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इंदौर मेट्रो में 5 करोड़ रुपए का घोटाला: 50 किमी की रफ्तार वाली हवा भी नहीं झेल पाएगा इंदौर मेट्रो का शेड – Indore News

इंदौर मेट्रो के शेड में सामने आए 5 करोड़ के घोटाले में नया खुलासा हुआ है। एक्सपर्ट का कहना है कि भोपाल मेट्रो के शेड में लगी स्टैंडिंग सीम शीट 140 किमी प्रति घंटे की रफ्तार वाली हवा का दबाव सहन कर सकती है, जबकि इंदौर में लगी सामान्य रूफ शीट इतनी कमजोर

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अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे पता लगाएं कि जब टैंडर में स्टैंडिंग सीम का प्रावधान था तो उसके स्थान पर नॉर्मल शीट कैसे लगी। अगर इसकी अनुमति भी दी गई है तो किस अफसर ने किस आधार पर इसकी मंजूरी दी। यहां पर लगने वाली नॉर्मल शीट के रेट क्या कोट किए गए हैं और कितने का भुगतान हो चुका है? अधिकारियों ने बताया, ठेकेदार को यदि अगर 1300 रुपए स्के. मीटर के रेट से भुगतान हो गया होगा तो उसकी रिकवरी की जाएगी।

जिस शेड में कर्व, वहां स्टैंडिंग सीम ही लगा सकते हैं, नॉर्मल शीट मुड़ जाती है

इंदौर में शेड लगाने के दौरान ही शीट्स टूट-फूट रही हैं। नार्मल शीट ही लगाई जा रही है, जिसे स्क्रू से कसकर फिटिंग की जा रही है। उम्र की कोई गारंटी नहीं है।

{रूफिंग में 30 साल से ज्यादा का अनुभव रखने वाले कंसल्टेंट दौलतसिंह राठौर ने बताया, इंदौर मेट्रो के डिपो शेड में कर्व दिया गया है। ऐसे बड़े स्ट्रक्चर जहां पर कर्व होते हैं, वहां पर स्टैंडिंग सीम शीट ही लगाई जाती है। इसी के आधार पर भोपाल मेट्रो के डिपो शेड में भी स्टैंडिंग सीम शीट लगाई गई है। {स्टैंडिंग सीम शीट 30 साल की गारंटी के साथ आती है। पूरे एक स्पान में एक ही शीट लगती है और कर्व को कंप्यूटराइज्ड मशीन से मोल्ड किया जाता है।

नॉर्मल शीट में कर्व नहीं आता तो उसे ठोंककर मोड़ना पड़ता है। इससे शीट में क्रैक आ जाता है और उसी में जंग लगने से वह जल्दी टूट जाती है। {स्टैंडिंग सीम शीट 140 किमी प्रति घंटे की गति तक की हवा का दबाव झेल सकती है, जबकि नॉर्मल शीट की मजबूती स्क्रू पर ही निर्भर करती है। कई बार 40-45 किमी प्रति घंटे तक की गति की हवा में छतों की शीट्स (चद्दरें) उड़ जाती हैं।

भोपाल मेट्रो के शेड के पहले रिसर्च हुई, इंदौर में नहीं

भोपाल के पूर्व मौसम वैज्ञानिक अजय कुमार शुक्ला ने बताया, भोपाल मेट्रो का शेड बनाने के पहले स्थानीय मेट्रो अधिकारियों की टीम ने मुझसे गाइडेंस लिया था। उन्होंने पूछा था कि यहां कितनी गति से हवा चलती है, कौन सी दिशा से हवा चलती है और मौसम में क्या-क्या चैलेंज रहते हैं। पूरी स्टडी के बाद ही शेड फाइनल किया गया। दूसरी तरफ इंदौर मेट्रो के अधिकारियों से भास्कर ने बात की तो ऐसी किसी प्रकार की स्टडी होने की बात सामने नहीं आई।

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