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उमा भारती बोलीं-सौरभ शर्मा तो केंचुआ,अभी अजगर बाहर नहीं आया: कहा-सीएम बनते ही रेवेन्यू पीएस ने आरटीओ चेकपोस्ट गड़बड़ी के बारे में बताया था – Bhopal News

परिवहन विभाग के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा से मिली करोड़ों रुपए की नगदी, सोना, चांदी के मामले में तीन बड़ी एजेंसियां जांच कर रहीं हैं। इस मामले में अब पूर्व सीएम उमा भारती ने भी बड़ा बयान दिया है। उमा भारती ने अपने आवास पर केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना शुरू

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उमा ने कहा, मोहन यादव ने 17 शहरों में शराबबंदी का निर्णय किया है। मोहन जी, शिवराज जी और वीडी शर्मा ये तीनों निजी जीवन में बहुत साफ सुथरा जीवन जीने वाले व्यक्ति हैं। उसी का यह परिणाम है। ये उनकी पॉलिसी में भी दिखता है। इसके लिए मोहन जी का अभिनंदन होना चाहिए। मेरी इच्छा तो ये है कि पूर्ण शराबबंदी होना चाहिए।

इस दौरान उमा भारती से पूछा गया कि परिवहन चेकपोस्ट में जो घोटाला सामने आया उसके लिए आप किसे जिम्मेदार मानती हैं। इसके जवाब में उमा भारती ने कहा-

2003 में मुख्यमंत्री बनने के बाद मेरे सामने ये बात आ गई थी। उस समय मैंने गुजरात के मुख्यमंत्री और वर्तमान प्रधानमंत्री मोदी जी से बात की। मैंने पूछा कि भाई इसको कैसे करना है। मैं चाहती हूं कि हम यहां से पूरा रेवेन्यु वसूल कर सकें। हमारी उस समय की जो प्रिंसिपल सेक्रेटरी ने ही मुझे ये सुझाव दिया था कि शराब का रेवेन्यु अगर 1500 करोड़ है तो हम 3 हजार करोड़ की व्यवस्था कर लें। तो उन्होंने मुझसे कहा कि शराब नीति में परिवर्तन करके लॉटरी व्यवस्था कर दीजिए। तेंदूपत्ता नीति का सुझाव दिया और सबसे पहला सुझाव चेकपोस्ट का दिया। तभी उन्होंने मुझसे कहा कि इसमें बहुत बड़ी गड़बड़ है। हम शॉर्ट नोटिस टेंडर प्रक्रिया में आ ही रहे थे। कि जो लोग गुजरात में ये काम कर रहे हैं जो एक्सपर्टाइज लिए हुए हैं उन्हीं की टीम से सलाह लेकर हम ये काम कर लेंगे। मैं इतने में चली गई। उसके बाद चूहे का बिल गहराता गया। और आज गहराइयों में से सौरभ शर्मा अकेला केंचुआ निकला अभी अजगर तो निकला ही नहीं हैं।

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उमा ने सुनाई नदी जोड़ो परियोजना की शुरुआत से शिलान्यास तक की कहानी उमा भारती ने कहा- नदी जोड़ो का सपना अटल जी ने देखा था। उस सपने की कहानी ये थी कि भारत में बाढ और सुखाड़ की दो समस्याएं एक साथ थीं। कहीं बाढ़ है तो कहीं सूखा है दोनों का ये निदान था कि बाढ़ का जो अतिरिक्त पानी है उसे सूखे क्षेत्र में कैसे उपयोग हो। अटल जी ने एक कमेटी बनाई उसके अध्यक्ष सुरेश प्रभु बनाए गए। सुरेश जी को सबसे पहले बुलाने वाला राज्य मप्र था। फरवरी 2004 में सुरेश जी आए। हमने उनसे कहा कि हमारी उप्र और मप्र की बहुत पुरानी केन-बेतवा रिवर लिंक परियोजना थी।

हमने कहा कि हम केन-बेतवा को मिलाकर देश का पहला रिवर लिंक बना सकते हैं। इस पर उन्होंने काम शुरू किया। इस परियोजना के अलावा उन्होंने 30 और नदी जोड़ो परियोजनाओं पर काम शुरू किया। फिर हमारी सरकार मई 2004 में चली गई। उसके बाद सुरेश प्रभु की रिपोर्ट 2004 से 2014 तक धूल खाती रही। वाटर रिसोर्स मिनिस्ट्री में सब्मिट हो गई और मंत्रालय में सुरेश प्रभु की रिपोर्ट पड़ी रही। 2014 में जब फिर से हमारी सरकार बनी तो केन-बेतवा परियोजना की बात हुई। सुप्रीम कोर्ट का ऑर्डर हो गया था कि इन योजनाओं में कोई बाधा ना आए इसके लिए कोर्ट साथ देगा। सभी 30 प्रस्तावित परियोजनाएं शुरू करिए। इसके लिए सबसे पहले केन-बेतवा पूरी करिए। क्योंकि उसमें अधिकतर काम हो चुका है।

मेरे जाने के बाद मुलायम सिंह से जो बात हुई थी उस दौरान बाबूलाल गौर और मुलायम सिंह का एमओयू हो चुका था। जब इसकी फाइनल स्थिति में आए तो प्रधानमंत्री जी ने मुझे 2017 में उत्तर प्रदेश के चुनाव के तुरंत बाद कहा था कि उमा बेन हम केन-बेतवा को शुरू करेंगे। मेरी बहुत इच्छा है कि भारत के सबसे तीन सूखाग्रस्त इलाकों में एक बुंदेलखंड के लिए आप जितनी जल्दी हो सके केन-बेतवा को प्रारंभ करवा दो। इसमें मध्य प्रदेश की सरकार की कुछ आपत्तियां थी और वह आपत्ति बहुत नाजायज नहीं थी। लेकिन वह दरकिनार भी की जा सकती थी। जैसे उनके यूपी के साथ पानी के कुछ और समझौते थे जो शॉर्ट-आउट नहीं हुए थे। उनका कहना था कि जब तक वे न सुलझ जाएं चूंकि इसमें उजड़ने वाला पूरा क्षेत्र मध्य प्रदेश का आ रहा था। इसलिए उन्होंने कहा था कि पहले इन्हें सुलझा लीजिए। वहां स्थिति बहुत अजीब हो जाती थी मुख्यमंत्री जी राजी हो जाते थे लेकिन अधिकारी उनको भड़का देते थे। 2017 में ही यह परियोजना शुरू हो जानी थी। थोड़ी तकनीकी प्रक्रियाएं थीं। अंत में वह योजना अटकी सो अटकी रह गई। अब दिसंबर 2024 में इस योजना का टेकऑफ हुआ। ये दुनिया की पहली योजना है रिवर लिंकिंग की। जो भी अन्य परियोजनाएं हुईं वो एक खास सीमित क्षेत्र में हुई। कनाड़ा वगैरह में हुई हैं। लेकिन ये पहली इतनी बड़ी परियोजना है जो तीसरी नदी का निर्माण करेगी। बेतवा में मिलने के लिए केन चलेगी तो रास्ते में तीसरी नदी बनेगी।

नदी जोड़ो परियोजना धारा 370 जैसी उमा भारती ने कहा- इसकी कैड योजना यानि कमांड एरिया डेवलपमेंट की बहुत अच्छी परियोजना हमने बनाई है। इसमें गोपालन, फलों, सब्जियों का बहुत बड़ा काम होगा। उस हिसाब ये यह योजना इस एरिया को स्विट्जरलैंड से बड़ी जीडीपी में बदल देगी। मैं इस योजना की तुलना धारा 370 से करती हूं क्योंकि, धारा 370 संविधान की अस्थाई धारा थी। अमित शाह ने धारा 370 हटाकर हिम्मत दिखाई। ऐसी ही हिम्मत मुख्यमंत्री मोहन यादव ने दिखाई है। अगर यह 30 योजनाएं पूरी हो गई। 35 मिलियन हेक्टेयर जमीन सिंचित होगी। तो भारत की 100% जमीन सिंचित हो जाएगी और 34000 मेगावाट बिजली पैदा होगी। जिससे हम पूरी दुनिया को बिजली बेच सकेंगे।

जिस अफसर ने इस प्रोजेक्ट का विरोध किया वो सीएम के घर में मिला उमा भारती ने कहा इस योजना के लिए मैं और पीएमओ बेचैन थे। कमलनाथ जब मुख्यमंत्री थे, नितिन गड़करी जल संसाधन मंत्री थे। तब भी मुझे पीएमओ ने कहा कि आप जाइए और बात कीजिए। मैंने कहा मुझे पीएमओ ऑथोराइज करे। फिर पीएमओ के एक अधिकारी का फोन आया। जिन्हें हम ये मानते हैं कि प्रधानमंत्री ने ही कहा होगा। मैं कमलनाथ जी से मिलने गई। मैं वहां एक अधिकारी को देखकर निराश हो गई कि ये पहले भी इस परियोजना का विरोध कर रहा था। और वो वहां भी मौजूद था। अब ये 44 हजार करोड़ की योजना हो गई। क्योंकि इसमें बीना कॉम्प्लेक्स वगैरह जुड़ गए हैं। पहले ये नहीं थे। लेकिन 2017 से 2024 तक का जो समय निकला है उसमें बजट दोगुना से डेढ़ गुना तो हो ही गया। जरा सी भूल से हजारों करोड़ का भार देश के ऊपर आ जाता है। इसलिए मैं मोहन यादव का बहुत अभिनंदन उसी दिन करना चाहती थी।

मैं किसी प्रोटोकॉल में नहीं, शायद भूमिपूजन में निमंत्रण भी ना मिले उमा ने कहा- मैं जब उस परियोजना के लिए लोगों से बात करने उधर गई थी तो एक सभा में मैंने कहा था कि तुम लोग इस बात का बुरा न मानना। हो सकता है इसके शिलान्यास में मुझे निमंत्रण भी न मिले। क्योंकि, मैं सांसद भी नहीं हूं, मैं मंत्री भी नहीं हूं। मैं किसी प्रोटोकॉल में ही नहीं आती हूं। मुझे उसकी जरूरत नहीं हैं। मुझे तो इस बात की खुशी है कि केन-बेतवा आ सकी। ये मेरे लिए सबसे बड़ा इनाम है और वो बाकी नदी जोड़ो परियोजनाओं के लिए उदाहरण बनी।

एक सिपाही के पास 1200 करोड़ सामने आया उमा ने कहा- अकेले एक सिपाही के घोटाले में हजार-1200 करोड़ का मामला सामने आ गया है। इसका मतलब है अकेले चेक पोस्ट की इनकम से ही जो पूर्ण शराब बंदी का रेवेन्यू है वह कलेक्ट हो सकता है। इसमें भी मोहन यादव के साहस की सराहना करूंगी कि उन्होंने चेक पोस्ट के घोटाले के खुलने के बाद उन्होंने इसमें कोई कोताही नहीं बरती। सरकार इसकी जांच की तह में पूरी तरह से जा रही है। इसके साथ ही यह परत खुलती जा रही है मतलब मैंने जो बात कही थी कि अकेले इसके रेवेन्यु कलेक्शन से शराब के रेवेन्यु की भरपाई की जा सकती है।

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