इंडोनेशिया की सुग्रीव यूनिवर्सिटी में भारत के दो प्रमुख साहित्यकारों को विशेष अतिथि वक्ता के रूप में आमंत्रित किया गया। इंदौर के वरिष्ठ साहित्यकार और पद्मश्री नॉमिनी डॉ. बनवारीलाल जाजोदिया तथा असम के मार्गरिटा महाविद्यालय की हिंदी विभाग प्रमुख डॉ. पु
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इंडोनेशिया में मंच पर बैठे डॉ. जाजोदिया एवं अन्य अतिथि
डॉ. जाजोदिया ने अपने संबोधन में कहा कि रामायण विश्व का एकमात्र ऐसा ग्रंथ है, जो सामाजिक विकृतियों और जटिलताओं का समाधान प्रस्तुत करता है। उन्होंने बताया कि इंडोनेशिया, मलेशिया, जापान, सिंगापुर, रूस और अमेरिका जैसे देशों की संस्कृति की जड़ें भारतीय सनातन संस्कृति से जुड़ी हैं। उन्होंने श्री राम के वनवास का उदाहरण देते हुए कहा कि यदि व्यक्ति अपने 100 वर्ष के जीवन में 14 वर्ष कठोर जीवन शांतिपूर्वक व्यतीत कर ले, तो वह सभी जटिलताओं से मुक्त हो सकता है।

सम्मान पत्र के साथ डॉ. जाजोदिया एवं अन्य प्रबुद्धजन
डॉ. पुष्पा सिंह ने आधुनिक समाज की समस्याओं का मूल कारण श्रद्धा और सनातन मूल्यों को नकारकर भोगवादी जीवनशैली को अपनाना बताया। उन्होंने राम राज्य की अवधारणा को वर्तमान समस्याओं का समाधान बताते हुए कहा कि श्रीराम के सद्गुणों जैसे सत्य, प्रेम, अहिंसा, धर्म का पालन और वसुधैव कुटुंबकम की भावना को अपनाना आवश्यक है। दोनों विद्वानों के विचारों की श्रोताओं ने भरपूर सराहना की।

समारोह में उपस्थित कई देशों के प्रतिनिधि
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