नवरात्रि में गरबा की धूम और रंग-बिरंगी लाइलिंग की चकाचौंध के बीच रविवार को भास्कर शहर के सबसे प्राचीन गरबा स्थल पहुंचा। यह है तोपखाना (जेल रोड) का लाल गली का गरबा, यानी श्री गुजराती नवदुर्गोत्सव मंडल। करीब 98 वर्षों से यह गरबा मंडल अपनी परंपराओं और स
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मंडल में वर्षों के जुड़े पं. शशिकांत पुराणिक ने बताया लाल गली का यह गरबा न केवल इंदौर का बल्कि प्रदेश का सबसे पुराना गरबा है। यहां पहले गुजराती परिवार रहते थे। पहले फडनीस साहब के बाड़े के सामने (आज का फडनीस कॉम्पलेक्स) गरबा होता था, इसके बाद से लाल गली के चौक में गरबा होता है। इसे बड़ी गरबी भी कहा जाता है। इसी चौक में देवी मंदिर भी है, जिसको बचाने के लिए मंडल के जुड़ों लोगों को काफी संघर्ष भी करना पड़ा। इस संघर्ष में स्व. पंकजभाई देसाई की बड़ी भूमिका रही, इस दौरान उन्हें 1980 में जेल भी जाना पड़ा।
लाल चौक में स्थापित गरबा, जिसके चारों तरफ घूमकर किया जा रहा है गरबा।
गरबा करते हुए आ गई तीसरी पीढ़ी
निखिलभाई देसाई ने बताया कि उनके परिवार की तीसरी पीढ़ी यहां गरबा कर रही है। पहले उनके पिता स्व. पंकजभाई देसाई स्थापना करने वालों में शामिल रहे। इसके बाद अब उनके दोनों पुत्र निखिल और अतुल देसाई और पौत्र देवांश निखिल देसाई, कनिष्क निखिल देसाई, जयनील अतुल देसाई भी मंडल से जुड़े हुए हैं और गरबा कर रहे हैं।
आरती करते मंडल के सदस्य।
अब लाल गली में गुजराती परिवार नहीं, पर परंपरा कायम
निखिलभाई देसाई ने बताया पहले यहां सिर्फ गुजराती परिवार रहते थे, लेकिन क्षेत्र कमर्शियल हो जाने के कारण यहां से परिवारों को अन्यत्र जाना पड़ा, लेकिन गरबा की परंपरा यहां काफी उतार-चढ़ाब के बावजूद कायम है। यहां गरबा की शुरुआत करने वालों में मोहनलालजी लालाराम, देवराजभाई सोनी, अमृतलाल त्रिवेदी, मोहनभाई कपानी, वीनू गांधी प्रमुख रहे हैं। इसके बाद इसे बनाए रखने में वल्लभ भाई पटेल का भी बड़ा सहयोग रहा है। फिलहाल इस मंडल के अध्यक्ष चंद्रप्रकाश देसाई, उपाध्यक्ष अभय भाई कोठारी, सचिव निखिल देसाई, कोषाध्यक्ष शैलेष गांधी हैं।
लाल चौक में सब परिवार की तरह मिलकर करते हैं गरबा और आरती।
दशहरा तक चलता है गरबा
गरबा गीतों का गायन संदीपन आर्य करते हैं। तबला राजेश निमाड़े, ढोलक पर प्रखर निमाड़े और हारमोनियम पर श्याम भाई संगत दे रहे हैं। मंडल के ही निर्भय खंडेलवाल ने बताया कि यहां प्रतिपदा से दशहरा तक 10 दिनों तक गरबा होता है। दशहरा के दिन गरबा करने वाली बालिकाओं में लाहणी (पारितोषिक) वितरण किया जाता है।
बारी-बारी से आरती करते सदस्य।
लाल गली के चौक में देवी मंदिर।
लाल गली में गरबे के साथ देवी मंदिर में भी की जाती है आरती।
आरती में शामिल प्रतिभागी और मडल के सदस्य।
मंदिर में स्थापित अखंड ज्योत।
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