तेहरान20 मिनट पहले
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युवती का यूनिवर्सिटी परिसर में निर्वस्त्र होकर घूमने का विडियो वायरल हुआ था
ईरान के आजाद विश्वविद्यालय में हिजाब के खिलाफ प्रदर्शन करने पर युवती के गिरफ्तारी के मामले में संयुक्त राष्ट्र ने चिंता जताई है। संयुक्त राष्ट्र की विशेष रिपोर्टर माओ सतो ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर घटना का वीडियो शेयर करते हुए कहा कि वे इस मामले पर करीब से नजर रखेंगी।
ईरान में महिला अधिकारों के लिए आन्दोलन करने पर जेल में बंद मानवाधिकार कार्यकर्ता और नोबेल शांति पुरस्कार विजेता नरगिस मोहम्मदी ने जेल से बयान जारी कर कहा कि महिलाएं अपने विरोध की कीमत चुकाती हैं। कपड़े उतारकर विरोध करने वाली युवती को उन्होंने विद्रोह, गुस्से और विरोध का प्रतीक बताया और उसकी रिहाई की मांग की।
एमनेस्टी ईरान ने भी छात्रा की तुरंत रिहाई की मांग की है और अधिकारियों से निवेदन किया है कि उसकी सुरक्षा सुनिश्चित करें। एमनेस्टी ने कहा, “युवती को प्रताड़ना और दुर्व्यवहार से सुरक्षा मिलनी चाहिए और उसे अपने परिवार और वकील से मिलने दिया जाए।”
ईरान की राजधानी तेहरान में एक छात्रा के निर्वस्त्र होकर घूमने का मामला सामने आया था। न्यूज एजेंसी एएफपी के मुताबिक यह घटना शनिवार को तेहरान की आजाद यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड रिसर्च में हुई। यहां यूनिवर्सिटी की एक छात्रा ने यौन उत्पीड़न के खिलाफ प्रोटेस्ट में अपने कपड़े उतार दिए थे।
निर्वस्त्र घूमने के कुछ देर बाद ही ईरानी पुलिस ने छात्रा को हिरासत में ले लिया था। हिरासत में लेने के दौरान छात्रा के साथ मारपीट भी हुई थी।
युवती के समर्थन में सिलेब्रिटी सोशल मीडिया पर इस घटना का वीडियो वायरल होने के बाद पूरी दुनिया में ईरान में महिलाओं पर लागू सख्त कानूनों के खिलाफ चर्चा तेज हो गयी है । युवती के समर्थन में ‘साइंस एंड रिसर्च गर्ल’ हैशटैग भी वायरल हो रहा है। ये हैशटैग हिजाब विरोधी प्रदर्शनकारी महिलाओं के लिए एकजुटता का प्रतीक बन गया है।
ईरान की प्रसिद्ध हस्तियां भी इस छात्रा के समर्थन में उतरीं हैं। अभिनेत्री कटायोन रियाही ने X पोस्ट में लिखा, “हम तुम्हें अकेला नहीं छोड़ेंगे।” सामाजिक कार्यकर्ता होसैन रोनाघी ने युवती के समर्थन में कहा, “लड़की का साहस अत्याचार की जड़ों को जलाने की चिंगारी है।”
पुलिस बोली- महिला मानसिक रूप से बीमार मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस छात्रा का प्रदर्शन हिजाब नीति को लेकर मॉरल पुलिस द्वारा प्रताड़ना के बाद शुरू हुआ था। लेकिन सरकार का कहना है कि महिला मानसिक रूप से बीमार थी।
इस्लामिक आजाद विश्वविद्यालय के PRO (पब्लिक रिलेशन ऑफिसर) अमीर महजूब ने एक बयान में कहा कि महिला को ‘गंभीर मानसिक तनाव’ के कारण पुलिस स्टेशन भेजा गया है। इसके बाद, सरकारी मीडिया आउटलेट्स ने एक वीडियो जारी किया जिसमें एक व्यक्ति खुद को महिला का पति बता रहा है और दावा कर रहा है कि महिला दो बच्चों की मां है और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रही है।
ईरानी मानवाधिकार अधिवक्ताओं का कहना है कि महिला प्रदर्शनकारियों को मानसिक रोगी बताकर अस्पतालों में भेजना सरकार का एक पैटर्न बन चुका है। अपने ऊपर जिम्मेदारी लेने के बजाय सरकार महिलाओं को पागल बताकर पागलखानों में कैद कर देती है। पिछले साल, ईरानी मनोविज्ञान संघों ने भी सरकार के इस पैटर्न पर सार्वजनिक रूप से आलोचना की थी।
दावा- छात्रा का हिजाब और कपड़े खींचे गए कई मीडिया रिपोर्ट्स में यह भी दावा किया जा रहा है कि छात्रा के साथ बसीज मिलिशिया के सदस्यों ने गलत व्यवहार किया था। उसका हिजाब और कपड़े खींचे गए थे।
दरअसल, ईरान में महिलाओं के कपड़ों को लेकर सख्त ड्रेस कोड लागू किया गया है। इसके मुताबिक महिलाओं को पब्लिक प्लेस पर हिजाब और ढीले कपड़े पहनना अनिवार्य है। ऐसे में छात्रा के इस कदम को ईरान की सत्ता के खिलाफ आवाज उठाने के तौर पर देखा जा रहा है।
दूसरी तरफ ईरान के सरकारी मीडिया फार्स न्यूज एजेंसी ने दावा किया कि छात्रा ने ढंग से कपड़े नहीं पहने थे। इसके बाद जब सुरक्षा गार्ड्स ने छात्रा को चेतावनी दी, तो छात्रा ने कपड़े उतार दिए। सरकारी मीडिया के मुताबिक गार्ड्स ने शांतिपूर्वक ढंग से बात की थी।
हिजाब पहनने की अनिवार्यता 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद लागू हुई
ईरान में वैसे तो हिजाब को 1979 में मेंडेटरी किया गया था, लेकिन 15 अगस्त को प्रेसिडेंट इब्राहिम रईसी ने एक ऑर्डर पर साइन किए और इसे ड्रेस कोड के तौर पर सख्ती से लागू करने को कहा गया।
1979 से पहले शाह पहलवी के शासन में महिलाओं के कपड़ों के मामले में ईरान काफी आजाद ख्याल था।
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