ज्ञानानंदजी महाराज कथा सुनाते हुए
इंदौर में श्री श्रीविद्याधाम परिसर में आयोजित शिवपुराण कथा में भानपुरा पीठाधीश्वर ज्ञानानंदजी महाराज ने महत्वपूर्ण संदेश दिया। उन्होंने कहा कि साधना और उपासना का फल तभी मिलता है, जब अंतःकरण निर्मल और पवित्र हो।
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ज्ञानानंदजी महाराज ने वर्तमान समय की चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि आज जीवन के हर क्षेत्र में पवित्रता का अभाव दिख रहा है। भगवान शिव की साधना में पवित्रता सबसे जरूरी है। आज के समय में तन, मन और धन में से धन को सर्वोपरि मान लिया गया है। जबकि प्राथमिकता धर्म की होनी चाहिए।
कार्यक्रम ओम जय-जय अम्बे भक्तजन मंडल और श्री श्रीविद्याधाम परिवार द्वारा आयोजित किया गया। कथा शुरू होने से पहले महामंडलेश्वर स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती की उपस्थिति में व्यासपीठ का पूजन हुआ। जे.पी. सिंह, रमेश उपाध्याय, मंगल पांडे, रमा मुकेश सोमानी और राम बहादुर पटेल ने पूजन किया।
शंकराचार्य ज्ञानानंदजी महाराज ने कहा कि कलयुग में धर्म गौण हो गया है। उन्होंने समझाया कि धर्म से ही व्यक्ति की पहचान बनती है। धर्म ही हमें संस्कारित बनाता है। संस्कार से व्यक्तित्व और चरित्र का निर्माण होता है। उन्होंने प्रयागराज महाकुंभ का उदाहरण देते हुए कहा कि यह भारत की सांस्कृतिक एकता और सनातन धर्म की मजबूती का प्रतीक है।
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