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इंदौर के शंकराचार्य मठ में नित्य प्रवचन: जो संपत्ति मानव का दु:ख दूर करने के काम नहीं आए वह मिट्‌टी समान- डॉ. गिरीशानंदजी महाराज – Indore News

पीड़ितों की सेवा भगवान की पूजा के समान होती है। अपने समान ही दूसरों के दु:ख का अनुभव करना ही सच्ची मानवता है। पीड़ितों की सेवा ही भगवान की सच्ची सेवा और भक्ति है। सम्यक ईश्वर रूप है। हर प्राणी भगवान का स्वरूप है। उनके लिए की गई सेवा ही भगवान की सेवा ह

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एरोड्रम क्षेत्र में दिलीप नगर स्थित शंकराचार्य मठ इंदौर के अधिष्ठाता ब्रह्मचारी डॉ. गिरीशानंदजी महाराज ने अपने प्रवचन में रविवार को यह बात कही।

…जब ध्यान-साधना छोड़ पीड़ितों की सेवा में जुट गए विवेकानंद

महाराजश्री ने एक दृष्टांत सुनाया- एक समय कलकत्ता में प्लैग का प्रकोप हुआ। उस समय स्वामी विवेकानंद ध्यान, साधना, उपासना भूलकर रोगियों की सेवा में जुट गए। उन्होंने सारे शिष्यों और साथियों को पीड़ितों की सेवा में लगा दिया। उन्हें साधारण व्यक्ति की तरह दु:खी देखकर लोगों ने कहा कि आप वीतरागी योगी हैं, फिर भी साधारण मनुष्यों की तरह व्याकुल हो रहे हैं। विवेकानंदजी ने कहा योगी होने के कारण ही तो मैं इतना पीड़ित हूं। दूसरों की पीड़ा को अपनी पीड़ा के समान अनुभव करना ही योग है। योगी की न तो अपनी कोई पीड़ा होती है, न कोई दु:ख और न कोई अस्तित्व। दूसरों के दु:ख-सुख को ही वह अपना सुख-दु:ख मान लेता है। विवेकानंद बोले- आज मैं प्रत्येक मनुष्य की पीड़ा को अपने में अनुभव कर रहा हूं। पैसों की आवश्यकता होने पर जब वे रामकृष्ण मठ की भूमि बेचने को तैयार हो गए, तब उनके शिष्यों ने कहा भगवन यह तो आपके गुरुदेव के स्मारक की भूमि है। इसे आप बेच देंगे? उन्होंने उत्तर दिया कि ऐसे मौके पर आवश्यकता पड़ने पर मठ-मंदिर का क्या करेंगे। जब तक इनकी उपयोगिता है, ये मठ, मंदिर और देवालय हैं, भगवान के स्थान हैं। यदि यह पीड़ित मानवता के काम नहीं आती तब मिट्‌टी के व्यर्थ स्तूपों के समान इनका कोई मूल्य नहीं रह जाता। इन मठों का एक-एक कण मानवता की पीड़ा को दूर करने में लग जाने से गुरुदेव की आत्मा को अधिक से अधिक शांति और संतोष प्राप्त होगा। जो संपत्ति दीन, दु:खियों, पीड़ितों की सेवा और मानव का दु:ख दूर करने के काम नहीं आए वह मिट्‌टी समान है। उसका होना, न होना बराबर है। जो मनुष्य दूसरों की पीड़ा देखकर दु:खी नहीं होता, उनकी सेवा नहीं करता वह मनुष्य होकर भी मनुष्य नहीं होता।

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