स्पेन में सालों पहले खोजे गए खजाने को लेकर जो एनालिसिस किया गया है, उसमें सामने आया है कि 3000 साल पहले बनी कुछ कलाकृतियों में इस्तेमाल हुई धातु इस ग्रह की नहीं है। Daily Mail की रिपोर्ट कहती है कि विलेना के खजाने के बारे में वैज्ञानिकों ने नया विश्लेषण किया है जिसमें पाया गया कि 1963 में मिले खजाने में 59 गोल्ड प्लेटेड चीजें मिलीं जिनमें से दो में उल्का पिंड में पाया जाने वाला लोहा इस्तेमाल हुआ है।
उल्कापिंडीय लोहा वह धातु है जो शुरुआती ब्रह्मांड का अवशेष है। यह लोहे और निकल से बने उल्का पिंडों (meteorites) में पाया जाता है। वैज्ञानिकों की टीम का मानना है खजाने में मिली गोल्ड कोटेड टोपी और ब्रेसलेट में परग्रही मटिरियल का इस्तेमाल किया गया है जो 10 लाख साल पहले धरती से टकराया होगा। स्टडी कहती है कि उल्कापिंडीय लोहा एक खास तरह के पथरीले उल्का पिंडों में पाया जाता है जो मुख्यत: सिलिकेट के बने होते हैं। शोधकर्ताओं के मुताबिक इसमें कोबाल्ट की मात्रा भी काफी है।
रोचक बात ये कही गई है कि हजारों सालों पहले धरती पर गिरने वाले उल्का पिंडों के मटिरियल का इस्तेमाल सजावटी चीजों जैसे आभूषण वगैरह में करना काफी चलन में था। तूतनखामुन के मकबरे में भी ऐसी ही सजावटी वस्तु पाई गई थी। विलेना का खजाना (Treasure of Villena) इबेरियन प्रायद्वीप में खोजा गया था। यह उस समय का सबूत देता है जब मानव पाषाण से कांस्य युग में प्रवेश कर रहा था। यानी पत्थर से वह कांसे के इस्तेमाल में शिफ्ट कर रहा था। इस खजाने के बारे में यह भी कहा गया है कि यह एक पूरे समुदाय से संबंधित है, न कि किसी शाही परिवार से।
खजाने का 90 प्रतिशत हिस्सा 23.5 कैरेट सोने से बनाया गया था और इसमें 11 कटोरे, 3 बोतलें और 28 कंगन भी मिले थे। कलाकृतियों को आर्कियोलॉजिस्ट जोस मारिया सोलर ने दिसंबर 1963 में खोजा था। उस समय वे टीम के साथ विलेना से लगभग सात मील दूर ‘रैंबला डेल पैनाडेरो’ नामक एक सूखी नदी के तल की खुदाई कर रहे थे।
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2024-02-18 04:29:43
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