठन समझे। चूंकि मुझे नोटिस मिला नहीं हैं। जब मिलेगा तो उसके बिन्दुओं पर प्रॉपर जवाब दूंगा। तथ्यों से अवगत कराऊंगा। मैंने जो कहा वो बड़ा सोच समझकर कहा। सिंहस्थ का जो स्थाई अधिग्रहण के लिए तेरहों अखाड़ों ने परसों कहा है कि हमें जमीन की जरूरत नहीं हैं। हमारे पास पर्याप्त जमीन है।

जब अखाड़ों को ही जमीन की जरूरत नहीं हैं। तो आप किसके लिए अधिग्रहण कर रहे हो। ये विचार मैंने सदन के सामने रखा है। ये एक विधायक का विशेषाधिकार है कि वो जनता की भावनाओं से सदन और सरकार को अवगत कराऊं। मेरा जो बयान है वही अंतिम है जो भी कुछ कहना था वो सदन में कह दिया।

पटवारी बोले- दलित विधायक ने किसानों की आवाज उठाई तो बीजेपी उसे दबाने लगी बीजेपी विधायक को नोटिस देने के मामले पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने अपने निवास पर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बीजेपी और मप्र सरकार को घेरा। पटवारी ने कहा- जेपी नड्डा ने चिंतामन मालवीय को नोटिस दे दिया क्योंकि उन्होंने जनप्रतिनिधि का दायित्व निभाया।

सर्वविदित है मोहन सरकार में हर तरह का माफिया सिर चढ़कर तांडव मचा रहा है। सरकार पर भूमाफिया का कब्जा हो गया। उज्जैन में किसानों की जमीन सिंहस्थ के लिए बिना नियम, नोटिस अधिग्रहण किया जा रहा है। किसानों ने परेशानी के लिए प्रदर्शन किया। मुझे किसानों ने अपनी पीड़ा बताई। जो परंपरागत रूप से सिंहस्थ के लिए अधिग्रहण होता है उसके लिए सब तैयार है।

बीजेपी दलित विरोधी- पटवारी चिंतामन मालवीय को साधुवाद देता हूं उन्होंने सदन के पटल पर अपनी बात विनम्रता से राखी। उन्हें बीजेपी ने नोटिस दे दिया। एक दलित जनप्रतिनिधि ने किसानों की बात की तो उसे दबाने की कोशिश हो रही है।

दिल्ली में किसानों के आंदोलन को मोदी की सरकार ने कुचल दिया। एमपी में किसानों की आवाज एक दलित जनप्रतिनिधि ने नोटिस दिया तो नड्डा ने नोटिस दे दिया। इससे साफ जाहिर होता है, यदि कोई दलित परिवार का जनप्रतिनिधि आवाज उठाएगा तो भाजपा उसको कुचल देगी। बीजेपी दलित औए किसान विरोधी है। ये जमीन दादागिरी से अहंकार में छीनी जा रही है।

विजयवर्गीय, प्रहलाद, गोविंद और सारंग को नोटिस क्यों नहीं दिए

पटवारी ने कहा यही बात कैलाश विजयवर्गीय ने कही होती तो क्या बीजेपी उन्हें नोटिस देने की हिम्मत करती? जनता को भिखारी बताने वाले प्रहलाद पटेल को नोटिस क्यों नहीं दिया? परिवहन घोटाले में घिरे मंत्री गोविंद राजपूत और नर्सिंग में जिनके मंत्री रहते घोटाले हुए उन विश्वास सारंग को बीजेपी ने नोटिस दिया क्या?

नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कहा, ये भाजपा का इंटरनल मामला है। लेकिन, मैं समझता हूं यदि कोई विधायक अगर विधानसभा में अपनी बात उठा रहा है जनता के किसानों के मुद्दे उठा रहा है तो प्रदेश सरकार और मुख्यमंत्री जी का गृह जिला है मैं समझता हूं कि तत्काल किसने की बात सुनना चाहिए। किसानों को विश्वास में लेकर जमीन अधिग्रहण करना चाहिए। मुआवजा गाइडलाइन के अनुसार बढ़ाकर देना चाहिए।

अगर आपको उनकी जमीन चाहिए तो बाजार के भाव से मुआवजा क्यों नहीं देना चाहते? मैं समझता हूं कि यह किसानों के साथ धोखा है। चिंतामणि मालवीय जी अब नोटिस लेकर चिंता करेंगे। भारतीय जनता पार्टी अजब है गजब है।

पूर्व नेता प्रतिपक्ष ने भी पूछा सवाल

पूर्व नेता प्रतिपक्ष और चुरहट से कांग्रेस विधायक अजय सिंह राहुल भैया ने भाजपा विधायक चिंतामणि मालवीय को नोटिस मिलने के मामले पर कहा चिंतामणि मालवीय भारतीय जनता पार्टी के विधायक हैं उन्होंने विधानसभा में कोई प्रश्न पूछा था। भारतीय जनता पार्टी की सरकार और मुख्यमंत्री जी जिनको उज्जैन की जमीनों से बड़ा प्रेम है उन्होंने पार्टी के माध्यम से मालवीय जी को नोटिस दे दिया।

लेकिन एक चीज समझ लीजिए प्रदेश में और सब कुछ पूछ सकते हैं लेकिन उज्जैन के बारे में, सिंहस्थ की जमीनों के बारे में कृपया करके भारतीय जनता पार्टी के नेताओं से आग्रह है कि इस तरह के प्रश्न ना पूछे।।

जेपी नड्डा के जरिए नोटिस दिए जाने पर अजय सिंह ने कहा जब पर्ची से मुख्यमंत्री बनता है जिसको उम्मीद भी ना हो तो आप क्या सोच रहे हैं कौन चला रहा है यह तो केंद्र सरकार चल रही है यह तो नाम मात्र के मुख्यमंत्री है।

अपनी बात रखना, हर विधायक की ड्यूटी

रतलाम जिले की सैलाना से भारत आदिवासी पार्टी के विधायक कमलेश्वर डोडियार ने भाजपा विधायक चिंतामणि मालवीय को नोटिस मिलने पर कहा यह हर विधायक की ड्यूटी है। संवैधानिक कर्तव्य है कि अपने इलाके के अंदर अगर लोगों के साथ गलत हो रहा है तो उनको अपनी बात यहां पर रखना चाहिए।

मालवीय जी ने बहुत सही कहा है बीजेपी उनकी भी आवाज दबाना चाहती है। हम उनके साथ हैं किसानों के हक में उनके साथ हम लड़ाई लड़ेंगे।

“पार्टी और देश के ऊपर अहम नहीं हो सकता”

पाटन से भाजपा विधायक अजय बिश्नोई ने चिंतामणि मालवीय को नोटिस पर कहा पार्टी संगठन नियमों के हिसाब से चलता है, हर किसी व्यक्ति को पार्टी के सबसे पहले ख्याल रखना चाहिए। हमारे यहां हमको यह सिखाया है, यही कहा गया है कि सबसे पहले राष्ट्र उसके बाद पार्टी और फिर हम मेरा कोई व्यक्तिगत अहम है तो वह पार्टी के ऊपर और देश के ऊपर नहीं हो सकता।

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