प्रयागराज1 मिनट पहलेलेखक: मनीष मिश्रा
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बॉलीवुड अभिनेत्री ममता कुलकर्णी किन्नर अखाड़ा की महामंडलेश्वर बन गई हैं। उन्होंने शुक्रवार को प्रयागराज में संगम तट पर पिंडदान किया। अब वह यामाई ममता नंद गिरि कहलाएंगी। उनका सिर्फ पट्टाभिषेक रह गया है।
53 साल की ममता आज सुबह ही महाकुंभ में किन्नर अखाड़ा पहुंची थीं। उन्होंने किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी से मुलाकात कर आशीर्वाद लिया। दोनों के बीच करीब एक घंटे तक महामंडलेश्वर बनने को लेकर चर्चा हुई। इसके बाद किन्नर अखाड़ा ने उन्हें महामंडलेश्वर की पदवी देने का ऐलान किया।
इसके बाद महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ममता को लेकर अखिल भारतीय अखाड़े के अध्यक्ष रविंद्र पुरी के पास पहुंचीं। ममता और पुरी के बीच काफी देर तक बातचीत हुई। इस दौरान किन्नर अखाड़े के पदाधिकारी भी मौजूद रहे। फिर उनके महामंडलेश्वर बनाने की प्रक्रिया शुरू की गई। किन्नर अखाड़े ने ममता को महामंडलेश्वर बनाए जाने को लेकर पूरी गोपनीयता बरती है।
ममता साध्वी के रूप में महाकुंभ में शामिल हुईं। वह भगवा कपड़े पहनी दिखीं। उन्होंने गले में रुद्राक्ष की दो बड़ी माला पहन रखी थी। कंधे पर भगवा झोला भी टांग रखा था।
महाकुंभ में 3 तस्वीरों में ममता…
ममता शुक्रवार को महाकुंभ में किन्नर अखाड़ा पहुंची थीं।
आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी और ममता के बीच एक घंटे बातचीत हुई।
ममता के साथ एक प्रशंसक ने फोटो खिंचवाई।
ममता ने कहा- यह मेरे लिए यादगार पल
ममता ने कहा कि महाकुंभ में आना और यहां की भव्यता को देखना उनके लिए बहुत ही यादगार पल है। यह मेरा सौभाग्य होगा कि महाकुंभ की इस पवित्र बेला में मैं भी साक्षी बन रही हूं। संतों के आशीर्वाद प्राप्त कर रही हूं। जब ममता किन्नर अखाड़े पहुंची तो उन्हें देखने के लिए भीड़ उमड़ पड़ी। उनके साथ सेल्फी और फोटो लेने के लिए लोगों में होड़ मच गई।
महामंडलेश्वर बनने के बाद ममता से दैनिक भास्कर की खास बातचीत…
सवाल: आप धर्म-कर्म में कैसे रम गईं? क्या यह बदलाव अचानक हुआ? जवाब: नहीं, अचानक तो नहीं है। साल 2000 से मैंने अपनी तपस्या शुरू की। मेरे गुरु श्री चैतन्य गगन गिरी गुरु नाथ हैं। उनसे मैंने दीक्षा ली थी। उनका कुपोली में आश्रम है। 23 साल से मेरी तपस्या चल रही है।
महामंडलेश्वर बनना, वो भी अर्धनारीश्वर स्वरूप के हाथों से बनना। इससे बड़ा सौभाग्य क्या हो सकता है। आज शुक्रवार का दिन है, आदि शक्ति का दिन है। महाकाली का मेरे ऊपर आशीर्वाद है। वो मेरी मां हैं। मैं उनकी अंश स्वरूप हैं। एक आदि शक्ति और अर्धनारीश्वर स्वरूप से मेरा पट्टाभिषेक हो रहा है। इससे और बड़ी चीज क्या हो सकती है।
सवाल: अब बॉलीवुड में दोबारा एंट्री करेंगी? जवाब: देखिए, अब बॉलीवुड से मेरा कोई नाता नहीं है। वो तो मैंने कब का छोड़ दिया। मैं बॉलीवुड के लिए वापस नहीं आई। मैं 23 साल बाद इंडिया में आई। मैं 2013 के कुंभ मेले में आई थी। 144 साल बाद ये जो महाकुंभ है। मैं सिर्फ इसके लिए आई हूं। अब मुझे महामंडलेश्वर की ख्याति मिल रही है। इससे बड़ी बात क्या हो सकती है। अब मुझे कुछ नहीं चाहिए।
ममता ने कहा कि किन्नर अखाड़ा में किसी चीज की बंदिश नहीं है।
सवाल : 23 साल पहले ऐसा क्या हुआ कि आप अध्यात्म में रम गईं? जवाब : सब महाकाल और आदिशक्ति की इच्छाशक्ति है। मुझे कल ही महामंडलेश्वर बनने का मौका मिला था। मैंने एक दिन का समय लिया सोचने के लिए कि मुझे यह लेना चाहिए या नहीं। जब मुझे पता चला कि किन्नर अखाड़ा के महामंडलेश्वर में किसी चीज की बंदिश नहीं है। आप स्वतंत्र रह सकते हो। धार्मिक रूप से कुछ भी कर सकते हो। तब निर्णय लिया।
सवाल : महामंडलेश्वर के बारे में कितना जानती हैं? जवाब : जैसे ग्रेजुएशन होता है ना, जब आप कॉलेज से निकलते हो, आपने मास्टर किया तो आपको यूनिवर्सिटी से सर्टिफिकेट मिलता है। वैसे ही महामंडलेश्वर सार्टिफिकेट होता है कि आपने 23 साल तक तपस्या की। मेरा यह अवॉर्ड है।
सवाल : आपके फैन्स अब आपको भगवा ड्रेस में ही देखेंगे? जवाब : महालक्ष्मी त्रिपाठी का जो अखाड़ा है, वो स्वतंत्रता देता है कि आप हर चीज कर सकते हो। आप अपना भौतिक जीवन भी जी सकते हैं। यह बीच का मध्यम मार्ग है, जैसे एक वामपंथी और दक्षिणपंथी होता है। वैसे ही मैं मध्यम पंथी मार्ग को ही ध्यान में रखकर 23 साल बाद मुंबई आई। इससे बड़ा अवसर क्या मिलेगा।
सवाल : महाकुंभ में कब तक रहेंगी? जवाब : मैं एक-दो फरवरी तक यहां कल्पवास पर रहूंगी। साधना करूंगी।
किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी के साथ ममता कुलकुर्णी।
तमिल फिल्म से शुरू किया करियर
ममता कुलकर्णी ने 1991 में अपने करियर की शुरुआत तमिल फिल्म ‘ननबरगल’ से की। साल 1991 में ही उनकी पहली हिंदी फिल्म ‘मेरा दिल तेरे लिए’ रिलीज हुई। वेबसाइट आईएमडीबी के मुताबिक, एक्ट्रेस ने अपने करियर में कुल 34 फिल्में की हैं। ममता को साल 1993 में फिल्म ‘आशिक आवारा’ के लिए बेस्ट डेब्यू एक्ट्रेस का फिल्म फेयर अवॉर्ड मिला था।
इसके बाद वे ‘वक्त हमारा है’, ‘क्रांतिवीर’, ‘करण अर्जुन’, ‘बाजी’ जैसी फिल्मों में नजर आईं। उनकी लास्ट फिल्म ‘कभी तुम कभी हम’ साल 2002 में रिलीज हुई थी।
विवादों में रही ममता, मैगजीन के लिए टॉपलेस फोटोशूट कराया
शाहरुख खान, सलमान खान, अजय देवगन, अनिल कपूर जैसे बड़े स्टार्स से साथ स्क्रीन शेयर करने वाली ममता, उस वक्त विवादों में आई जब उन्होंने साल 1993 में स्टारडस्ट मैगजीन के लिए टॉपलेस फोटोशूट कराया था। वहीं, डायरेक्टर राजकुमार संतोषी ने ममता को फिल्म ‘चाइना गेट’ में बतौर लीड एक्ट्रेस लिया था। शुरुआती अनबन के बाद संतोषी, ममता को फिल्म से बाहर निकालना चाहते थे।
खबरों के मुताबिक, अंडरवर्ल्ड से प्रेशर बढ़ने के बाद, उन्हें फिल्म में रखा गया। हालांकि, फिल्म फ्लॉप साबित हुई और बाद में ममता ने संतोषी पर सेक्सुअल हैरेसमेंट का आरोप भी लगाया।
ड्रग माफिया से रचाई शादी, साध्वी बनीं
ममता पर आरोप लगा कि उन्होंने दुबई के रहने वाले अंडरवर्ल्ड ड्रग माफिया विक्की गोस्वामी से शादी की थी। हालांकि, ममता ने अपनी शादी की खबरों को हमेशा ही अफवाह बताया। ममता का कहना था कि मैंने कभी किसी से शादी नहीं की थी। यह सही है कि मैं विक्की से प्यार करती हूं, लेकिन उसे भी पता होगा कि अब मेरा पहला प्यार ईश्वर हैं।
ममता ने 2013 में अपनी किताब ‘ऑटोबायोग्राफी ऑफ एन योगिनी’ रिलीज की थी। इस दौरान फिल्मी दुनिया को अलविदा कहने की वजह बताते हुए कहा था, ‘कुछ लोग दुनिया के कामों के लिए पैदा होते है, जबकि कुछ ईश्वर के लिए पैदा होते हैं। मैं भी ईश्वर के लिए पैदा हुई हूं।’
1992 में तिरंगा फिल्म से बालीवुड में कदम रखा ममता कुलकर्णी का जन्म 20 अप्रैल 1972 को मुंबई में हुआ था। ममता ने साल 1992 में आई फिल्म ‘तिरंगा’ से हिंदी सिनेमा में कदम रखा था। फिर उन्होंने ‘आशिक’, ‘आवारा’, ‘क्रांतिवीर’, ‘वक्त हमारा है’, ‘सबसे बड़ा खिलाड़ी’ और ‘करण अर्जुन’ जैसी कई हिट फिल्मों में काम किया।
महामंडलेश्वर बनने की यह है प्रक्रिया
- पहले अखाड़े को आवेदन करना होता है। संन्यास की दीक्षा देकर संत बनाते हैं। नदी किनारे मुंडन फिर स्नान कराते हैं। परिवार और खुद का तर्पण कराते हैं। पत्नी, बच्चों समेत परिवार का पिंड दान कर संन्यास परंपरा अनुसार विजय हवन संस्कार होता है।
- दीक्षा दी जाती है। गुरु बनाकर चोटी काटते हैं। अखाड़े में दूध, घी, शहद, दही, शक्कर से बने पंचामृत से पट्टाभिषेक होता है। अखाड़े की ओर से चादर भेंट की जाती है।
- जिस अखाड़े का महामंडलेश्वर बना है, उसमें प्रवेश होता है। साधु-संत, आम लोग और अखाड़े के पदाधिकारियों को भोजन करवाकर दक्षिणा दी जाती है।
- घर से संबंध खत्म करने होते हैं। संन्यास काल के दौरान जमा धन जनहित के लिए देना होगा। खुद का आश्रम, संस्कृत विद्यालय, ब्राह्मणों को नि:शुल्क वेद की शिक्षा देना होती है।
जिस अखाड़े से ममता महामंडलेश्वर बनेंगी, उसके बारे में जानिए साल 2015 में एक्टिविस्ट और किन्नरों की लीडर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने किन्नर अखाड़े की स्थापना की। लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने अपने साथियों के साथ किन्नर समाज को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए इसे शुरू किया। किन्नर अखाड़ा बनाए जाने के पीछे वो तर्क देती हैं कि किन्नरों को समाज में सम्मान दिलाने के लिए उन्होंने इस अखाड़े की शुरुआत की है।
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