इंदौर में नर्मदा के चौथे चरण की तैयारी शुरू हो गई है। चौथा चरण आने से कई गांवों के साथ ही शहर के उन इलाकों में पानी की किल्लत दूर हो जाएगी, जहां अभी पानी की समस्या आ रही है। चौथे चरण के आने से इंदौर के साथ ही उन गांवों में भी पानी की समस्या दूर हो जा
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नया इंटेकवेल, नया पंपिंग स्टेशन बनेगा संजीव श्रीवास्तव ने बताया कि इस योजना में 400 एमएलडी की नई योजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है। इसमें नया इंटेकवेल, नया ट्रीटमेंट प्लांट, पंपिंग स्टेशन बनाया जाएगा। साथ ही ग्रेविटीमेन वाचू पाइंट से शहर तक डाली जाएगी। शहर में फीडर, पानी की टंकियां और डिस्ट्रीब्यूशन लाइन डाली जाएगी। उन्होंने बताया कि, इसकी लागत दो हजार करोड़ से ऊपर की होगी। अमृत वाला जो पार्ट है। उसमें शहर तक पानी लाया जाएगा। इसके लिए टैंडर भी निकाले गए है।
दो पैकेज में टैंडर आमंत्रित किए संजीव श्रीवास्तव ने बताया कि, दो पैकेज में टैंडर आमंत्रित किए गए है। दोनों टैंडर खुल चुके हैं, इसके इवेल्यूएशन का काम चल रहा है। जो शहर वाला पार्ट है, जिसमें डिस्ट्रीब्यूशन का टंकियों का उसके भी टैंडर प्रपत्र तैयार हो गया है। आगामी 2 सप्ताह में उसके भी टैंडर लग जाएंगे। ऐसी उम्मीद है कि आगामी दो सप्ताह में उसके भी टैंडर आमंत्रित हो जाएंगे।
महू के बाहर से आएगी लाइन, किल्लत होगी दूर कार्यपालन यंत्री श्रीवास्तव ने बताया कि, जो पुराना अलाइनमेंट है नर्मदा के पहले, दूसरे और तीसरे चरण का वहीं रहेगा। महू शहर में थोड़ा अलाइनमेंट हुआ है। इस बार महू के अंदर के बजाए बाहर से लाइन आएगी। शहर में 2014 में जो गांव जुड़े थे, जो नर्मदा लाइन से बच गए थे, वे कवर हो जाएंगे और शहर में जो हिस्सा पाइप लाइन से कवर नहीं है उसे भी कवर कर लिया जाएगा। देखा जाए तो 276 स्क्वायर किमी का ये पूरा पाइप लाइन के माध्यम से जल आपूर्ति की जा सकेगी। इससे शहर में जहां दिक्कत है, जहां पुरानी टंकियों का डिस्ट्रीब्यूशन लंबा हो गया है, जहां डायरेक्ट सप्लाई किया जाता है। डायरेक्ट सप्लाई भी खत्म हो जाएगा और उन्हें भी टंकियों से सप्लाई किया जा सकेगा।
400 एमएलडी की वृद्धि होगी संजीव श्रीवास्तव ने बताया कि, इंदौर में अभी 570 एमएलडी की क्षमता है। इसमें 30 एमएलडी यशवंत सागर से आता है। नर्मदा के चौथे चरण में 400 एमएलडी पानी की वृद्धि होगी। ये 2033-35 के लिए पर्याप्त होगा। इसके बाद 260 एमएलडी की ओर वृद्धि की जाएगी। उसके लिए शहर के पास ही ट्रीटमेंट प्लांट बनाया जाएगा। दोनों मिलाकर 2040 तक की पूर्ति हो सकेगी। जलूद में जो इंटेकवेल बनाया जाएगा वह 2055 तक के लिए बनाया जा रहा है।
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