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इंदौर के छत्रीबाग वेंकटेश मंदिर में महके पकवान: 11000 केले के पत्ते से सजा प्रभु का महल, भक्तों के लिए भी अन्नकूट की शाही महाप्रसादी – Indore News

आंवला नवमी पर रविवार को श्री लक्ष्मी वेंकटेश देवस्थान छत्रीबाग में अन्नकूट महोत्सव आयोजित किया गया। इसमें प्रभु वेंकटेश, भगवती महालक्ष्मी व रामानुज स्वामी को अन्नकूट भोग लगाया गया, जिसकी अनुपम सुगंध पूरे मंदिर परिसर में छा गई।

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देवस्थान के पुजारी शिवम पांडे, लोकेश तिवारी, दीपक शर्मा ने राजसी वैभव में रानी कलर की पोषाक और सुंदर रत्न आभूषण धारण कर राजाधिराज स्वरूप में विराजमान होकर प्रभु वेंकटेश के रूप में अपरस में सिद्ध की गई 56 भोग सामग्री को ग्रहण किया। एक बड़े से रजत थाल में प्रभु को भोग सामग्री अर्पित की गई थी।

प्रभु वेंकटेश के महल को सजाने के लिए प्रदेश के कई शहरों से लगभग 11000 केले के पते बुलाए गए थे। साथ ही उस पर मोगर,कुंद, गुलाब, रजनीगंधा, जरबरा जैसे सुगंधित अनेक पुष्पों के कंठे और झुमकियो से बंगले का निर्माण किया गया था। इसके साथ ही आकर्षक पुष्पों से भव्य रंगोली का निर्माण भी किय्या गया और उस पर अनेक प्रकार के भोग प्रभु वेंकटेश जी को लगाए गए।

स्वामीजी श्री विष्णुप्रपन्नाचार्य जी महाराज भगवान को भोग अर्पित करते हुए।

शहनाई वादन की धुन के साथ पट खुले

सायंकाल 5.30 बजे घंटे-घड़ियाल के मध्य शहनाई वादन की धुन के साथ पट खुले। गोविंदा-गोविन्दा के जयघोष होने लगे, प्रभु वेंकटेश की महाआरती अनंत श्री विभूषित श्री मद्जगद्गुरु रामानुजाचार्य नागोरिया पीठाधीश्वर स्वामीजी श्री विष्णुप्रपन्नाचार्य जी महाराज ने की। विद्यार्थियों व पुजारियों के द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार और स्तोत्र पाठ किए गए।

इस तरह सजाए गए पकवान

इस तरह सजाए गए पकवान

अनेक प्रकार के पकवान, फलों का लगा भोग

पंकज तोतला ने बताया प्रभु वेंकटेश को अनेक प्रकार के प्रिय भोग लगाए गए । माखन मिश्री, लड्डू से भरा थाल, रबड़ी, मालपुआ, चमचम, मोहन भोग, लाडू, खोपरा पाक, चक्की, मोतीचूर का कलश, मोती पाक, जलेबी, सीताफल रबड़ी, मलाई बर्फी, रजवाड़ी व अन्य प्रकार की मिठाइयों के साथ ही,नमकीन में पालक सेव, टमाटर सेव, पापड़ी, सुखी ग्वारफली, पापड़ का भोग लगाया गया। कई तरह की मिठाइयां, नमकीन, डॉयफ्रूट, टॉफियों, लोंग, इलायची के साथ ही पान के बीडे़ व विभिन्न प्रकार के फल, सभी प्रकार की सुगन्धित, मुख वास के साथ ही सर्व भक्तों की प्रिय राम भाजी (जिसमें इस समय आने वाली नई सब्जियों को मिलाकर बनाया जाता है) और उसका भोग विशेष रूप से प्रभु को लगाकर वैष्णव जन को परोसा गया। इसके साथ ही पूड़ी, खिराण चक्की, रायता, छोले की सब्जी, केसर सांगरी की सब्जी, लोंजी, सेव का भोग भी लगाया गया।

12 हजार भक्तों ने ग्रहण की महाप्रसादी

सायंकाल 6 बजे से प्रारंभ अन्नकूट प्रसादी देर रात तक सतत चली जिसमे लगभग 12000 भक्तों ने महाप्रसादी का लाभ लिया। 4 केम्पस में भोजन प्रसादी की शाही व्यवस्था की गई थी। इस सुचारू व्यवस्था को 400 कार्यकर्ता संभाल रहे थे। पूरे परिसर में सभी श्रद्धालुओं के प्रसादी के लिए टेबल-कुर्सी की व्यवस्था भी की गई। श्री स्वामीजी महाराज के लिए सुंदर पुष्पों का सिंहासन बनाया गया, जिस पर विराजमान होकर उन्होंने भक्तों को दर्शन दिए। इस अवसर पर उन्होंने वार्षिक पत्रिका का विमोचन कर भक्तों को वितरित की। इस अवसर पर रवींद्र धूत, पंकज तोतला, महेंद्र नीमा, अशोक डागा, रंगेश बियाणी, दिनेश गुप्ता, भरत तोतला, रमेश चितलांगया, रवि सिंगी, बालकिशन सिंगी, राम जाखेटिया, हर्ष पसारी, अंकित जाखेटिया, सुनील राठी, पुष्प माहेश्वरी नीलेश तोतला मौजूद थे।

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