इंदौर में कलेक्टर ने डीजे-लाउड स्पीकर पर प्रतिबंध लगा दिया है। ये प्रतिबंध आगामी परीक्षाओं के मद्देनजर लगाया गया है। दरअसल, फरवरी महीने में सभी बोर्ड एग्जाम शुरू हो जाएंगी और अप्रैल तक चलेगी।
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इसे देखते हुए इंदौर में डीजे और लाउडस्पीकर ध्वनि प्रदूषण नहीं कर सकेंगे। इसे लेकर अब कलेक्टर नई व्यवस्था भी शुरू करने वाले हैं। ध्वनि प्रदूषण, शोर की शिकायत करने के लिए लोगों को नगर निगम की 311 एप पर भी ऑप्शन मिलेगा, जहां पर लोग इसकी शिकायत कर सकेंगे, जिस पर कार्रवाई की जाएगी।
कलेक्टर आशीष सिंह ने गुरुवार को धारा 163 के तहत आदेश जारी किए हैं। आदेश के मुताबिक जुलूस या आयोजन में मीडियम साइज के अधिकतम दो डीजे बॉक्स या लाउड स्पीकर बजा सकेंगे, लेकिन इसके लिए भी सक्षम प्राधिकारी से अनुमति लेना होगी।
रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक डीजे-लाउडस्पीकर प्रतिबंधित रहेंगे। कलेक्टर आशीष सिंह ने तीन पेज का आदेश जारी किया है। इसमें बाइक और स्कूटर पर प्रेशर हॉर्न भी प्रतिबंधित रहेगा। इनकी बिक्री भी प्रतिबंधित की गई है। यह आदेश 6 जनवरी से 5 अप्रैल तक प्रभावी रहेगा। ऐसा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
कलेक्टर आशीष सिंह ने बताया-
आदेश का सख्ती से पालन कराया जाएगा। इसे लेकर आगामी दिनों में सभी डीजे संचालकों की एक बैठक भी बुलाई जाएगी। इसमें सभी के साथ चर्चा कर उन्हें पहले ही समझाइश दी जाएगी। इसके अलावा प्रशासन की टीम भी बनाए जाएगी।
311 एप पर कर सकेंगे शिकायत
कलेक्टर ने कहा कि ध्वनि प्रदूषण, शोर की शिकायत करने के लिए एक प्लेटफॉर्म भी मुहैया हो उस दिशा में भी हम काम करेंगे। इसके साथ ही नगर निगम की 311 एप पर भी विकल्प दिया जाएगा। कुछ ही दिनों में यह विकल्प एप इस नजर आने लगेगा। यहां पर लोग ध्वनि प्रदूषण शोर की शिकायत कर सकेंगे।
तेज आवाजों से शरीर में कई केमिकल रिलीज होते हैं
- अमेरिका के मैसाचुसेट्स जनरल अस्पताल में अपनी स्टडी में रिसर्चर्स ने पाया कि तेज आवाजों से हमारे शरीर में कई केमिकल रिलीज होने लगते हैं। हमारे नर्वस सिस्टम को प्रभावित करते हैं। हमारे दिल की गति, बीपी बढ़ जाता है।
- रिसर्चर्स ने बताया कि ट्रैफिक के शोर में ज्यादा समय रहने वाले लोगों को 5 साल के अंदर दिल का दौरा पड़ने की संभावना बहुत ज्यादा होती है।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, 53 डेसिबल से ज्यादा का ट्रैफिक का शोर और 45 डेसिबल का हवाई जहाज का शोर इंसान को बीमार बना सकता है। अमेरिका की एक तिहाई आबादी हर वक्त इस शोर के बीच रहती है।
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